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शिशु सर्जरी में मास्टर की पढ़ाई इस साल नहीं

शिशु सर्जरी में मास्टर की पढ़ाई इस साल नहीं लापरवाही. स्वास्थ्य विभाग की लेटलतीफी से इस साल रिम्स में शुरू नहीं हो पाये दो नये कोर्स राजीव पांडेय रांची : रिम्स के शिशु और शिशु सर्जरी विभाग में मास्टर कोर्स का शुरू नहीं हो पाना इसका प्रमाण है. विभाग द्वारा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया व […]

शिशु सर्जरी में मास्टर की पढ़ाई इस साल नहीं
लापरवाही. स्वास्थ्य विभाग की लेटलतीफी से इस साल रिम्स में शुरू नहीं हो पाये दो नये कोर्स
राजीव पांडेय
रांची : रिम्स के शिशु और शिशु सर्जरी विभाग में मास्टर कोर्स का शुरू नहीं हो पाना इसका प्रमाण है. विभाग द्वारा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव नहीं भेजा गया, जिससे यह कोर्स इस साल शुरू नहीं हो पाया.
शासी परिषद की बैठक में शिशु विभाग में मास्टर इन नियोनेटोलाॅजी व शिशु सर्जरी विभाग में मास्टर इन पीडियॉट्रिक सर्जरी कोर्स शुरू करने पर सहमति बनी थी. सहमति के बाद रिम्स प्रबंधन ने रांची विश्वविद्यालय से आग्रह कर दोनों विभागों का निरीक्षण करवाया. विवि ने निरीक्षण के बाद कोर्स शुरू करने की अनुमति दे दी. इसके बाद रिम्स प्रबंधन ने कोर्स की फीस (करीब दो लाख रुपये) का ड्राफ्ट बना प्रस्ताव की फाइल स्वास्थ्य विभाग को भेज
दी, लेकिन यह फाइल स्वास्थ्य विभाग में दो माह तक पड़ी रही. यहां तक कि रिम्स के दोनों विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक स्वयं जा कर स्वास्थ्य सचिव अवगत भी कराया, लेकिन फाइल को समय पर नहीं भेजा गया. समय पर फाइल नहीं भेजी गयी और सत्र का समय निकल गया.
कोर्स शुरू होने के बाद बिहार-झारखंड में पहला मेडिकल कॉलेज होता रिम्स
शिशु विभाग में डीएम व शिशु सर्जरी विभाग में एमसीएच कोर्स शुरू होने से रिम्स बिहार-झारखंड का पहला मेडिकल कॉलेज होता, जहां इसकी पढ़ाई होती. झारखंड व बिहार के शिशु चिकित्सकों को बाहर के राज्यों में पढ़ाई करने जाना पड़ता है. गौरतलब है कि झारखंड में सिर्फ एक चिकित्सक के पास डीएम की डिग्री है.
अगर प्रस्ताव भेज देता रिम्स प्रबंधन, तो दाे-दो विशेषज्ञ चिकित्सक निकलते
रिम्स में शिशु विभाग व शिशु सर्जरी में वर्तमान फैकल्टी व आधारभूत संरचना के हिसाब से दो-दो सीट पर पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिल पाती है. जानकार बताते हैं कि रिम्स अगर प्रस्ताव भेज देता तो एमसीआइ से कोर्स शुरू होने की औपबंधिक अनुमति इस साल से मिल जाती.
पीएफ जमा करें, वरना होगी कार्रवाई
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सेवा दे रहे अनुबंध कर्मचारियों और दैनिक कर्मियों को पीएफ का अशंदान नहीं देने के मामले को कर्मचारी भविष्य निधि ने गंभीरता से लिया है. साथ ही रिम्स प्रबंधन से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है. रिम्स को भेजे गये पत्र में कर्मचारी भविष्य निधि ने कहा है कि अगर कर्मचारियों का अशंदान नहीं दिया गया, तो नियम संगत कार्रवाई की जायेगी.
रिम्स प्रबंधन ने अंशदान के लिए सरकार से मदद मांगी है. कहा है कि पीएफ अंशदान के लिए हमारे पास कोई बजट नहीं है, इसलिए भुगतान नहीं किया जा रहा है. अत: सरकार इस संबंध में अपना मंतव्य दे. सरकार से आग्रह किया गया है कि वह भविष्य निधि अंशदान के लिए बजट का प्रावधान करे.
शासी परिषद से मिल चुकी है पीएफ की अनुमति : अनुबंध कर्मचािरयों और दैनिक कर्मचारियों को पीएफ देने के मामले पर रिम्स
के शासी परिषद की बैठक में सहमति मिल चुकी है. इसके बावजूद इन कर्मचारियों का अशंदान जमा नहीं किया जा रहा है. जबकि, नियमानुसार 20 से ज्यादा कर्मचारी होने पर
किसी भी संस्था को हर हाल में पीएफ देना है.
हम कर्मचारियों को पीएफ देना चाहते हैं, लेकिन हमारे पास बजट नहीं है. बजट के लिए सरकार से मतंव्य मांगा गया है. हमारा प्रयास है कि अगले माह से अशंदान शुरू हो जाये.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स

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