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तीन जिलों में चलेगा विशेष कैंसर जागरुकता अभियान

रांची: देश में कैंसर के बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए केंद्र सरकार ने देश के 100 जिलों में विशेष अभियान चलाने की योजना बनायी है. इसमें झारखंड के तीन जिले धनबाद, बोकारो और रांची शामिल हैं. केंद्र की जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग योजना के तहत इन तीन जिलों में 30 वर्ष से अधिक उम्र के […]

रांची: देश में कैंसर के बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए केंद्र सरकार ने देश के 100 जिलों में विशेष अभियान चलाने की योजना बनायी है. इसमें झारखंड के तीन जिले धनबाद, बोकारो और रांची शामिल हैं. केंद्र की जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग योजना के तहत इन तीन जिलों में 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों की जांच की तैयारी की जा रही है. खास कर ओरल, सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर की जांच होगी. साथ में मधुमेह और ब्लड प्रेशर की भी जांच की जायेगी.
जांच के बाद संबंधित परिवार के सभी लोगों का निबंधन कर उनका स्वास्थ्य कार्ड (एक फैमिली फोल्डर) बना कर संबंधित स्वास्थ्य उपकेंद्रों में रखा जायेगा. इससे उन तीन जिलों के सभी लोगों की पूरी जानकारी स्वास्थ्य केंद्र में हमेशा उपलब्ध रहेगी.

अभियान के तहत सभी चिह्नित लोगों के मधुमेह और ब्लड प्रेशर की जांच हर वर्ष और कैंसर की जांच हर पांच साल पर होगी. रोग के लक्षण पाये जाने पर उचित इलाज की व्यवस्था की जायेगी. जरूरत होने पर बड़े अस्पताल में भी रेफर किया जा सकता है. इसके लिए तीनों जिले में सहिया स्तर तक तैयारी जारी है. स्पेशल किट और स्वास्थ्य केंद्रों में जांच की विशेष व्यवस्था की जा रही है. सर्वाइकल कैंसर की जांच स्वास्थ्य केंद्र में होगी, जबकि अन्य जांच संबंधित स्वास्थ्य कार्यकर्ता फील्ड (गांव में) में ही करेंगे. इससे जांच को लेकर किसी का काम भी प्रभावित नहीं होगा. नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंसन फॉर कैंसर, डायबिटिज, सीबीडी एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के तहत शुरू हो रहे इस अभियान के लिए सभी राज्यों के नोडल पदाधिकारियों की ट्रेनिंग 17 व 18 अक्तूबर को दिल्ली में हुई. झारखंड की ओर से नोडल प्रभारी के रूप में डॉ ललित रंजन पाठक ने भाग लिया.

इस संबंध में डॉ पाठक ने बताया कि तीनों जिले में अभियान सुचारु रूप से चले, इसके लिए प्रभारी चिकित्सकों को चिह्नित कर लिया गया है. जल्द उनकी ट्रेनिंग दिल्ली में होगी. काम की ट्रेनिंग जिला स्तर के अधिकारियों को दे दी गयी है. प्रखंड स्तर पर भी प्रशिक्षण शुरू हो गया है. डॉ पाठक ने बताया कि धनबाद व बोकारो में जरूरी सामान खरीदने के लिए पैसे भी भेज दिये गये हैं.
देश में कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से यह योजना लायी गयी है. योजना फेल न हो, इसके लिए फंड की भी पूरी व्यवस्था की गयी है. उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर गठित कमेटी फेल न हो, इसके लिए इंसेंटिव की भी व्यवस्था की गयी है. लक्ष्य पूरा करने पर टीम को 15 हजार रुपये इंसेंटिव के रूप में मिलेंगे. अभियान को सफल बनाने के लिए पहले वर्ष जिले की 50 प्रतिशत जनसंख्या की जांच की योजना है, दूसरे व तीसरे वर्ष में क्रमश: 15-15 प्रतिशत जनसंख्या को जांच के दायरे में लाने की योजना है.

सनद रहे कि ग्रामीण इलाकों में जब बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाती है, तब लोगों को पता चलता़ ऐसे में अधिकतर लोग या तो मर जाते हैं या फिर खेत-मकान बिक जाने के बाद मुश्किल से बच पाते हैं. इस अभियान से गांव के लोगों को फायदा होगा और वो स्वस्थ रह पायेंगे.
कैंसर की स्थिति : कैंसर के क्षेत्र में अनुसंधान करनेवाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ग्लोबोकैन की 2012 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, अपने देश में प्रति वर्ष शुरुआती लक्षणों के बाद इलाज होने पर बचनेवालों का प्रतिशत काफी उत्साहवर्धक है. प्रत्येक 100 ओरल कैंसर मरीज में 60 प्रतिशत, ब्रेस्ट कैंसर में 76.3 प्रतिशत और सर्वाइकल कैंसर के 73.2 प्रतिशत मरीज बच जाते हैं, जबकि बीमारी के पुराना हो जाने (एडवांस स्टेज) पर प्रति 100 ओरल कैंसर मरीज में 3.3 प्रतिशत, ब्रेस्ट कैंसर में 14.9 प्रतिशत और सर्वाइकल कैंसर में 7.9 प्रतिशत की जान बच पाती है.

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