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राज्यकर्मियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई ठप

राणा प्रताप रांची : झारखंड लोकायुक्त के कार्यालय में राज्यकर्मियों के भ्रष्टाचार से जुड़े सैकड़ों मामलों की सुनवाई ठप है. लोकायुक्त कार्यालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ कर लगभग 1200 हो गयी है. नये केस की फाइलिंग हो रही है. केस में नंबर पड़ रहा है, लेकिन उस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो […]

राणा प्रताप
रांची : झारखंड लोकायुक्त के कार्यालय में राज्यकर्मियों के भ्रष्टाचार से जुड़े सैकड़ों मामलों की सुनवाई ठप है. लोकायुक्त कार्यालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ कर लगभग 1200 हो गयी है. नये केस की फाइलिंग हो रही है. केस में नंबर पड़ रहा है, लेकिन उस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. कार्यालय के अधिकारी व बाबू नये लोकायुक्त के आने का इंतजार कर रहे हैं. तीन जनवरी 2016 से राज्य में लोकायुक्त का पद रिक्त पड़ा है. दो जनवरी को तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस अमरेश्वर सहाय का कार्यकाल पूरा हो गया, तब से यह पद खाली है. वैसे खबर है कि नये लाेकायुक्त के लिए जस्टिस डीएन उपाध्याय के नाम पर सहमति बन गयी है.
गौरतलब है कि राज्यकर्मियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ सैकड़ों मामले दर्ज हैं, जिसकी सुनवाई फिलहाल ठप है. तत्कालीन लोकायुक्त ने वित्तीय गड़बड़ी व भ्रष्ट तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति के मामले में लगभग 40 लोक सेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. 68 लोक सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने की अनुशंसा की गयी थी. पिछले पांच वर्षों में 3,361 से अधिक मामले लोकायुक्त के पास आये. इसमें से 2,200 से अधिक मुकदमों का निष्पादन हो चुका है. इसमें से अधिकतर मामले सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित थे.
सचिव का पद भी है खाली : लोकायुक्त के सचिव का पद खाली पड़ा है. इस पद पर दीपक कुमार पदस्थापित थे. उनका तबादला अगस्त 2015 में हो गया. उसके बाद से इस पद पर किसी की पदस्थापना नहीं हुई है. ऐसी परिस्थिति में लोकायुक्त कार्यालय में प्रशासनिक निर्णय भी नहीं हो पा रहा है.
लोकायुक्त कार्यालय को नहीं मिले कर्मी : लोकायुक्त कार्यालय में मानव संसाधन की भारी कमी है. पूर्व में जरूरत के मुताबिक पद सृजित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं दी गयी है. लगभग 60 नये पद सृजित करने को कहा गया था. वर्तमान में 37 कर्मी कार्यरत हैं, जबकि बिहार में लोकायुक्त कार्यालय में लगभग 300 कर्मी काम करते हैं.
नहीं मिली स्वतंत्र जांच एजेंसी : लोकायुक्त को जांच के मामलों में उसे सरकार की अन्य जांच एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है. लोकायुक्त अधिनियम में स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है. वर्ष 2011 से स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग लोकायुक्त द्वारा की जा रही है. वर्ष 2012 में लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया गया था, जो लंबित है.
लोकायुक्त का बहुमंजिला भवन जल्द ही बन कर तैयार होगा :
लोकायुक्त का अपना भवन नहीं था. आड्रे हाउस के कुछ कमरों में चलता था. लोकायुक्त के काफी प्रयास के बाद जेल के पीछे लोकायुक्त को कार्यालय दिया गया. बाद में बरियातू रोड में करोड़ों की लागत से लोकायुक्त का जी प्लस थ्री बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया गया है. आइएमए भवन के समीप निर्माणाधीन लोकायुक्त भवन का कार्य जल्द पूरा होने की संभावना है.

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