रांची से लेकर महुलिया और फिर महुलिया से लेकर पश्चिम बंगाल की सीमा तक सड़क के दोनों ओर बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं. रात के वक्त कोई गाड़ी तेज गति से आयी, तो उसका दुर्घटनाग्रस्त होना तय है.
सड़क चौड़ीकरण के दौरान गार्डवाल नहीं दिये जाने के कारण दूसरी ओर की मिट्टी मुख्य सड़क पर आ जा रही है. रांची से जैसे-जैसे जमशेदपुर की ओर बढ़ते हैं गड्ढे बड़े होते जाते हैं. आसनबनी, कांदरबेड़ा, नागरडीह, पारडीह में इतने बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं कि ट्रक भी फंस जा रहे हैं. फोर लेन निर्माण कर रही एजेंसी ही निर्माण होने तक जर्जर एनएच 33 की मरम्मत के लिए भी है जिम्मेवार. लेकिन इसमें सुस्ती अौर लापरवाही बरती जा रही है. पिछले पांच साल में लगभग 30 फीसदी ही काम हुआ है पूरा.
नियमित काम नहीं होने से सड़क की क्वालिटी भी प्रभावित हो रही है. राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकार (एनएचएआइ) ने एजेंसी मेसर्स मधुकॉन को रांची से टाटा के बीच 163.50 किलोमीटर फोर लेन रोड निर्माण का काम मार्च 2011 में दिया था. 15 जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक बारिश के मौसम में एनएच 33 फोर लेन के निर्माण का काम नहीं के बराबर हुआ है. सड़क की मरम्मत नहीं होने से प्रतिदिन यहां 25-25 किलोमीटर तक ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है. हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं.