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मेयर-डिप्टी मेयर का अखाड़ा बना नगर निगम

दो जिम्मेवार पदधारियों की खींचतान से प्रभावित हो रहे जरूरी कामकाज, गुटबाजी में पार्षद और अधिकारी भी उलझे उत्तम महतो रांची : मेयर आशा लकड़ा और डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय दोनों ही भाजपा से जुड़े हुए हैं. दोनों को पार्टी में सम्मानित पद भी मिला हुआ है, लेकिन दोनों एक-दूसरे को सीधी आंख देखना पसंद […]

दो जिम्मेवार पदधारियों की खींचतान से प्रभावित हो रहे जरूरी कामकाज, गुटबाजी में पार्षद और अधिकारी भी उलझे
उत्तम महतो
रांची : मेयर आशा लकड़ा और डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय दोनों ही भाजपा से जुड़े हुए हैं. दोनों को पार्टी में सम्मानित पद भी मिला हुआ है, लेकिन दोनों एक-दूसरे को सीधी आंख देखना पसंद नहीं कर रहे हैं. निगम के किसी अधिकारी की डिप्टी मेयर से नजदीकी पर मेयर नाराज होती हैं, तो मेयर से किसी अफसर की नजदीकी डिप्टी मेयर को नागवार गुजरती है. इस वजह से अफसर मेयर-डिप्टी मेयर के साथ फिल्ड विजिट पर जाने से बचते नजर आते हैं.
मेयर-डिप्टी मेयर के बीच बने हालात का प्रमुख कारण रांची नगर निगम में लाइट मेंटिनेंस का काम करनेवाली एजेंसी ब्राइट न्यून साइन है. डिप्टी मेयर के नजदीक मानी जानेवाली एजेंसी के बारे में मेयर ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा था कि ब्राइट न्यून साइन के कार्यों के कारण रांची नगर निगम को प्रतिवर्ष सात करोड़ का घाटा हाे रहा है. कंपनी लाइट मेंटनेंस का काम तो कर रही है, लेकिन उसमें लगाये जानेवाले विज्ञापन पट्ट के राशि का हिस्सा निगम को नहीं दे रही है. मेयर द्वारा कंपनी पर यह आरोप लगाये जाने के बाद से डिप्टी मेयर और उनके समर्थक पार्षद मेयर से नाराज हो गये. निगम में यह चर्चा आम है कि एजेंसी पर मेयर द्वारा लगाये जा रहे आरोपों को डिप्टी मेयर खुद पर हमला मान रहे हैं.
कमेटियों से हटाये जाने के कारण नाराज थे डिप्टी मेयर : नोट फॉर वोट विवाद के कारण रांची नगर निगम के मेयर का चुनाव निगम चुनाव के लगभग डेढ़ साल बाद हुआ. उस अवधि में पार्षदों द्वारा डिप्टी मेयर चुने गये संजीव विजयवर्गीय ही रांची के मेयर के प्रभार में रहे. प्रभार के दौरान वह कई कमेटियों में भी मेयर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, लेकिन आशा लकड़ा के मेयर चुने जाने के बाद वह कमेटियों से बाहर किये जाने लगे. मेयर द्वारा आयोजित समीक्षा बैठकों का आमंत्रण उनको मिलना बंद हो गया. कई बार डिप्टी मेयर ने स्वयं को निगम की कमेटियों रखने की बात भी की, लेकिन मेयर ने उप महापौर को शामिल करने से सीधे मना कर दिया.
जनोपयोगी कार्यों पर पड़ रहा है असर : निगम में हो रही गुटबाजी का असर जनोपयोगी कार्यों पर पड़ रहा है. मेयर द्वार निगम बोर्ड की बैठक बुलाने पर डिप्टी मेयर और उनके समर्थक पार्षदों के विरोध के कारण बैठकें स्थगित करनी पड़ी. लगातार दो बार बोर्ड की बैठकों के बहिष्कार के बाद मेयर ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर बैठक की. उस बैठक में भी 54 पार्षदों में से केवल नौ पार्षदों ही आये. डिप्टी मेयर बैठक को असंवैधानिक करार देकर अब तक विरोध कर रहे हैं. ऐसे में शहर के विकास से संबंधित योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है. बोर्ड की स्वीकृति की प्रत्याशा में दर्जनों मामले फंसे हुए हैं.
निगम के पिछले दो बैठकों में जो भी हुआ, वह समझ से परे है. पार्षद क्यों बैठक में नहीं आये, इसकी जानकारी नहीं है. अगर किसी के मन में कुछ है, तो उसे बोर्ड के बैठक में सबके सामने रखना चाहिए था. बैठक का बहिष्कार कहीं से उचित नहीं है.
आशा लकड़ा, मेयर
निगम के सभी जनप्रतिनिधि एक संविधान से जुड़े हुए हैं. सबके लिए नियम व कानून बनाये गये हैं, लेकिन अगर इनका पालन नहीं होगा, तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न होगी ही. सभी अपने-अपने दायरे में रह कर काम करें तो कोई विवाद ही नहीं है.
संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर
डिप्टी मेयर के आरोपों पर मेयर ने दिया जवाब
रांची : नगर निगम के उप महापौर संजीव विजयवर्गीय द्वारा शनिवार के बोर्ड के बैठक को असंवैधानिक कहे जाने पर मेयर आशा लकड़ा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. मेयर आशा लकड़ा ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उप महापौर का यह आरोप पूरी तरह गलत है कि उनके पास बैठक की कोई फाइल नहीं भेजी गयी थी.
मेयर ने कहा कि बोर्ड की जो बैठक 19 नवंबर को हुई, यही बैठक 10 नवंबर को होनी थी. परंतु उस बैठक में किसी पार्षद नहीं आने के कारण उसे स्थगित करना पड़ा था. 10 नवंबर के बैठक की कॉपी डिप्टी मेयर को आठ नवंबर को ही भेजी गयी थी, जिसमें डिप्टी मेयर ने हस्ताक्षर भी किये हैं. ऐसे में बैठक की कॉपी नहीं भेजे जाने की बात बेबुनियाद है.
रात में जाना था हैदराबाद, दिन में थी बैठक : मेयर के उप महापौर के द्वारा लगाये गये दूसरे आरोप के संबंध में कहा कि उप महापौर ने हमसे आग्रह किया था कि कुछ पार्षद हैदराबाद जाने वाले हैं.
इसलिए 19 की बोर्ड बैठक को स्थगित किया जाये. इस पर मेयर ने कहा कि पार्षदों को रात के नौ बजे हैदराबाद जाना है, जबकि बोर्ड की बैठक दिन में थी. पार्षद चाहते तो बैठक में आ सकते थे. वैसे भी दिन को हुई इस बैठक में हैदराबाद जाने वाले छह पार्षद में से तीन बैठक में आये और तीन बैठक में नहीं आये. मेयर ने डिप्टी मेयर के बैठक के तिथि बढ़ाने के आरोप पर कहा कि ऐसी कोई बात उप महापौर ने हमसे नहीं कही थी. बल्कि मैंने खुद उन्हें बैठक में आने के लिए आमंत्रित किया था.

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