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जनगणना में आदिवासियों के लिए धर्मकोड लागू हो

रांची. सरना समिति हुंदूर, कांके व चडरी सरना सेवक संघ द्वारा हुंदूर के रईसका डूबा पर्यटक स्थल पर सरना सम्मेलन सह वनभोज का आयोजन किया गया. इसमें 65 गांव की सरना समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया़ सम्मेलन में जनगणना में आदिवासियों के लिए धर्मकोड लागू करने, सरना, मसना, जतरा व देव स्थलों को चिह्नित […]

रांची. सरना समिति हुंदूर, कांके व चडरी सरना सेवक संघ द्वारा हुंदूर के रईसका डूबा पर्यटक स्थल पर सरना सम्मेलन सह वनभोज का आयोजन किया गया. इसमें 65 गांव की सरना समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया़ सम्मेलन में जनगणना में आदिवासियों के लिए धर्मकोड लागू करने, सरना, मसना, जतरा व देव स्थलों को चिह्नित कर घेराबंदी, धर्मांतरित लोगों को जनजाति के दोहरे लाभ से वंचित करने, पूरे देश में धर्मांतरण विधेयक लागू करने, झारखंड में जनजाति आयोग का गठन, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पेसा कानून का सख्ती से अनुपालन व झारखंड में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना करने की मांग की गयी.

कार्यक्रम को चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा, झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव, कृष्णकांत टोप्पो समेत कई लोगों ने संबोधित किया. डॉ प्रदीप मुंडा ने कहा कि सरना, मसना व आस्था के केंद्रों को सुरक्षा मिलनी चाहिए़ कार्यक्रम का संचालन करते हुए संदीप उरांव ने कहा कि जिसने धर्म परिवर्तन कर दूसरा धर्म अपना लिया है, वह आदिवासी नहीं हो सकता़ इस दिशा में जब तक केंद्र व राज्य सरकार पहल नहीं करेगी, आंदोलन जारी रहेगा़

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