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डेढ़ वर्ष से पालना घरों का फंड लंबित
रांची : राज्य के करीब छह हजार बच्चों को खाने-पीने के पैसे नहीं मिल रहे हैं. कामकाजी मां-बाप के ये वैसे बच्चे हैं, जो राज्य भर के पालना घरों (क्रेच) में दिन भर रहते हैं तथा वहां इन्हें दोपहर का भोजन तथा दो वक्त का अल्पाहार दिया जाता है. पर समाज कल्याण विभाग (समाज कल्याण […]
रांची : राज्य के करीब छह हजार बच्चों को खाने-पीने के पैसे नहीं मिल रहे हैं. कामकाजी मां-बाप के ये वैसे बच्चे हैं, जो राज्य भर के पालना घरों (क्रेच) में दिन भर रहते हैं तथा वहां इन्हें दोपहर का भोजन तथा दो वक्त का अल्पाहार दिया जाता है. पर समाज कल्याण विभाग (समाज कल्याण बोर्ड) के तहत संचालित कुल 228 पालना घर को सरकार गत डेढ़ वर्ष से पैसे नहीं दे रही है.
इधर, राज्य सरकार ने प्रखंड स्तर पर पालना घर खोलने की बात कही है, जो विभाग के तहत संचालित होंगे. अभी बोर्ड के तहत संचालित गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित इन पालना घरों में छह माह से छह वर्ष तक के ऐसे ही बच्चों को रखा जाता है.
एक पालना घर में बच्चों की संख्या कम से कम 25 होनी चाहिए. पैसे नहीं मिलने की समस्या से विभागीय मंत्री व सचिव भी अवगत हैं, लेकिन समाधान नहीं निकला है. पालना घरों को फंड नहीं मिलने से इसका संचालन कर रही गैर सरकारी संस्थाएं बच्चों के भोजन के लिए राशन तथा नाश्ते के लिए बिस्किट तथा खाने-पीने की अन्य चीजों का प्रबंध नहीं कर पा रही हैं. इससे बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है.
पैसे बढ़े, पर मिले नहीं : मार्च 2016 तक इन पालना घरों में रहने वाले बच्चों के आहार के लिए प्रति बच्चा प्रति दिन दो रुपये आठ पैसे मिलते थे. अप्रैल 2016 से इस रकम को बढ़ा कर 12 रुपये प्रति बच्चा प्रति दिन कर दिया गया है. पर इसका लाभ अब तक नहीं मिला है.
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