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रिम्स ही खरीदेगा हड्डी में लगनेवाला उपकरण

रांची: रिम्स प्रबंधन हड्डी के ऑपरेशन में लगनेवाले उपकरणों की खरीदारी खुद करेगा. विभागाध्यक्ष के मांग पत्र पर प्रबंधन उपकरणों की खरीदारी कर विभाग को उपलब्ध करायेगा. खरीदारी के लिए प्रबंधन बकायदा निविदा निकालेगा. न्यूनतम दर वाली एजेंसी का चयन कर उसे उपकरण सप्लाई करने के लिए अधिकृत किया जायेगा. ऑपरेशन में लगने वाले उपकरणों […]

रांची: रिम्स प्रबंधन हड्डी के ऑपरेशन में लगनेवाले उपकरणों की खरीदारी खुद करेगा. विभागाध्यक्ष के मांग पत्र पर प्रबंधन उपकरणों की खरीदारी कर विभाग को उपलब्ध करायेगा. खरीदारी के लिए प्रबंधन बकायदा निविदा निकालेगा. न्यूनतम दर वाली एजेंसी का चयन कर उसे उपकरण सप्लाई करने के लिए अधिकृत किया जायेगा. ऑपरेशन में लगने वाले उपकरणों का पूरा ब्योरा रिम्स प्रबंधन अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करायेगा. रिम्स प्रबंधन ने यह निर्णय तीन सदस्यीय जांच कमेटी द्वारा दिये गये सुझाव के बाद लिया है. जांच टीम में ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ आरके श्रीवास्तव, उपाधीक्षक डॉ गोपाल श्रीवास्तव एवं मेडिकल आॅफिसर डॉ रघुनाथ प्रसाद शामिल थे.
हड्डी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एलबी मांझी ने टीम को बताया कि वर्तमान ऑपरेशन में नेल व इंप्लांट की आवश्यकता होती है, जिसे रिम्स व सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है. एक सप्ताह में औसतन 20 से 25 मरीजों में नेल व इंप्लांट लगाये जाते हैं.
डॉक्टरों ने कई जानकारी छुपायी : रिम्स प्रबंधन ने हड्डी विभाग में जांच करने के लिए चार फरवरी को एक टीम का गठन किया था. टीम ने हड्डी विभाग के डॉक्टरों से कई जानकारी ली. हालांकि डॉक्टरों ने कई महत्वपूर्ण जानकारी छुपायी. टीम को बताया कि हम मरीज को उपरण का परामर्श देते हैं. मरीज के परिजन स्वयं उपकरण खरीद कर लाते हैं, जबकि रिम्स के हड्डी विभाग में कई दलाल घूमते रहते हैं, जिसकी जानकारी विभाग के डॉक्टरों को भी रहती है.
प्रभात खबर ने उठाया था मुद्दा : प्रभात खबर ने 30 जनवरी को हड्डी के उपकरण के नाम पर ‘चार गुना तक पैसे वसूल रहे हैं रांची के अस्पताल’ नामक शीर्षक से एक खबर प्रकाशित किया था. इसके बाद जांच टीम गठित की गयी थी. खबर के माध्यम से यह जानकारी दी गयी थी कि रिम्स में हड्डी के ऑपरेशन के लिए मरीजों से पैसा तो लिया जाता है, लेकिन न तो उन्हें उपकरण दिया जाता है न ही उपकण का बिल. उपकरण सीधे आेटी में पहुंचाने की बात परिजनों कही जाती है.
निविदा निकाल कर इसकी स्थायी व्यवस्था की जायेगी
जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. टीम ने यह सुझाव दिया है कि विभाग नेल व इंप्लांट मांग पत्र द्वारा मांग सकता है. हम मांग पत्र के हिसाब से चिकित्सकों को उपकरण उपलब्ध करा देंगे. निविदा निकाल कर इसकी स्थायी व्यवस्था की जायेगी. उपकरणों पर होनेवाले खर्च को वेबसाइट पर डाल दिया जायेगा.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक, रिम्स

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