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सरना कोड लागू करना चाहती है सरकार!

रांची : झारखंड सरकार सरना कोड लागू करना चाहती है. राज्य में सरना कोड लागू करने की पृष्ठभूमि बनायी जा रही है. राज्य की ओर से केंद्र सरकार से वर्ष 2021 में होनेवाले जनगणना में सरना कोड डालने की मांग करने की तैयारी है. सूत्र बताते हैं कि अगले दो वर्षों के अंदर राज्य में […]

रांची : झारखंड सरकार सरना कोड लागू करना चाहती है. राज्य में सरना कोड लागू करने की पृष्ठभूमि बनायी जा रही है. राज्य की ओर से केंद्र सरकार से वर्ष 2021 में होनेवाले जनगणना में सरना कोड डालने की मांग करने की तैयारी है.

सूत्र बताते हैं कि अगले दो वर्षों के अंदर राज्य में सरना कोड लागू किये जाने की घोषणा हो सकती है. इसी क्रम में राज्य सरकार के निर्देश पर ही खिजरी के भाजपा विधायक रामकुमार पाहन ने सरना कोड लागू करने की मांग के साथ दिल्ली में केंद्र के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से कोई इस मामले पर अभी कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. नेता समय का इंतजार करने और अफसर जल्दबाजी की बात कह कर मुद्दे पर कुछ कहने से बच रहे हैं. राज्य में लंबे समय से आदिवासी समुदाय द्वारा सरना कोड लागू करने की मांग की जा रही है. वर्तमान में जनगणना में सरना कोड नहीं होने की वजह से सरना आदिवासियों को हिंदू या अन्य के काॅलम में जगह मिलती है. आदिवासी नेताओं का कहना है कि जनगणना में सरना समुदाय के आंकड़ों की सही-सही जानकारी नहीं मिलने से सरकार द्वारा बनाये जानेवाली विकास योजनाओं में बड़ी आबादी होने के बावजूद आदिवासियों की हिस्सेदारी कम होती जा रही है.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) नयी दिल्ली के शोधकर्ता बलभद्र बिरुवा के मुताबिक आदिवासियों में ईसाई धर्म वालों का प्रतिशत 14.46 एवं सरना धर्म वालों का प्रतिशत 44.28 प्रतिशत है. पर, सरना कोड नहीं होने की वजह से राज्य के 39.77 प्रतिशत आदिवासी अपना धर्म हिंदू लिखते हैं. राज्य के लगभग 56.64 प्रतिशत संथाली अपना धर्म हिंदू लिखते हैं, जो राज्य में सबसे ज्यादा है. उसके बाद मुंडा एवं उरांव आते हैं, जिनके बीच क्रमश: 17.48 प्रतिशत एवं 16.77 प्रतिशत लोग अपना धर्म हिंदू लिखते हैं. श्री बिरूवा के अनुसार : जनगणना के दौरान सबसे कम हिंदू धर्म लिखने वालों का प्रतिशत खड़िया (7.79 प्रतिशत) एवं हो (6.96 प्रतिशत) में है. खड़िया की लगभग 67.4 प्रतिशत आबादी अपना धर्म ईसाई लिखती है, जो इन चारों में प्रतिशत के हिसाब से ज्यादा है.

उसके बाद मुंडा (30.44 प्रतिशत) एवं उरांव (26.9 प्रतिशत) का स्थान आता है. अपने ही जनजातीय क्षेत्र के अंदर सबसे कम ईसाई का प्रतिशत संथाल (6.29 प्रतिशत) एवं हो (1.85 प्रतिशत) लोगों में है. इन चारों में सरना धर्म माननेवालों का प्रतिशत सबसे ज्यादा हो लोगों में है. इसकी 90.85 प्रतिशत आबादी अपना धर्म सरना मानती है. उसके बाद क्रमश: उरांव की 55 प्रतिशत आबादी, मुंडा की 50.76 प्रतिशत आबादी अपना धर्म सरना लिखती है. संथाल के 34.69 प्रतिशत एवं खड़िया की 22.91 प्रतिशत आबादी अपना धर्म सरना लिखती है. आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि जनजातियों का धर्म एक निश्चित नामकरण के अभाव में विखंडित है.

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