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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे : चार जिलों के 20-27% बच्चों के मंदबुद्धि होने का खतरा

बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, खूंटी और दुमका की स्थिति अत्यधिक गंभीर शकील अख्तर रांची : कुपोषण की वजह से झारखंड के चार जिलों के 20 से 27 प्रतिशत बच्चों के मंदबुद्धि होने का खतरा है. 12 जिलों के बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य में दाे से 10 प्रतिशत तक बच्चे डायरिया के शिकार […]

बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, खूंटी और दुमका की स्थिति अत्यधिक गंभीर
शकील अख्तर
रांची : कुपोषण की वजह से झारखंड के चार जिलों के 20 से 27 प्रतिशत बच्चों के मंदबुद्धि होने का खतरा है. 12 जिलों के बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य में दाे से 10 प्रतिशत तक बच्चे डायरिया के शिकार हैं. छह से 23 माह तक के अधिकतम 18 प्रतिशत बच्चों को ही भोजन में निर्धारित मात्रा में प्रोटीन,फैट आैर अन्य पोषक तत्व मिल पा रहे हैं.
चाईबासा में एक प्रतिशत बच्चों के भोजन में निर्धारित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पा रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 20015-16( एनएफएचएस-4) के आंकड़ों के विश्लेषण से राज्य के 0-5 साल तक के बच्चों की इस खतरनाक स्थिति का पता चलता है. भारत सरकार के एसआरएस बुलेटिन 2014( सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बुलेटिन) में भी झारखंड में हर साल 27,000 बच्चों के मरने का उल्लेख किया गया है. इसमें 19,000 बच्चे जन्म के पहले सप्ताह में मौत के शिकार हो जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंड के अनुसार पांच प्रतिशत से अधिक बच्चों के कुपोषित होने पर स्थिति को खतरनाक(अलार्मिंग), 10-14 प्रतिशत तक की स्थिति में गंभीर (सीरियस) और 15 प्रतिशत से अधिक होने पर अत्यधिक गंभीर या नाजुक( क्रिटिकल) माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार राज्य में कुपोषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, क्योंकि एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट में राज्य में कुल 11.4 प्रतिशत बच्चों के कुपोषित होने का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में जिन चार जिलों की स्थिति अत्यधिक गंभीर( 15 प्रतिशत से अधिक) बतायी गयी है. उनमें बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, खूंटी और दुमका का नाम शामिल है.
12 जिलाें की स्थिति गंभीर
कुपोषण पर किये गये अध्ययन के अनुसार अत्यधिक कुपोषित बच्चों का सही समय पर इलाज नहीं होने पर उनके आजीवन मंदबुद्धि होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही उसकी अगली पीढ़ी के भी इसके शिकार होने का खतरा बना रहता है. राज्य के इन चार जिलों में 20-27 प्रतिशत बच्चे अत्यधिक कुपोषण के शिकार हैं. एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 12 जिलों में कुपोषण की स्थिति गंभीर और शेष आठ जिलों में खतरनाक बनी हुई है. कुपोषण की वजह से बच्चों के डायरिया सहित अन्य प्रकार के संक्रामक रोगों से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है.
हर जिले में डायरिया
रिपोर्ट के अनुसार राज्य का कोई भी जिला एेसा नहीं है, जहां 0-5 साल के उम्र के बच्चे डायरिया से पीड़ित नहीं हैं. सर्वे के दौरान सबसे कम 2.6 प्रतिशत बच्चे गिरिडीह में डायरिया से पीड़ित पाये गये. सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत बच्चे पलामू जिले में डायरिया से पीड़ित पाये गये. रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 0-5 वर्ष के कुल 47 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट हैं.
चाईबासा में सर्वाधिक 67.5 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट हैं. रिपोर्ट में छह माह से 23 माह तक के बच्चों को मिलनेवाले भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यहां अधिकतम 18 प्रतिशत बच्चों को ही भोजन में आवश्यक मात्रा में प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट आदि मिल पाता है. इस मामले में सबसे खराब स्थिति चाईबासा की है. यहां सिर्फ 0.9 प्रतिशत बच्चों को ही भोजन में आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व मिल पाता है, जबकि जमशेदपुर के शहरी क्षेत्र के 18.1 प्रतिशत बच्चों को भोजन में आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व मिल पाता है.
0-5 साल के बच्चों में कुपोषण की स्थिति
जिला कुपोषण स्थिति
बोकारो 17.6% अत्यधिक गंभीर
पू िसंहभूम 19.9% अत्यधिक गंभीर
सिमडेगा 15.0% अत्यधिक गंभीर
खूंटी 27.3% अत्यधिक गंभीर
दुमका 21.8% अत्यधिक गंभीर
गुमला 10.9% गंभीर
लोहरदगा 11.4% गंभीर
गढ़वा 11.9% गंभीर
चतरा 10.1% गंभीर
लातेहार 10.7% गंभीर
हजारीबाग 8.9% खतरनाक
कोडरमा 6.9% खतरनाक
रामगढ़ 9.9% खतरनाक
पलामू 6.5% खतरनाक
रांची 7.5% खतरनाक

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