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कतरा-कतरा मेरे सुनहरे पलों को कोई जलाने लगा है….

रांची : नारायणी साहित्य अकादमी झारखंड इकाई के तत्वावधान में मंगलवार को अशोकनगर में युवा काव्य गोष्ठी आयोजित हुई. गोष्ठी की शुरुआत युवा कवयित्री सीमा चंद्रिका तिवारी की कविता से हुई. उनकी कविता की पंक्तियां-रिश्ता कोई भी हो समर्पण तो मांगे हैं, जैसा हो जिसका रूप दर्पण तो मांगे है, की लोगों ने खूब सराहना […]

रांची : नारायणी साहित्य अकादमी झारखंड इकाई के तत्वावधान में मंगलवार को अशोकनगर में युवा काव्य गोष्ठी आयोजित हुई. गोष्ठी की शुरुआत युवा कवयित्री सीमा चंद्रिका तिवारी की कविता से हुई. उनकी कविता की पंक्तियां-रिश्ता कोई भी हो समर्पण तो मांगे हैं, जैसा हो जिसका रूप दर्पण तो मांगे है, की लोगों ने खूब सराहना की.
अकादमी के संरक्षक आशुतोष प्रसाद ने अपनी गजल सुनायी : कतरा-कतरा मेरे सुनहरे पलों को कोई जलाने लगा है, हर रोज नया सबेरा अौर नया पल दिल पर छाने लगा है. अकादमी की सचिव सारिका भूषण ने भी कविता पढ़ी-वह एक चिराग हजारों से बेहतर नजर आता है, रौशन जिससे एक घर नहीं सारा शहर हो जाता है. जवाहर लाल की कविता की इन पंक्तियों ने खूब वाहवाही लूटी-ये जो दिल तुम्हारे लिए है इसके दर्द हमारे लिए हैं, इश्क के धार में हम साथ बहे आज हम दो किनारे लिए हैं. कवयित्री गिरिजा कुमारी ने कविता पढ़ी -जब कोई रूठ जाता है
बड़ी तकलीफ होती है, दिलों में दर्द सरसराते हैं बड़ी तकलीफ होती है. संगीता कुमारी टॉक ने कविता के माध्यम से कहा कि तुमने मुझे कभी कोई अंगूठी नहीं पहनायी, क्या लौटाऊं तुम्हें, कैसे याद दिलाऊं कि मैं तेरी वही शकुंतला हूं. मीरा सोनी ने अपने भावों को लोगों के सामने कुछ इस तरह से रखा- जीवन की दौड़ में प्रभु जी दो इतना वरदान, हम सब बने रहें इंसान. शिल्पी कुमारी ने सुनाया-सरफरोशी की तमन्ना घटती जा रही है, इंसान में मानवता रुकती जा रही है.

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