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पीसीसीएफ ने नहीं की अनुशंसा उलझा लौह अयस्क लीज मामला

रांची: वन विभाग के पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) आरआर हेंब्रम ने सात कंपनियों की लौह अयस्क खदानों की अनुशंसा से इनकार कर दिया है. यही कारण है कि इन कंपनियों का लीज फंस गया है. इनमें आर्सेलर मित्तल, भूषण पावर एंड स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल, इलेक्ट्रोस्टील व रुंगटा माइंस(दो खदान) शामिल हैं. इधर, 11 […]

रांची: वन विभाग के पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) आरआर हेंब्रम ने सात कंपनियों की लौह अयस्क खदानों की अनुशंसा से इनकार कर दिया है. यही कारण है कि इन कंपनियों का लीज फंस गया है. इनमें आर्सेलर मित्तल, भूषण पावर एंड स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसपीएल, इलेक्ट्रोस्टील व रुंगटा माइंस(दो खदान) शामिल हैं. इधर, 11 जनवरी तक लीज नहीं हुआ, तो इन कंपनियों को मिली लौह अयस्क खदान का आवंटन रद्द हो जायेगा. पीसीसीएफ द्वारा नोट रिकमंडेड(अनुशंसित नहीं) लिखे जाने से खान विभाग के अधिकारी समेत वन विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं. शुक्रवार को दिन भर इस पर मंथन चलता रहा. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार का निर्देश है कि हर हालत में 11 जनवरी तक लीज के लिए लंबित सारी खदानों का सशर्त लीज दे दिया जाये, ताकि आवंटन रद्द न हो सके.
क्या है मामला : एमएमडीआर(अमेंडमेंट) बिल 2015 के तहत राज्य में लीज के लिए लंबित खदानों का लीज 11 जनवरी 2017 तक नहीं होने पर सारे लीज रद्द कर दिये जायेंगे. एमएमडीआर के 10 ए टू सी के तहत केंद्र सरकार ने गैर कोयला खदानों के लिए यह मोहलत दी थी कि जिन कंपनियों को खदान आवंटित हो गये हैं और लीज नहीं मिला है, उनका लीज हर हाल में 11 जनवरी 2017 तक कर दिया जाना है. उक्त अवधि तक लीज नहीं होने पर आवंटन स्वत: रद्द हो जायेगा और इसके बाद खदानों की नीलामी होगी. झारखंड में लौह अयस्क व अन्य खनिजों की ऐसी 34 कंपनियों की खदान हैं, जिनका लीज लंबित है.

ये सारे लीज वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस की वजह से लंबित हैं. केंद्रीय खान मंत्रालय द्वारा एमएमडीआर(अमेंडमेंट) बिल 2015 की धारा 10 ए 2 सी के तहत वैसी लौह अयस्क या अन्य खदान जो आवंटित हो चुकी हैं, पर लीज नहीं मिला है, उनका सशर्त लीज करने का निर्देश दिया गया है. केंद्रीय खान मंत्रालय द्वारा सुझाव दिया गया है कि ऐसी खदाने, जिन्हें अबतक फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिला है, उन्हें इस शर्त पर लीज दे दिया जाये कि वे खनन नहीं करेंगे. यानी जबतक फॉरेस्ट क्लीयरेंस और इनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं मिल जाता, तब तक लीज मिलने के बावजूद कंपनियां खदानों से खनन नहीं कर सकतीं. चूंकि एक्ट के अनुसार दो वर्षों में लीज कर देना था, नहीं तो स्वत: लीज रद्द हो जायेगा. ऐसे में दोबारा प्रक्रिया आरंभ करने में विलंब होगा.

केंद्र के इसी निर्देश के आलोक में पहले चरण में सात कंपनियों की फाइल लीज के लिए आगे बढ़ी है. इन्हें पीसीसीएफ की सहमति के लिए भेजा गया था कि अभी क्षतिपूरक वन रोपण किये जाने के पूर्व ही लीज दे दिया जाये, बाद में इसे पूरा किये जाने के बाद ही उत्खनन होगा. पर पीसीसीएफ ने अॉनलाइन नोट रिकमंडेड की अनुशंसा कर दी.
तकनीकी खामी सामने आयी : वन विभाग में मामले की पड़ताल की गयी. सूत्रों ने बताया कि कंप्यूटर में कई तकनीकी समस्या है. जिस कारण अगर कोई अधिकारी फॉरवार्डेड लिखना चाहता है, तो नोट रिकमंडेड लिखा जाता है. वन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह ने तत्काल तकनीशियन को बुला कर इसे ठीक करने के लिए कहा है. फिलहाल सातों कंपनी के अधिकारी सचिवालय की दौड़ लगा रहे हैं. देर शाम तक मामला सुलझ नहीं सका था.

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