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हर साल हाथी के हमले में मारे जा रहे लोग
रांची : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के पूर्व प्रोफेसर डॉ रमन सुकुमार ने कहा कि पूर्वी भारत में हाथी और आदमी के बीच संघर्ष बढ़ा है. 40 साल पहले हाथियों के कारण प्रति वर्ष करीब 150 लोगों की मौत होती थी. 2015 में 500 से 600 लोग मारे गये. केवल दक्षिण बंगाल में बीते […]
रांची : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के पूर्व प्रोफेसर डॉ रमन सुकुमार ने कहा कि पूर्वी भारत में हाथी और आदमी के बीच संघर्ष बढ़ा है. 40 साल पहले हाथियों के कारण प्रति वर्ष करीब 150 लोगों की मौत होती थी. 2015 में 500 से 600 लोग मारे गये. केवल दक्षिण बंगाल में बीते साल 71 लोगों की मौत हाथी के कारण हुई. लोगों की मौत के कारण हाथी भी मारे जा रहे हैं. भारत सरकार ने इसको रोकने के लिए टॉस्क फोर्स बनायी है. हमलोगों ने हाथियों के हैबीटेट को नष्ट कर दिया है. इनको रोकने के लिए जीपीएस टेक्नोलॉजी का भी उपयोग किया जा सकता है.
संकट में है झारखंड-बिहार का पर्यावरण : पर्यावरणविद आरके सिंह ने कहा कि झारखंड और बिहार में पर्यावरण संकट में है. बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है. इससे पहले खनन से होनेवाले नुकसान का अध्ययन नहीं किया जा रहा है. 2006 में एक कानून आया है. इसमें कहा गया है कि कोई भी बड़ी परियोजना शुरू करने से पहले इसका इम्पैक्ट एसेसमेंट करना है. झारखंड में कई ऐसे काम हो गये, जिनका कोई इम्पैक्ट एसेसमेंट नहीं हो पाया. बिना इम्पैक्ट एसेसमेंट के खेलगांव बन गया. रांची-जमशेदपुर के कई तालाब अब नक्शे में नहीं हैं. राज्य के बड़े शहरों का मास्टर प्लान नहीं है.
प्राकृतिक संसाधन रहेगा, तभी गरीबी मिटेगी : वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के समीर कुमार सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन बचेगा, तभी गरीबी मिटेगी. वन क्षेत्रों को बचाने के लिए प्रबंधन को समझना होगा. प्रोटेक्टेड एरिया में किसी भी तरह की गतिविधि रोकनी होगी. वन क्षेत्रों के स्थायी विकास के लिए यह जरूरी है.
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