सीआइपी के चिकित्सक सह सर्वे के सह समन्वयक डॉ निशांत गोयल ने बताया कि झारखंड की पूरी आबादी (3.29 करोड़) के आधार पर इसका आकलन करें, तो करीब 36.51 लाख लोगों में मनोरोग के सामान्य लक्षण पाये गये. इसमें करीब 35 हजार लोग गंभीर रूप से मनोरोग से पीड़ित हैं. सीआइपी के निदेशक सह सर्वे के राज्य समन्वयक डॉ डी राम और पूर्व चिकित्सक डॉ विनोद सिन्हा ने कहा कि राज्य में मात्र 25 फीसदी लोगों का ही इलाज हो पा रहा है. मनोरोग के इलाज की जो स्थिति है, उसमें सुधार नहीं हुआ, तो गंभीर मनोरोगियों की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ेगी.
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सर्वे : झारखंड के रांची सहित चार जिलों में 11.1 फीसदी लोगों में मनोरोग के लक्षण
रांची : केंद्र सरकार की ओर से देश के 12 राज्यों में मनोरोग की स्थिति का सर्वे कराया गया है. इन 12 राज्यों में झारखंड भी शामिल है. झारखंड में मनोरोगियों का सर्वे केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीअाइपी) ने किया. सैंपल के तौर पर राज्य के चार जिलों (बोकारो, हजारीबाग, गोड्डा व रांची) में सर्वे कराया […]
रांची : केंद्र सरकार की ओर से देश के 12 राज्यों में मनोरोग की स्थिति का सर्वे कराया गया है. इन 12 राज्यों में झारखंड भी शामिल है. झारखंड में मनोरोगियों का सर्वे केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीअाइपी) ने किया. सैंपल के तौर पर राज्य के चार जिलों (बोकारो, हजारीबाग, गोड्डा व रांची) में सर्वे कराया गया. इसमें पाया गया कि कुल सैंपल सर्वे के तौर पर लिये गये लोगों में से 11.1 फीसदी लोगों में मनोरोग के लक्षण पाये गये. वहीं देश में करीब दस फीसदी लोग मनोरोग से पीड़ित हैं.
सीआइपी के चिकित्सक सह सर्वे के सह समन्वयक डॉ निशांत गोयल ने बताया कि झारखंड की पूरी आबादी (3.29 करोड़) के आधार पर इसका आकलन करें, तो करीब 36.51 लाख लोगों में मनोरोग के सामान्य लक्षण पाये गये. इसमें करीब 35 हजार लोग गंभीर रूप से मनोरोग से पीड़ित हैं. सीआइपी के निदेशक सह सर्वे के राज्य समन्वयक डॉ डी राम और पूर्व चिकित्सक डॉ विनोद सिन्हा ने कहा कि राज्य में मात्र 25 फीसदी लोगों का ही इलाज हो पा रहा है. मनोरोग के इलाज की जो स्थिति है, उसमें सुधार नहीं हुआ, तो गंभीर मनोरोगियों की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ेगी.
पहली बार मानसिक रोग पर सर्वे : डॉ डी राम ने बताया कि अब तक हम विश्व स्वास्थ्य संगठन या अन्य संस्थाओं के आंकड़ों पर मनोरोगियों की संख्या का आकलन करते थे. इससे पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन का 1999 में एक आंकड़ा जारी हुआ था. इसमें डिसेबिलिटी और मृत्यु के प्रमुख कारणों का अध्ययन हुआ था. केंद्र सरकार ने पहली बार पहले चरण में पूरे देश के 12 राज्यों में इस तरह का अध्ययन कराया है. अध्ययन बताता है कि 2030 तक डिप्रेशन मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण हो जायेगा.
नशा में राष्ट्रीय औसत से कम : नशा के कारण मनोरोग का शिकार होने वालों की संख्या झारखंड में राष्ट्रीय औसत से कम पायी गयी. पूरे देश में नशा के कारण करीब 22 फीसदी लोग मनोरोगी हैं, झारखंड में यह 12.3 प्रतिशत है. इसी तरह यहां आत्महत्या करनेवालों की संख्या भी राष्ट्रीय औसत से कम रही. पूरे देश में करीब 6.4 फीसदी मनोरोगी आत्महत्या करते हैं. वहीं झारखंड में 3.4 फीसदी मनोरोगी आत्महत्या करते है़ं सबसे अधिक आत्महत्या की संख्या या प्रवृत्ति अरबन मेट्रो में दर्ज की गयी. इसका प्रमुख कारण वहां के लोगों की लाइफ स्टाइल है.
क्या था झारखंड का सैंपल
डॉ निशांत ने बताया कि झारखंड के चार जिलों के 52 ब्लॉक में इसका सर्वे कराया गया. इसमें 885 घरों का चयन किया गया. 637 लोगों का इंटरव्यू किया गया. सर्वे करने वालों को टैबलेट दिया गया था. इसमें जीपीएस सिस्टम लगा था. सर्वे किये गये लोगों में पांच फीसदी लोगों का दुबारा सर्वे अध्ययन की सत्यतता जानने के लिए किया गया.
अच्छी नहीं है, मनोरोग के इलाज की स्थिति
चिकित्सकों ने बताया कि झारखंड में मनोरोग के इलाज की स्थिति ठीक नहीं है. 24 जिलों में से मात्र चार जिलों में ही मनोरोग का इलाज हो रहा है. मनोरोग का इलाज करनेवाले प्रोफेशनल्स की कमी है. यहां मनोरोग के इलाज को लेकर कोई नीति नहीं है. अध्ययन के दौरान झारखंड में मनोरोग के इलाज की व्यवस्था में तय 100 में से 26 अंक दिये गये.
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