रांची: व्यवहार न्यायालय परिसर में नोटबंदी का व्यापक असर दिखने लगा है. न्यायालय परिसर में मुवक्किलों की भीड़ पहले की तुलना में कम हुई है. अपने मुकदमे की जानकारी लेने आ रहे मुवक्किल भी अधिवक्ताओं से फोन नंबर मांग रहे हैं या सीधे अगली तिथि की जानकारी ले रहे हैं.
पहले जब 1000 और 500 रुपये के प्रचलन था, तब छोटे नोटों की पूछ कम थी. अब छोटे नोटों की पूछ बढ़ गयी है. अधिवक्ताओं को उनके मुवक्किलों से पेशगी के रूप में 100 से 150 रुपये मिल रहे हैं. वहीं, पेशकार अथवा अन्य 20-30 या अधिकतम 50 रुपये तक ही मिल रहे हैं. बाजार में छोटे नोटों की कमी की वजह से व्यवहार न्यायालय परिसर की चहल-पहल भी घटी है. यहां पर पुराने नोट बदले तो जा रहे हैं, पर एक हजार रुपये की जगह 800 रुपये ही मिल रहे हैं.
अधिकतर कुर्सियां खाली दिखीं : सोमवार को दोपहर एक से डेढ़ बजे व्यवहार न्यायालय परिसर का यही हाल था. जानकारी के अनुसार अधिकतर अधिवक्ता सुबह 11 बजे के बाद अपनी जगह पर बैठे तो जरूर थे, लेकिन उनके क्लाइंट नदारद थे. जिन अधिवक्ताओं ने अपने क्लाइंट को फोन पर बुलाया था, वे ही परिसर में नजर आ रहे थे. अधिकतर अधिवक्ताओं के सामने रखी कुर्सियां डेढ़ बजे तक खाली ही थीं. कुछ जो आ रहे थे, वे भी छुट्टे पैसे देकर कुछ ही देर में चले जा रहे थे. राजधानी के व्यवहार न्यायालय परिसर में एक से डेढ़ हजार अधिवक्ताओं की बैठने की जगह भी है. जी प्लस 2 भवन के प्रत्येक तल में कैफेटेरिया की सुविधा भी है. पर कैफेटेरिया में भी भीड़-भाड़ कम दिखी. प्रवेश द्वार पर डाक विभाग का एक प्वाइंट ऑफ सेल है. वहां पर लोग जरूरत की टिकटें और अन्य स्टांप खरीदते दिखे.