ट्रैफिक पुलिस का शनिवार से शुरू डंगराटोली चौक से लेकर इस्ट जेल रोड तक वन वे सिस्टम फेल रहा. लोगों को प्लाजा चौक और मिशन चौक पर घंटों जाम में फंसना पड़ा. जाम में स्कूल बसों में सवार बच्चे भी फंसे रहे. जाम हटाने के लिए पहुंची क्रेक टीम भी आम लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने में असफल रही, जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि रात में ट्रफिक एसपी की ओर से पुरानी व्यवस्था को ही जारी रखने का निर्णय लिया गया.
कोकर से लालपुर चौक होते हुए कचहचरी जानेवाले वाहनों को भी सीधे प्लाजा चौक की ओर भेज दिया. जिस कारण प्लाजा चौक में गाड़ियों की संख्या बढ़ गयी और जाम की समस्या उत्पन्न हुई. जाम हटाने के लिए पहुंचे ट्रैफिक पुलिस की क्रेक टीम भी जाम में फंसे लोगों को तत्काल जाम से निजात नहीं दिला सकी.
इसी तरह लालपुर चौक से सिर्फ कचहरी चौक की ओर गाड़ियों को जाने की इजाजत नहीं थी. फिर भी पीएन कॉलोनी वर्द्धमान कंपाउंड और लालपुर चौक से इस्ट जेल रोड के बीच विभिन्न इलाके में रहने वाले लोगों को लालपुर चौक की ओर जाने देने के बजाय कचहरी की ओर भेजा गया. इस वजह से वन वे सिस्टम का पालन नहीं हुआ. वहीं, प्लाजा चौक से लालपुर चौक आनेवाली कुछ गाड़ियों को सीधे इस्ट जेल रोड या अलबर्ट एक्का चौक की ओर भेज दिया. हालांकि कुछ गाड़ियों को प्लाजा चौक से लालपुर की ओर आने दिया गया. ट्रैफिक पुलिस की ओर से कहीं पर वन वे सिस्टम का बोर्ड या साइन तक नहीं लगाया गया था. जिस कारण भी वन वे सिस्टम को समझने में लोगों को परेशानी हुई. मिशन चौक, प्लाजा चौक और लालपुर चौक पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस को जब जिधर मन किया, उधर गाड़ियों को जबरन डायवर्ट कर दिया. जिस कारण आम लोगों ने व्यवस्था के प्रति नाराजगी जाहिर की. वन वे सिस्टम के कारण सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल बस में सवार बच्चों को हुई. उन्हें सर्कुलर रोड के विभिन्न स्टॉपेज तक पहुंचने में परेशानी भी हुई.
उन्होंने बताया कि वन-वे सिस्टम बिलकुल बकवास है. शनिवार को दिन भर लोग जाम में फंसते रहे. गरमी में परेशान होते रहे. ऐसा लग रहा है जैसे ट्रैफिक पुलिस रोज नया प्रयोग कर रही है. सीपी सिंह ने ट्रैफिक एसपी संजय रंजन से भी बात कर उन्हें लोगों की तकलीफ के बारे में बताया. श्री सिंह ने कहा है कि शहर के कई लोगों ने उनसे शिकायत की है. नयी व्यवस्था को लागू करने से लोग परेशान हैं. फायदा होने के बजाय लोगों को नुकसान हो रहा है. इसे लागू करने से पहले ट्रायल कर देखा जाना चाहिए था, ताकि यह पता चल पाता कि इससे फायदा होगा या नुकसान. श्री सिंह ने ट्रैफिक पुलिस द्वारा नो-इंट्री के समय में बदलाव किये जाने पर भी आश्चर्य जताया. टेंट वाले, कैटरर वाले कैसे लोगों को अपनी सेवा दे पायेंगे, जब उनके वाहन चल ही नहीं पायेंगे.