वर्ष 2011 में बोर्ड ने लॉटरी कर परिसंपत्तियां आवंटित की गयी थीं. इसके बाद लोगों ने इसके लिए राशि भी जमा की. कई लोगों ने मकान बनाने का काम भी शुरू किया. इस बीच आवास विभाग ने 2015 में लॉटरी में नियमों का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द कर दिया. तब लोगों ने हाइकोर्ट की शरण ली. हाइकोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 को आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि आवंटन रद्द करना गलत है. यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. न्यायालय ने रद्द की प्रक्रिया को गलत बताया. किसी भी आवंटियों को नोटिस जारी नहीं किया गया था और अचानक उनका आवंटन रद्द कर दिया गया था. तब विभाग के आदेश पर बोर्ड ने सारे आवंटियों को नोटिस जारी किया. आवंटियों ने नोटिस का जवाब भी दे दिया है. इसे भी एक साल हो गये हैं, पर कोई नतीजा नहीं निकल रहा है.
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आवास बोर्ड: एक तरफ अतिक्रमण किया जायेगा वैध, तो दूसरी तरफ, मकान के लिए छह साल से दौड़ रहे हैं 250 आवंटी
रांची: झारखंड राज्य आवास बोर्ड के आवंटियों को अपने प्लॉट, मकान और प्लैट के लिए छह साल से दौड़ लगानी पड़ रही है. करीब 250 आवंटी हैं, जिन्हें वर्ष 2011 में ही लॉटरी के माध्यम से परिसपंत्ति आवंटित हुई थी. इसके एवज में उन्होंने बोर्ड के पास अपने पैसे भी जमा कराये हैं. उनके दौड़ते-दौड़ते […]
रांची: झारखंड राज्य आवास बोर्ड के आवंटियों को अपने प्लॉट, मकान और प्लैट के लिए छह साल से दौड़ लगानी पड़ रही है. करीब 250 आवंटी हैं, जिन्हें वर्ष 2011 में ही लॉटरी के माध्यम से परिसपंत्ति आवंटित हुई थी. इसके एवज में उन्होंने बोर्ड के पास अपने पैसे भी जमा कराये हैं. उनके दौड़ते-दौड़ते वर्ष 2017 आ गया है, लेकिन किसी को भी उनके नाम से आवंटित प्लॉट, मकान व प्लैट नहीं मिले. फिलहाल इस मामले में आवास विभाग व बोर्ड की अोर से कार्रवाई पेंडिंग है.
वर्ष 2011 में बोर्ड ने लॉटरी कर परिसंपत्तियां आवंटित की गयी थीं. इसके बाद लोगों ने इसके लिए राशि भी जमा की. कई लोगों ने मकान बनाने का काम भी शुरू किया. इस बीच आवास विभाग ने 2015 में लॉटरी में नियमों का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द कर दिया. तब लोगों ने हाइकोर्ट की शरण ली. हाइकोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 को आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि आवंटन रद्द करना गलत है. यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. न्यायालय ने रद्द की प्रक्रिया को गलत बताया. किसी भी आवंटियों को नोटिस जारी नहीं किया गया था और अचानक उनका आवंटन रद्द कर दिया गया था. तब विभाग के आदेश पर बोर्ड ने सारे आवंटियों को नोटिस जारी किया. आवंटियों ने नोटिस का जवाब भी दे दिया है. इसे भी एक साल हो गये हैं, पर कोई नतीजा नहीं निकल रहा है.
परेशान हैं आवंटी
सभी आवंटियों ने बोर्ड को करीब 15 करोड़ रुपये दिये हैं. आवंटियों ने अपना पूरा पैसा लगा दिया है. अब तो बैकों का कर्ज भी लोग चुका रहे हैं. लोगों का कहना है कि वे बुरी तरह फंस गये हैं. उनके मामले में कोई फैसला ही नहीं हो रहा है. उस समय रांची के साथ ही जमशेदपुर व धनबाद में भी लॉटरी के माध्यम से परिसंपत्ति का आवंटन किया गया था, लेकिन जमशेदपुर व धनबाद में आवंटन का पालन हुआ. सभी आवंटियों को परिसंपत्तियां मिली, केवल रांची का ही रद्द किया गया.
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