सभी का स्वागत पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया़ लोक गायक मुकुंद नायक की मंडली ने ढोल-नगाड़े के साथ परिवार का स्वागत किया़ शहीदों के वंशजों के पैर पखारे गये और हल्दी के स्पर्श के साथ अभिनंदन किया गया. इस मौके पर सुदेश महतो, मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी, विधायक रामचंद्र सहिस, विकास मुंडा आदि ने शहीदों के वंशजों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया. वंशजों के लिए आवास पर सम्मान भोज का भी आयोजन किया गया़.
मौके पर डाॅ देवशरण भगत, प्रदीप प्रसाद, डॉ संजय बसु मल्लिक, बी के चांद, डोमन सिंह मुंडा, डॉ शीन अख्तर, हसन अंसारी, अनिल टाईगर, हेमलता उरांव, नईम अंसारी, आदिल अजीम, सुनील उरांव, अजय सिंह, वायलेट कच्छप, सिमा सिंह आदि मौजूद थे़ सिदो-कान्हू के बलिदान की जीवंत प्रस्तुति, भावुक हुए लोग : शहीदों के सम्मान समारोह के मौके पर हूल क्रांति के नायक सिदो-कान्हू के संघर्ष की जीवंत प्रस्तुती की गयी़ छऊ नृत्य शैली और विद्रोह की भाव-भंगिमा के साथ 30 जून 1855 में अंगरेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत करने वाले क्रांति के नायकों के पारिवारिक पृष्ठभूमि से लेकर तात्कालिक परिस्थितियों प्रस्तुती दी गयी.अंगरेजों के दमन के खिलाफ और देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर करनेवाले आदिवासी नायकों की अमर गाथा की अनुभूति एक छोटे से पारंपिरक झारखंडी लघु नृत्य नाटक के माध्यम से करायी गयी. यह देख लोग भावुक हो गये.