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राज्य के 37 बैंकों के 4642 करोड़ डूबने के कगार पर
लोन देने के बाद वापस नहीं मिल रहे रुपये शकील अख्तर रांची : झारखंड के 37 बैंकों के 4642.51 करोड़ रुपये डूबने के कगार पर हैं. बैंकों ने यह राशि विभिन्न लोगों, संस्थानों और कंपनियों को लोन के रूप में दी थी. पर बैंकों के ये पैसे वापस नहीं मिल पाये. बैंकों ने इस राशि […]
लोन देने के बाद वापस नहीं मिल रहे रुपये
शकील अख्तर
रांची : झारखंड के 37 बैंकों के 4642.51 करोड़ रुपये डूबने के कगार पर हैं. बैंकों ने यह राशि विभिन्न लोगों, संस्थानों और कंपनियों को लोन के रूप में दी थी. पर बैंकों के ये पैसे वापस नहीं मिल पाये. बैंकों ने इस राशि को नन परफार्मिंग एसेट(एनपीए) घोषित कर रखा है. बैंकों ने इससे संबंधित ब्योरा सरकार को सौंपा है. राज्य में एनपीए की वृद्धि दर 13.18 प्रतिशत तक पहुंच जाने के कारण चिंता भी जतायी है. साथ ही नये कर्ज देने के मामले में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का आशंका जतायी है.
एक साल में बढ़ा 540.46 करोड़ एनपीए : सरकार को सौंपे ब्योरे में बैंकों ने कहा है कि राज्य में विभिन्न प्रकार के कुल 41 बैंक कार्यरत हैं. इनमें 37 बैंकों ने कर्ज के रूप में 4642.51 करोड़ रुपये बांटे थे, जो वापस नहीं हो रहे हैं. मूल और सूद की अदायगी बंद होने की वजह से इसे एनपीए घोषित कर दिया गया है.
दिसंबर 2015 तक बैंकों का एनपीए 4102.05 करोड़ रुपये था. दिसंबर 2016 में यह बढ़ कर 4641.51 करोड़ हो गया है. इस एक साल की अवधि में एनपीए में 13.18% की दर से 540.46 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई.
यह चिंता का विषय है. कहा है कि बढ़ते एनपीए का प्रभाव ‘कैपिटल बेस’ पर पड़ रहा है. ब्योरे में कहा गया है कि सबसे अधिक पंजाब नेशनल बैंक की ओर से दिये गये 1078.04 करोड़ रुपये की राशि की वसूली बंद हो गयी है. इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया दूसरे स्थान पर है. बैंक ऑफ इंडिया का 1001.23 करोड़ रुपये एनपीए हो चुका है. राज्य में कार्यरत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का भी 426.89 करोड़ रुपये एनपीए हो गया है.
झारखंड में इन बैंकों का कोई राशि एनपीए नहीं
आइसीआइसीआइ, यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक और बंधन बैंक
क्या कर रहे हैं बैंक
बैंकों की तरफ से वसूली के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. सर्टिफिकेट केस के 99,409 मामले न्यायालय में विचाराधीन है. डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में भी 2453 मामले विचाराधीन हैं. इसमें 1000 करोड़ रुपये की राशि निहित है.
लोन पर पड़ सकताहै असर
बैंकों की इतनी बड़ी राशि एनपीए होने के बाद लोन स्वीकृत करने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
पीएनबी के सबसे अधिक 1078.04 करोड़ रुपये हुए
एनपीए, दूसरे नंबर पर बैंक ऑफ इंडिया
एनपीए का ब्योरा (करोड़ में)
राशि बैंक
193.87 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
1001.23 बैंक ऑफ इंडिया
366.47 इलाहाबाद बैंक
196.28 सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
1078.04 पंजाब नेशनल बैंक
183.87 यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
167.11 केनरा बैंक
108.68 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
155.61 यूको बैंक
343.37 बैंक ऑफ बड़ौदा
91.98 इंडियन ओवरसीज बैंक
90.26 सिंडिकेट बैंक
9.52 ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
9.63 देना बैंक
7.79 इंडियन बैंक
9.98 पंजाब एंड सिंध बैंक
10.90 विजया बैंक
11.54 आंध्रा बैंक
26.91 कॉरपोरेशन बैंक
2.5 स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
3.71 बैंक ऑफ महाराष्ट्र
33.48 आइडीबीआइ
5.90 फेडरल बैंक
71.26 एचडीएफसी बैंक
1.09 कर्नाटक बैंक लिमिटेड
8.99 एक्सिस बैंक
11.50 इंडस इंड बैंक
0.04 जम्मू एंड कश्मीर बैंक
6.98 कोटेक महेंद्रा बैंक
0.06 साउथ इंडियन बैंक
4.20 करुर यस बैंक
133.47 झारखंड ग्रामीण बैंक
187.01 वनांचल ग्रामीण बैंक
106.41 कोऑपरेटिव बैंक
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