रांची : जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल के हासीमारा के चायबागानों में काम करने वाली झारखंडी मूल के आदिवासी श्रमिकों की तीसरी पीढ़ी की 20 महिलाओं ने 15 से 19 फरवरी तक अपने पूर्वजों की भूमि के दर्शन किये. टीम का नेतृत्व करने वाली सुभासिनी बगान की मेरी टेटे ने बताया कि इनमें 17 महिलाएं ऐसी हैं, जो पहली बार छोटानागपुर आयी है़ं
इन पांच दिनों में उन्होंने बनहोरा, डोड़मा, आमझरिया, कामडा, राजाउलातू आदि का भ्रमण किया़ उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी में उपजी सब्जियां बहुत स्वादिष्ट लगती है़ कमडा के जंगल-पहाड़ देख अभिभूत हुईं और उन्हें जलाइगुड़ी के जंगल और पहाड़ों से काफी अलग पाया़ उन्होंने बताया कि वहां झारखंडी मूल के आदिवासियों की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं है़ चायबागानों में वे सिर्फ चाय की पत्तियां तोड़ने का काम करती है़ं उनमें से कोई भी अब तक अफसर या मैनेजर नहीं बनी है़
कार्डिनल ने दिया विश्वास में दृढ़ रहने को संदेश : टीम की सदस्य शनिवार को कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो से मिली़ं कार्डिनल ने उन्हें सबके साथ प्रेम से रहने और अपने विश्वास में दृढ़ रहने का संदेश दिया़ टीम की सभी सदस्य मसीही हैं और हरमू पल्ली महिला संघ के आमंत्रण पर छोटानागपुर आयी थी़ं उन्होंने आमझरिया व राजाउलातू तीर्थस्थल भी देखे़ रविवार को हरमू पल्ली में फादर अशोक कुजूर व फादर हिलारियुस कुल्लू ने उनका आत्मिक मार्गदर्शन किया़
हरमू पल्ली की कैथोलिक महिला संघ ने भी उनका अभिनंदन किया़ जलपाइगुड़ी सेे आयी महिलाओं में सलोमी सुरीन, बलमदीना कुजूर, लीलावती तोपनो, विश्वासी कंडुलना, मोनिका कंडुलना, जसिंता जोजो, पुष्पा उरांव, लिली ब्लांस बारला, जसिंता मुंडा, कुमार धनवार व अन्य शामिल थी़ं यह टीम रविवार की शाम जलपाइगुड़ी के लिए रवाना हो गयी़ उनकी इस यात्रा में हरमू पल्ली की सुशीला तिग्गा, सुशीला किंडो, किरण सोरेन, सुनीता इंदवार व अन्य सदस्यों ने हर संभव सहयोग दिया़