रांची: राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के सहारे बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही किशोरियों को एनिमिया से बचाने के लिए आयरन की गोली उपलब्ध करायी जाती है. कुपोषण से निबटने के लिए पोषण मिशन ने आंगनबाड़ी केंद्रों तक लोगों की पहुंच, उससे मिलनेवाली सेवा, स्वच्छता सहित सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का सही सही आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने का फैसला किया.
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चिंताजनक : 18 साल से पहले कर दी जाती है 62 प्रतिशत लड़कियों की शादी
सरकार के पोषण मिशन द्वारा राजधानी रांची के मुसलिम बहुल इलाके हिंदपीढ़ी में किये गये एक सर्वे के बाद तैयार की गयी रिपोर्ट चिंताजनक आंकड़े पेश करती है. राजधानी की सबसे घनी मुसलिम आबादी वाले इलाके में 11.20 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं. 37.42 प्रतिशत महिलाएं अपने पति से अधिक शिक्षित हैं. शैक्षणिक स्तर ठीक रहने […]
सरकार के पोषण मिशन द्वारा राजधानी रांची के मुसलिम बहुल इलाके हिंदपीढ़ी में किये गये एक सर्वे के बाद तैयार की गयी रिपोर्ट चिंताजनक आंकड़े पेश करती है. राजधानी की सबसे घनी मुसलिम आबादी वाले इलाके में 11.20 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं. 37.42 प्रतिशत महिलाएं अपने पति से अधिक शिक्षित हैं. शैक्षणिक स्तर ठीक रहने के बावजूद 62 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है, जबकि यहां की 33 प्रतिशत महिलाओं ने आंगनबाड़ी केंद्र देखा ही नहीं.
शकील अख्तर
रांची: राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के सहारे बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही किशोरियों को एनिमिया से बचाने के लिए आयरन की गोली उपलब्ध करायी जाती है. कुपोषण से निबटने के लिए पोषण मिशन ने आंगनबाड़ी केंद्रों तक लोगों की पहुंच, उससे मिलनेवाली सेवा, स्वच्छता सहित सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का सही सही आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने का फैसला किया.
रांची: राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के सहारे बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही किशोरियों को एनिमिया से बचाने के लिए आयरन की गोली उपलब्ध करायी जाती है. कुपोषण से निबटने के लिए पोषण मिशन ने आंगनबाड़ी केंद्रों तक लोगों की पहुंच, उससे मिलनेवाली सेवा, स्वच्छता सहित सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का सही सही आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कराने का फैसला किया.
इसलिए पहले हिंदपीढ़ी में पहले किया गया सर्वेक्षण : सर्वेक्षण के लिए सबसे पहले हिंदपीढ़ी को चुना गया, ताकि राजधानी में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्र का आकलन कर राज्य की स्थिति का अनुमान किया जा सके. हिंदपीड़ी में 94.74 प्रतिशत मुसलमान, 3.77 हिंदू और 1.49 प्रतिशत अन्य जाति व धर्म के लोग हैं. सर्वेक्षण कि लिए इस मुसलिम बहुल क्षेत्र को आठ हिस्सों में बांटा गया. हर क्षेत्र से समानुपातिक रूप से शामिल किया गया. ‘स्नोबॉल सैंपलिंग सिस्टम’ से सर्वेक्षण में 875 घरों की किशोरियों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शामिल किया गया. उनसे आंगनबाड़ी से मिलनेवाली सेवा, शिक्षा, स्वच्छता सहित अन्य मुद्दों पर विशेषज्ञों द्वारा तैयार किये सवालों के जवाब पूछे गये.
आंगनबाड़ी केंद्रों के मामले में निराशाजनक राय : सर्वेक्षण में इस बात की नकारी मिली कि यहां मांग के मुकाबले आंगनबाड़ी सेवा की उपलब्धता कम है. यहां की 33 प्रतिशत महिलाओं ने आंगनबाड़ी केंद्र देखा ही नहीं है. आंगनबाड़ी से मात्र सिर्फ 9.01 प्रतिशत महिलाओं को आयरन की गोली मिलती है. अर्थात आंगनबाड़ी केंद्रों के मामले में महिलाओं के राय निराशाजनक है. यहां सबसे ज्यादा 29.49 महिलाएं हाइस्कूल तक पढ़ी हैं. 7.54 प्रतिशत ग्रेजुएट और 2.29 प्रतिशत के पास पीजी की डिग्री है. अपने पति के मुकाबले 37.42 प्रतिशत महिलाएं अधिक शिक्षित हैं. जबकि 32.73 प्रतिशत पति के बराबर शिक्षित हैं. इसके बावजू हर पांच में से तीन लड़की की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है. यहां सिर्फ 10.74 प्रतिशत के पास ही सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है. स्वच्छता की जानकारी होने के बावजूद 24.7 प्रतिशत महिलाएं शौच के बाद साबुन से हाथ नहीं धोती हैं. 74 प्रतिश महिलाएं खाने और बच्चों के खिलाने से पहले साबुन से हाथ धोती हैं. 49.4 प्रतिशत महिलाएं ही सेनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र से महिलाओं के संबंध
42.63 प्रतिशत महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र होने की जानकारी नहीं
80.18 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं आंगनबाड़ी में निबंधित नहीं है
स्तनपान करानेवाली 75 प्रतिशत महिलाएं निबंधित नहीं हैं
97.7 प्रतिशत किशोरी लड़कियां निबंधित नहीं हैं, सिर्फ 2.3 प्रतिशत ही निबंधित हैं
आंगनबाड़ी के मांग के मुकाबले बहुत कम सुविधाएं मिल रही हैं
आंगनबाड़ी केंद्र से सिर्फ दो प्रतिशत महिलाओं को आयरन की गोली मिली
आंगनबाड़ी पर महिलाओं की राय
33.51 प्रतिशत महिलाओं ने कहा, कभी आंगनबाड़ी देखा ही नहीं
19.57 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि आंगनबाड़ी कभी-कभी खुलता है
18.50 प्रतिशत ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर कभी कभी नजर आती हैं.
05.36 प्रतिशत ने कहा कि सेविका ने कभी सेवाओं की जानकारी नहीं दी
06.70 प्रतिशत ने कहा कि आंगनबाड़ी ने सेवा देने से इनकार किया
06.97 प्रतिशत ने कहा कि सेवा नियमित नहीं है
09.38 प्रतिशत आंगनबाड़ी की सेवा लेने के पक्ष में नहीं हैं
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