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पंजाब की उत्पादकता चीन के बराबर, फिर भी किसान कर रहे हैं आत्महत्या : डॉ शर्मा

रांची : देश के जाने-माने अर्थशास्त्री व फूड एंड ट्रेड पॉलिसी विश्लेषक देवेंद्र शर्मा ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी संकाय का भ्रमण किया. इस मौके पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए आयोजित गोष्ठी में श्री शर्मा ने कहा कि पंजाब में गेहूं एवं धान का उत्पादन एवं उत्पादकता विश्व के सर्वाधिक उत्पादक देश […]

रांची : देश के जाने-माने अर्थशास्त्री व फूड एंड ट्रेड पॉलिसी विश्लेषक देवेंद्र शर्मा ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी संकाय का भ्रमण किया. इस मौके पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए आयोजित गोष्ठी में श्री शर्मा ने कहा कि पंजाब में गेहूं एवं धान का उत्पादन एवं उत्पादकता विश्व के सर्वाधिक उत्पादक देश चीन के लगभग करीब है.
इसके बावजूद पंजाब, किसान की खुदकुशी के लिए देश का चर्चित राज्य है. फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने मात्र से किसानों को विशेष लाभ नहीं मिल पाता. किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनकी आर्थिक सुरक्षा है. किसानों को आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तकनीकी विकसित करना चाहिए.
डॉ शर्मा ने कहा कि देश की 60 करोड़ आबादी कृषि से जुड़ी है. देश में प्रतिवर्ष 1.25 करोड़ रोजगार सृजन करने की जरूरत है. विगत 12 वर्षों में मात्र 1.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं.
कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जहां रोजगार के अपार अवसर हैं. इसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों को कृषकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए शोध करना चाहिए. कृषि वानिकी प्रणाली में खाद्यान्न, बागवानी फसलों, चारा फसलों, वन-कृषि-रेशम अथवा लाह, बागवानी-वन-कृषि-मुधुमक्खी आधारित तकनीक को विकसित करते हुए झारखंड के किसानों को आर्थिक सुरक्षा दी जा सकती है.
बीएयू के कुलपति डॉ पी कौशल ने कहा कि झारखंड कृषि नीति एवं किसान नीति की व्यापक समीक्षा होनी चाहिए. इस मौके पर वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ महादेव महतो, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ एस चट्टोपाघ्याय, डॉ वसंत उरांव, डॉ कौशल कुमार भी मौजूद थे.

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