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स्टीफन ने संसदीय जीवन में स्थापित किये हैं उच्च आदर्श
उत्कृष्ट विधायक चयनित वर्ष 1980 से 2005 तक लगातार रहे विधायक सात बार बने विधायक राज्यसभा भी पहुंचे रांची : झामुमो के वरिष्ठ विधायक का चयन वर्ष 2016 के लिए उत्कृष्ट विधायक के सम्मान के लिए किया गया. झामुमो के अंदर शिबू सोरेन के निकटतम और विश्वासी सहयोगी रहे प्रो स्टीफन मरांडी ने झारखंड आंदोलन […]
उत्कृष्ट विधायक चयनित
वर्ष 1980 से 2005 तक लगातार रहे विधायक
सात बार बने विधायक राज्यसभा भी पहुंचे
रांची : झामुमो के वरिष्ठ विधायक का चयन वर्ष 2016 के लिए उत्कृष्ट विधायक के सम्मान के लिए किया गया. झामुमो के अंदर शिबू सोरेन के निकटतम और विश्वासी सहयोगी रहे प्रो स्टीफन मरांडी ने झारखंड आंदोलन के संघर्ष से लेकर संसदीय जीवन में गहरी पैठ और पहचान बनायी. शिक्षाविद प्रो मरांडी चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. झारखंड आंदोलन में बतौर बुद्धिजीवी वैचारिक पक्ष को मजबूत करने की जवाबदेही दी गयी थी. पठन-पाठन में मन लगता था, लेकिन झामुमो सुप्रीमो शिबू साेरेन के कहने पर पहली बार वर्ष 1980 में चुनाव लड़े. चुनाव जीते और फिर लगातार छह बार वर्ष 2005 तक विधायक बनते रहे. वर्ष 2004 में प्रो मरांडी को झामुमो ने राज्यसभा भेजा था. राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और 2005 में चुनाव लड़ने दुमका आये थे.
झारखंड आंदोलन से सक्रिय राजनीति में आये
प्रो मरांडी बताते हैं कि वर्ष 1978 से वह झारखंड आंदोलन से सक्रिय राजनीति में आये. गुरुजी के दबाव में चुनाव लड़े, फिर इस रास्ते पर आगे बढ़ गये. उल्लेखनीय है कि बीच में झामुमो के अंदर प्रो मरांडी वैचारिक मतभेद हुआ. झामुमो से थोड़े समय के लिए दूर रहे, लेकिन इस दौरान शिबू सोरेन के प्रति इनका लगाव कम नहीं हुआ. पहली बार 2009 में झामुमो नेता हेमंत सोरेन से दुमका में विधानसभा का चुनाव हार गये. झामुमो वापसी के बाद महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2014 में चुनाव लड़े और वर्तमान विधानसभा पहुंचे. संसदीय कार्यों में विधानसभा के अंदर प्रो मारंडी जानकार माने जाते हैं. विधानसभा के अंदर और बाहर शालीन तरीके से अपनी बातें रखते हैं. प्रो मरांडी ने राज्य में उपमुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री, वित्त मंत्री जैसी जवाबदेही निभा चुके हैं.
क्या कहते हैं स्टीफन
मैं झारखंड के एक विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं. क्षेत्र गरीब-गुरबा का है. उनकी उम्मीद और आशा है. मैं पूरे समर्पण के साथ उनके दु:ख-दर्द को दूर करने में लगा रहता हूं. यह पुरस्कार भी उन तमाम लोगों को ही समर्पित है. क्षेत्र की समस्याओं से अमूमन सभी विधायक घिरे रहते हैं. उन समस्या से जूझते हुए हमें संसदीय चीजों की जानकारी के लिए बहुत कम समय मिलता है. संसदीय उतकृष्टता बहुत हासिल नहीं कर पाते, लेकिन जितनी समझ और समय मिलता है, उसमें बेहतर आचरण के साथ कर्तव्य पूरा करने के लिए समर्पित रहता हूं.
वर्ष 1995 से 2000 के पूर्व विधायक होंगे सम्मानित
इन्हें मिलेगा सम्मान : ज्योतिष सोरेन, देवेद्र कुंवर, हुसैन अंसारी, सुरेश पासवान, रजनीश आनंद, शंकर चौधरी, गुरु सहाय महतो, चंद्रमोहन प्रसाद, दुलाल भुइयां, अरविंद कुमार सिंह, जवाहरलाल बानरा, मंगल सिंह बोबोंगा, अर्जुन मुंडा, यशवंत सिन्हा, विश्वनाथ भगत, नियल तिर्की, बसंत कुमार लौंगा, सघनु भगत, रामचंद्र सिंह, लालजीत राम, अल्फ्रेड डी रोजारिओ, विधानसभा पार्षद रहे राजेंद्रनाथ शाहदेव.
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