रांची: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश की 65 प्रतिशत आबादी युवा है. युवा समाज में खुशी की दिशा में काम कर सकते हैं. अब सवाल उठता है कि खुशी के लिए रास्ता क्या होगा. खुशी अच्छा स्वास्थ्य, आनंद, सकारात्मक सोच, नये विचार, सुरक्षा की भावना व रचनात्मक कार्यों से मिल सकती है. जो जिस क्षेत्र में हैं, उसमें रुचि लें अौर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर खुशी लायें. खाने के प्रति जागरूक रहें. जरूरत अौर लालच के बीच भेद रखें.
वंचित अौर कमजोर लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना वास्तव में एक पुरस्कृत अनुभव हो सकता है. दुख वास्तव में क्रोध, उदासी, चिंता, अवसाद, तनाव व दर्द से जुड़ा हुअा है. हम हमारे आसपास ऐसे नकारात्मक भावनाओं को अधिक मात्रा में देखते हैं. महिलाअों के खिलाफ हिंसा, सड़क क्रोध, मादक द्रव्यों के सेवन, आत्महत्या आदि इस दुख में शामिल हैं. इससे मुक्त पाने के लिए योग अौर ध्यान की जरूरत है. हर व्यक्ति के साथ दुख कुछ समय के लिए रहता है. खुशी लाने के लिए किताबों को अपना अच्छा दोस्त बनायें. समाज के लिए कुछ करें. जीवन भर सीखने की आदत विकसित करें. समस्या अौर उनके समाधान के माध्यम के लिए सोचें. राष्ट्रपति मंगलवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड सहित देश भर के केंद्रीय विवि, आइआइटी, एनआइटी, आइआइएसइआर, सिविल सेवा सर्विस एकेडमी व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को शिक्षकों व विद्यार्थियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे.
राष्ट्रपति ने सबसे पहले सबों को नववर्ष की बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह वर्ष हमलोगों के लिए शांति, समृद्धि व सदभाव से भरा हो सकता है. इसके बाद राष्ट्रपति ने कहा कि वे वर्ष 2014 से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षकों व विद्यार्थियों से एक साथ रू-ब-रू हो रहे हैं. आज का विषय बिल्डिंग अॉफ हैप्पी सोसाइटी( एक खुशी समाज का निर्माण) है. देश प्रगति कर रहा है.
उसी अनुरूप जनसंख्या भी बढ़ रही है. आज भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर कर आया है. प्रति व्यक्ति वार्षिक आय में भी बढ़ोतरी हुई है. इसी प्रकार साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है. खाद्य उत्पादन भी बढ़ा है. विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ भारत भी इस अोर तेजी से कदम बढ़ा रहा है.
इसके बावजूद हैप्पीनेस रिपोर्ट में विश्व में 158 देश में भारत का स्थान 117 है, जबकि भारत एक सभ्यता व त्योहारों वाला राष्ट्र है. जीवन का उत्सव हमारी प्रकृति का एक हिस्सा है. इसके बावजूद हमें समाज को खुश रखने लिए कदम उठाने होंगे. युवा आज आशा अौर आकांक्षाओं से भरे हुए हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास के लिए खोज जरूरी है. यह मानव कल्याण, सामाजिक समावेश अौर पर्यावरण स्थिरता से जुड़ा हुआ है. गरीबी उन्मूलन खुशी को मजबूती प्रदान करेगा. स्वयं को खुश रखने व समाज की खुशी के लिए समाज में स्वस्थ मन व शरीर का होना जरूरी है. शिक्षण संस्थानों में सबों को एक साथ मिल कर काम करना होगा. तभी हम विकास की परिकल्पना कर सकते हैं अौर समाज में खुशी ला सकते हैं.