रांची : वह दिन दूर नहीं, जब देश के बाजारों में मलेरिया की नयी, बेहद कारगर और सस्ती दवा उपलब्ध होगी. रिम्स व देश के अन्य सेंटरों के चिकित्सकों ने मिल कर मलेरिया की नयी दवा के शोध कार्य पूरा कर लिया है. वे दवा के ईजाद के काफी करीब हैं. दावा किया जा रहा है कि दवा के नये मॉलिक्यूल का खोज लिया गया है. फिलहाल इस पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा गया है.
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मलेरिया की नयी दवा खोजने के करीब पहुंचे रिम्स के डॉक्टर
रांची : वह दिन दूर नहीं, जब देश के बाजारों में मलेरिया की नयी, बेहद कारगर और सस्ती दवा उपलब्ध होगी. रिम्स व देश के अन्य सेंटरों के चिकित्सकों ने मिल कर मलेरिया की नयी दवा के शोध कार्य पूरा कर लिया है. वे दवा के ईजाद के काफी करीब हैं. दावा किया जा रहा […]
बुधवार को रिम्स जेनेटिक विभाग के चिकित्सक डॉ एके वर्मा, डॉ मनोज दास, डॉ तुषार और डाॅ नीतीश ने रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल से मिल कर शोध कार्य पूरा होने की जानकारी दी. रिम्स के चिकित्सकों द्वारा खोजे गये मॉलिक्यूल और शोध कार्य को सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्राेल आॅर्गेनाइजेशन (डीसीजीआइ) के पास भेजा जायेगा. डीसीजीआइ शोध कार्य का आकलन करेगा. इसके बाद शोध की पूरी जानकारी भारत सरकार को दी जायेगी. डीसीजीआइ दवा बनाने के लिए दवा निर्माता कंपनी को अनुमति देगा. इसके बाद नयी दवा बाजार में उपलब्ध हो जायेगी.
बेहद कारगर और उपयोगी होगी दवा : जेनेटिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमर कुमार वर्मा ने बताया कि दवा सस्ती तो होगी ही, मलेरिया की वर्तमान दवाओं से ज्यादा कारगर भी होगी. बाजार में जो दवाएं माैजूद हैं, उनमें से कई रेसिस्टेंट (कारगर नहीं) हो गये हैं. इसलिए इन दवाओं का असर भी अब मरीजों पर नहीं हो रहा है. नयी दवा के ईजाद से मलेरिया के इलाज का दायरा भी बढ़ जायेगा.
चिकित्सकों ने खोज लिया है नया मॉलिक्यूल
रिम्स का जेनेटिक विंग आइसीएमआर के निर्देशन में मलेरिया की दवा पर रिसर्च कार्य कर रहा था. शोध करनेवाले चिकित्सकों ने नया मॉलिक्यूल खोज लिया है. यह खुशी की बात है. शोध की जानकारी गोपनीय होती है, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता है.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स
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