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क्षतिपूरक वनरोपण के लिए 10 लाख एकड़ जमीन चिह्नित

अलग-अलग जिलों में चिह्नित की गयी भूमि जंगल-झाड़ी की भूमि में क्षतिपूर्ति वनरोपण के लिए खनन व औद्योगिक कंपनियों को जमीन देगी सरकार सुनील चौधरी रांची : राज्य सरकार ने क्षतिपूरक वनरोपण के लिए राज्य के 24 जिलों में 10 लाख एकड़ जमीन चिह्नित किया है. खतियान में जंगल-झाड़ के रूप में दर्ज इस जमीन […]

अलग-अलग जिलों में चिह्नित की गयी भूमि
जंगल-झाड़ी की भूमि में क्षतिपूर्ति वनरोपण के लिए खनन व औद्योगिक कंपनियों को जमीन देगी सरकार
सुनील चौधरी
रांची : राज्य सरकार ने क्षतिपूरक वनरोपण के लिए राज्य के 24 जिलों में 10 लाख एकड़ जमीन चिह्नित किया है. खतियान में जंगल-झाड़ के रूप में दर्ज इस जमीन को प्राथमिकता के आधार पर क्षतिपूरक वनरोपण के लिए इस्तेमाल किया जायेगा. आवश्यकता पड़ने पर भारत सरकार की अनुमति के बाद इसका इस्तेमाल दूसरे कार्यों के लिए भी किया जा सकता है.
राज्य सरकार ने मोमेंटम झारखंड के ठीक पहले भूमि को लेकर यह बड़ी व्यवस्था की है ताकि उद्यमियों को भूमि को लेकर परेशानी न हो. सरकार द्वारा मोमेंटम झारखंड समारोह के दौरान लैंड बैंक की सूची भी डेलीगेशन के किट में शामिल किया जायेगा. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लागू नियम के अनुसार वन भूमि का इस्तेमाल गैर वन भूमि के कार्यों जैसे भवन निर्माण, सड़क निर्माण, उद्योग या खनन आदि के कार्यों में करने के एवज में उतनी ही जमीन पर वन लगा कर देने का प्रावधान है. इस नियम के अनुपालन में उद्यमियों को या सरकार द्वारा खुद वन भूमि का उपयोग गैर वानिकी कार्यों के लिए करने पर क्षतिपूरक वनरोपण के लिए जमीन तलाशने में परेशानी होती थी. इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने जंगल-झाड़ के रूप में दर्ज वन भूमि को चिह्नित किया है. इस जमीन पर सघन वन नहीं है. इस जमीन पर वानिकी कार्य करके इसे जंगल के रूप में विकसित किया जा सकता है.
सड़क या सरकारी भवन बनाने के लिए देनी पड़ती है भूमि : वर्तमान में राज्य सरकार भी यदि सड़क या अन्य किसी सरकारी योजना के लिए वन भूमि लेती है, तो इसके एवज में राज्य सरकार को भी उसी मात्रा में क्षतिपूरक वनरोपण के लिए वन भूमि देनी पड़ती है. साथ ही वन लगाने की राशि भी वन विभाग को देनी पड़ती है. ठीक यही बात निजी कंपनियों के साथ भी होती है. उन्हें भी क्षतिपूरक वनरोपण के लिए रैयतों से जमीन खरीद कर वन लगाने के लिए जमीन लेनी पड़ती है.
एक एकड़ से लेकर 200 एकड़ तक के हैं चंक : सरकार द्वारा चिन्हित की गयी भूमि में एक एकड़ से लेकर 200 एकड़ तक चंक शामिल हैं. तीन चंक में जमीन चिह्नित किये गये हैं. एक एकड़ से लेकर 50 एकड़ फिर 51 एकड़ से 100 एकड़ और 101 से लेकर 200 एकड़ तक के चंक चिह्नित किये गये हैं.
क्षतिपूरक वनरोपण के लिए कई बड़ी परियोजनाएं हैं लंबित : क्षतिपूरक वनरोपण के लिए कई परियोजनाएं अभी भी लंबित हैं. जिसमें ट्रांसमिशन लाइन, पावर ग्रिड, खनन परियोजनाएं भी शामिल हैं. यह प्रस्ताव वर्षों से इसलिए लंबित है कि क्षतिपूरक वनरोपण के प्लॉट के बड़े चंक नहीं मिल पाते.
क्या होगा लाभ : खनन परियोजनाओं को क्षतिपूरक वन भूमि देने पर अब आसानी से क्लीयरेंस मिल जायेगा. इसी प्रकार सरकार की सड़क व अन्य सरकारी योजनाओं के लिए भी भूमि आसानी से मिल जायेगी.
कंपनी से राशि लेकर जमीन सीधे वन विभाग को हस्तांतरित की जायेगी : बताया गया कि क्षतिपूरक वनरोपण के लिए यदि किसी कंपनी को जमीन चाहिए, तो वह सरकार को आवेदन देगी.
इसके बाद सरकार भूमि की दर तय कर राशि कंपनी से लेगी. भूमि की 80 प्रतिशत कीमत मिलते ही भू-राजस्व विभाग चिह्नित भूमि को सीधे वन विभाग को हस्तांतरित कर देगा. यानी कंपनी को भूमि खरीद कर हस्तांतरित करने की समस्या नहीं रहेगी. कंपनी केवल राशि का भुगतान करेगी और जमीन जिलों के उपायुक्त वन विभाग को हस्तांतरित कर देंगे.
कहां कितनी जंगल-झाड़ की है जमीन
जिला क्षेत्र (एकड़ में)
बोकारो 19823.8
चतरा 5938.29
देवघर 15424.56
धनबाद 11648.14
दुमका 16629.06
जमशेदपुर 8159.21
गढ़वा 7536.1
गिरिडीह 329539.11
गोड्डा 5929.15
गुमला 87082
हजारीबाग 15801.12
जामताड़ा 580.17
खूंटी 12888.14
कोडरमा 73.38
लातेहार 34407.49
लोहरदगा 0
पाकुड़ 31436.9
पलामू 858.91
रामगढ़ 2795.72
रांची 78256.44
साहेबगंज 16675.58
सरायकेला-खरसावां 5008.71
सिमडेगा 244434.5
प. सिंहभूम 8025.17
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