मुख्यमंत्री के निर्देश के लगभग डेढ़ वर्ष बाद भी इस पर कोई ठाेस कार्रवाई नहीं हो सकी. अब तक इस मामले में यह तय नहीं हो पाया है कि राशि की वसूली की प्रक्रिया क्या होगी. इसके लिए विधि विभाग से राय मांगी गयी थी. विधि विभाग द्वारा पहली बार मामले में कोई स्पष्ट राय नहीं दिया गया. इसके बाद फाइल फिर से विधि विभाग को भेजी गयी है. विधि विभाग से राय मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री ने गत वर्ष 21 दिसंबर को दोषी अधिकारी पर कार्रवाई का निर्देश कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को व प्रशासी विभाग को राशि वसूली का निर्देश दिया था़ मामले की जांच के लिए सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी़ कमेटी में योजना सह वित्त विभाग के प्रधान सचिव व कार्मिक सचिव शामिल थे़ जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में राशि भुगतान में वित्तीय व प्रक्रियात्मक अनियमिताओं की बात कही है़.
Advertisement
आदेश की अनदेखी:मुख्यमंत्री ने दिया था निर्देश, डेढ़ साल बाद भी प्रकाशकों से नहीं हुई राशि की वसूली
रांची : राज्य में स्कूलों में नि:शुल्क पुस्तक वितरण में काटी गयी पेनाल्टी राशि भुगतान कर दिये जाने के मामले में अब तक प्रकाशकों से राशि की वसूली नहीं हो सकी है. मुख्यमंत्री ने 21 दिसंबर 2015 काे इस मामले में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री के निर्देश […]
रांची : राज्य में स्कूलों में नि:शुल्क पुस्तक वितरण में काटी गयी पेनाल्टी राशि भुगतान कर दिये जाने के मामले में अब तक प्रकाशकों से राशि की वसूली नहीं हो सकी है. मुख्यमंत्री ने 21 दिसंबर 2015 काे इस मामले में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को कार्रवाई का निर्देश दिया था.
मुख्यमंत्री के निर्देश के लगभग डेढ़ वर्ष बाद भी इस पर कोई ठाेस कार्रवाई नहीं हो सकी. अब तक इस मामले में यह तय नहीं हो पाया है कि राशि की वसूली की प्रक्रिया क्या होगी. इसके लिए विधि विभाग से राय मांगी गयी थी. विधि विभाग द्वारा पहली बार मामले में कोई स्पष्ट राय नहीं दिया गया. इसके बाद फाइल फिर से विधि विभाग को भेजी गयी है. विधि विभाग से राय मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. मुख्यमंत्री ने गत वर्ष 21 दिसंबर को दोषी अधिकारी पर कार्रवाई का निर्देश कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को व प्रशासी विभाग को राशि वसूली का निर्देश दिया था़ मामले की जांच के लिए सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी़ कमेटी में योजना सह वित्त विभाग के प्रधान सचिव व कार्मिक सचिव शामिल थे़ जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में राशि भुगतान में वित्तीय व प्रक्रियात्मक अनियमिताओं की बात कही है़.
क्यों लगा था प्रकाशकों पर जुर्माना
प्रकाशकों पर जुर्माना समय पर किताब नहीं देने और कम किताब की आपूर्ति के लिए लगाया गया था. वर्ष 2009-10 में प्रकाशकों को स्कूल तक किताब पहुंचाने का टेंडर दिया गया था. शर्त के अनुरूप प्रकाशकों को स्कूल तक किताब पहुंचानी थी, पर कई प्रकाशकों ने रास्ते में ही किताब रख दी़ वर्ष 2007-08 से 2012-13 तक पुस्तक की आपूर्ति मापदंड के अनुरूप नहीं करने पर प्रकाशकों की राशि दंड स्वरूप काटी गयी थी. उल्लेखनीय है कि राज्य में सरकारी विद्यालीयों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकार नि:शुल्क किताब देती है. इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना के स्तर से प्रति वर्ष टेंडर किया जाता है. टेंडर की शर्त के अनुरूप किताब की आपूर्ति नहीं करनेवाले प्रकाशकों की दंड स्वरूप तय राशि काट ली जाती है. वर्ष 2007-08 से 2012-13 तक प्रकाशकों से जो राशि दंड स्वरूप काटी गयी थी, उसका भुगतान पूर्व शिक्षा सचिव सह परियोजना निदेशक बीके त्रिपाठी द्वारा किया गया था.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement