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पंचायतनामा के दो वर्ष पूरे, बोले विकास आयुक्त अधिकार व कर्तव्य में हो तालमेल

रांची: पंचायत के प्रतिनिधि अधिकार की बात तो करते हैं, लेकिन कर्तव्य की बात कम करते हैं. दोनों के बीच 50-50 का तालमेल होना चाहिए. आज 90 फीसदी जनप्रतिनिधि अधिकार की बात करते हैं. अधिकार अपने हाथ में नहीं है. यह नहीं मिलेगा तो आक्रोश होगा. कर्तव्य में लगे रहेंगे तो आक्रोश नहीं होगा. विकास […]

रांची: पंचायत के प्रतिनिधि अधिकार की बात तो करते हैं, लेकिन कर्तव्य की बात कम करते हैं. दोनों के बीच 50-50 का तालमेल होना चाहिए. आज 90 फीसदी जनप्रतिनिधि अधिकार की बात करते हैं. अधिकार अपने हाथ में नहीं है. यह नहीं मिलेगा तो आक्रोश होगा.

कर्तव्य में लगे रहेंगे तो आक्रोश नहीं होगा. विकास आयुक्त सुधीर प्रसाद ने प्रभात खबर की अनुषंगी पंचायतनामा साप्ताहिक पत्रिका के दो साल पूरा होने के मौके पर आयोजित परिचर्चा में उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों से ज्यादा जिंदादिली है. यहां रहनेवाले लोग आज भी स्वावलंबी और स्वाभिमानी है. उनके लिए करुणा का भाव नहीं होना चाहिए. करुणा लोगों को कमजोर बनाती है. ग्रामीणों के स्वावलंबन के पीछे के संघर्ष को स्थान मिलना चाहिए.

गांव जागरूक होगा तो ही विकास : स्वामी शशांकानंद
रामकृष्ण मिशन आश्रम, मोरहाबादी के स्वामी शशांकानंद जी ने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है. जब तक गांव के लोग जागरूक नहीं होंगे, विकास नहीं होगा. पूरे भारत का एक-एक पैसा भी एक गांव को दे दिया जाये, तो विकास नहीं होगा. गांवों के अधिकार के लिए संघर्ष करना होगा.

मीडिया शहर की ओर, पंचायतनामा ने गांव दिखाया
राज्य प्रदूषण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एके मिश्र ने कहा कि आज मीडिया का शहरीकरण हो गया है. सभी मीडिया की नजर शहर की ओर है. पंचायतनामा ने गांव का रास्ता दिखाया है. आज भी हमारी पहचान गांवों से है. नौकरी पेशावाले छठे-सातवें वेतन आयोग की बात करते है, लेकिन ग्रामीणों और किसानों के वेतन आयोग की बात कौन करेगा. सर्ड के पूर्व निदेशक आरपी सिंह ने कहा कि पंचायतनामा में उठाये गये विषय अनुसंधान करनेवालों के लिए प्रासंगिक हैं. एनआरएचएम की अकई मिंज ने कहा है कि राज्य में संस्थागत प्रसव 2005 में सात फीसदी था. अब यह 54 फीसदी हो गया है. मातृ मृत्यु दर दो साल पहले एक लाख में 261 था, अब 219 हो गया है.

जागरूकता बढ़ी, पर नहीं मिला अधिकार : जिला परिषद अध्यक्ष सुंदरी तिर्की ने कहा कि जिले में 700 आंगनबाड़ी और 200 स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कराया गया है. कई पंचायत भवन भी बनाये गये हैं. जिला परिषद सदस्य एनुल हक अंसारी ने कहा कि पंचायत चुनाव ने रास्ता दिखाया है. गांवों में जागरूकता बढ़ी है, पर अधिकार नहीं मिले हैं. भ्रष्टाचार ने ग्रामीण विकास पर अंकुश लगा रखा है. पंचायतों को सशक्त करने के लिए और प्रयास चाहिए. जमुआ की पंचायत प्रमुख सोनी चौरसिया ने कहा कि एक मंच पर आकर हम अधिकार पाने की बात कर सकते हैं. स्वागत पंचायतनामा के संपादक संजय मिश्र तथा संचालन पुष्यमित्र ने किया.

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