27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इंडिया टुडे ग्रुप कॉन्क्लेव : राजनीति ठीक हो, तो अर्थव्यवस्था भी ठीक होगी

इंडिया टुडे ग्रुप का द स्टेट ऑफ द स्टेट कॉन्क्लेव में राज्य की आर्थिक संपन्नता के सूत्रों पर मंथन हुआ. आर्थिक उत्थान के लिए जरूरी चीजों पर बातें हुईं. निचोड़ था कि राज्य की राजनीति दुरुस्त हो, तो आर्थिक संपन्नता भी आ जायेगी. जनता को विकास कार्यों में साझीदार बनाना राज्य की आर्थिक संपन्नता के […]

इंडिया टुडे ग्रुप का द स्टेट ऑफ द स्टेट कॉन्क्लेव में राज्य की आर्थिक संपन्नता के सूत्रों पर मंथन हुआ. आर्थिक उत्थान के लिए जरूरी चीजों पर बातें हुईं. निचोड़ था कि राज्य की राजनीति दुरुस्त हो, तो आर्थिक संपन्नता भी आ जायेगी. जनता को विकास कार्यों में साझीदार बनाना राज्य की आर्थिक संपन्नता के लिए सुखदायी बताया गया. स्वस्थ झारखंड को सुखी झारखंड का मंत्र कहा गया. स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली पर काफी काम होने की जरूरत बतायी गयी.

कृषि पर फोकस करने के फायदों पर चर्चा हुई. पूर्ण महिला सशक्तीकरण की दिशा में बहुत सारे कार्यों का शेष होना स्वीकारा गया. न्यायालय की साख पर चिंतन हुआ. वहीं राज्य सरकार के मौजूदा स्वरूप और कार्यों की सराहना भी हुई. मंथन का निष्कर्ष था कि आर्थिक उत्थान के लिए व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी. संस्थान खड़े करने होंगे. कानून व्यवस्था की जड़ें मजबूत करनी होंगी. बिजली की स्थिति सुधारनी हाेगी.

संस्थानों को मजबूत करने पर देना होगा ध्यान : हरिवंश

वरिष्ठ पत्रकार व राज्यसभा सांसद हरिवंश ने कहा कि आर्थिक रूप से विकसित होने के लिए सबसे जरूरी चीज राजनीति है. राजनीति ठीक नहीं होगी, तो विकास ठीक नहीं होगा. झारखंड की वर्तमान स्थिति में बड़ा हाथ राज्य की कमजोर गंठबंधन सत्ता का रहा है. सिंगापुर, कोरिया जैसे देश बिना खनिज संपदा के आगे बढ़ गये़ खनिज संपदा के मामले में अमीर होने के बाद भी राज्य की परिस्थितियां नहीं सुधरी. सोचना होगा कि कहीं खनिज ही झारखंड का अभिशाप तो नहीं.

उन्होंने कहा कि कमजोर राजनीति की वजह से राज्य में संस्थानों की मजबूती पर काम नहीं हो सका. अच्छे संस्थान नहीं खुल सके. संस्थानों को मजबूत करने पर ध्यान देना होगा़ शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, बिजली आदि पर काम नहीं हो सका. मजबूत आर्थिक परिस्थितियों के लिए विधानसभा की भूमिका महत्वपूर्ण है. दुर्भाग्य से आज तक झारखंड में कभी पंचवर्षीय योजनाओं पर विधानसभा में चर्चा की जरूरत नहीं समझी गयी है. इसके ठीक उलट 82 सदस्यों की विधानसभा के लिए 700 से ज्यादा लोगों की नियुक्ति की गयी. उन्होंने कहा कि राज्य के आर्थिक विकास में सबको अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी.

झारखंड कल, आज और कल विषय पर आयोजित इंडिया टुडे कॉनक्लेव में सांसद व अभिनेता मनोज तिवारी, निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा व गैंग अॉफ वासेपुर के लेखक जिशान कादरी ने हिस्सा लिया. उन्होंने झारखंड में फिल्म सिटी बनाने के विषय पर विस्तार से चर्चा की व सुझाव भी दिये. उन्होंने बताया कि किस तरह यहां माहौल तैयार कर स्थानीय लोगों को फिल्मी जगत में रोजगार दिया जा सकेगा. इस दौरान झारखंड सरकार द्वारा बनायी गयी फिल्म नीति की भी सराहना की गयी.

स्वास्थ्य सुविधाओं पर काफी काम करना शेष : पीपी शर्मा

पूर्व मुख्य सचिव पीपी शर्मा ने कहा कि झारखंड में खान-खदान की बात होती रहती है. पर असल में झारखंड की खनिज संपदा का स्वामित्व केंद्र का है. झारखंड के आर्थिक विकास के लिए खनिज को छोड़ लोगों के स्वास्थ्य से जोड़ने की जरूरत है. राज्य में स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. आज भी 78 प्रतिशत प्रखंडों में स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं. स्वास्थ्य पर काफी काम होना बाकी है. स्वस्थ झारखंड, सुखी झारखंड बनाने के लिए आधारभूत संरचना खड़ी करने की जरूरत है. राज्य में विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान हैं.

फिर भी उनमें पढ़ने वाले किसी युवा को राज्य में काम करने का मौका नहीं मिल पाता. माइनिंग क्षेत्र में 72 फीसदी लोगों के टीबी से ग्रसित होने की रिपोर्ट है. लोगों की जान की कीमत पर किसी भी तरह का विकास सही नहीं है. अब तक राज्य में 200 एकड़ से भी कम भूमि पर कोल कंपनियों ने वनरोपण किया है. ऐसे में सुधार के लिए रिसर्च के बाद स्थापित मानकों को आधार बना कर ही माइनिंग की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए.

विकास के लिए विश्वास जरूरी : अमित खरे

राज्य के विकास आयुक्त सह वित्त सचिव अमित खरे ने कहा कि राज्य के आर्थिक विकास के लिए लोगों के सोच में बदलाव करना होगा. प्रगति में आम लोगों को साझीदार बनाना होगा. दूसरों पर विश्वास करने की आदत डालनी होगी. राज्य में स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम करना होगा. कृषि पर फोकस करना होगा. महिला सशक्तीकरण पर काम करना होगा. सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए श्री खरे ने कहा कि राज्य सरकार शासक नहीं, सेवक की भूमिका में है. झारखंड में इनोवेशन फंड बनाया गया है. अगले पांच वर्षों में इसका बजट 250 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जायेगा. स्टार्ट अप के लिए सरकार नयी पॉलिसी बना रही है.

मौके पर एक युवा उद्यमी के सरकारी भुगतान में सामने आनी वाली परेशानियों के निदान से संबंधित सवाल पूछे जाने पर श्री खरे ने कहा कि अभी व्यवस्था पुराने ढर्रे पर चल रही है. मौजूदा व्यवस्था में सरकार से भुगतान लेने वाले को जितनी परेशानी उठानी पड़ती है, उतनी ही दिक्कत सरकार को भी राजस्व वसूली में होती है. तकनीक के माध्यम से चीजों को ठीक करने का प्रयास चल रहा है.

कॉनक्लेव में झारखंड के औद्योगिक पुनर्जागरण पर भी विमर्श हुआ. व्यवस्था को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के फार्मूलों पर बात हुई. व्यवस्था में तकनीक का प्रयाेग जरूरी बताते हुए सुधार के लिए इसकी भूमिका पर मंथन हुआ. भ्रष्टाचार का रोड़ा हटाने के लिए संस्थाओं को मजबूत करने की जरूरत महसूस की गयी. जमीन से संबंधित समस्या के लिए विकल्पों पर विचार जरूरी बताया गया. विमर्श का सार था : उद्योगों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के साथ सरकारी अधिकारियों को कार्यशैली में सुधार लाना होगा.

जरूरत है सही प्लेटफॉर्म देने की, फिर यह राज्य आगे बढ़ेगा : प्रकाश झा

कार्यक्रम में निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने कहा कि झारखंड में सिर्फ खदान ही नहीं है. यहां कला-संस्कृति के साथ-साथ यहां के लोगों में काफी हुनर है़ झारखंड अग्रणी राज्य बन सकता है़ जरूरत है केवल झारखंड को सही प्लेटफॉर्म देने की. अगर सही दिशा व सहयोग इस राज्य को मिले, तो यह आगे बढ़ जायेगा. झारखंड में सांस्कृतिक रूप से बड़ा बदलाव कैसे हो सकता है?

इस सवाल का जवाब देते हुए श्री झा ने कहा कि उन्होंने अपनी तीन फिल्म मृत्युदंड, गंगाजल व अपहरण की शूटिंग मध्यप्रदेश के सतारा में की थी, जहां कभी शूटिंग नहीं होती थी. अब वहां फिल्म उद्योग बन गया है. होटलें विकसित हो गयी हैं. कोई ऐसा दिन नहीं है कि वहां फिल्म की शूटिंग न हो. श्री झा ने कहा कि पर्यटन बढ़े और इसके इंफ्रास्ट्रक्चर हो, तो यहां सबकुछ हो जायेगा. फिर क्यों लोग मुंबई में ही फिल्म बनायेंगे. वे झारखंड में आयेंगे. हां इसके लिए मॉनर्ड तरीके से प्रचार की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि जय गंगाजल में उन्होंने मध्यप्रदेश से ही 53 कलाकारों को अलग-अलग कामों के लिए लिया है. वह कहते हैं कि केवल रीजनल फिल्म बनाने को बढ़ावा नहीं नहीं दिया जाये, बल्कि उसे दिखाने की भी व्यवस्था हो. इस उद्योग को एक विजन के साथ यहां चालू करने की जरूरत है.

झारखंड में फिल्म बनाने के लिए सबकुछ है : मनोज तिवारी

सांसद सह अभिनेता मनोज तिवारी ने कहा कि झारखंड में फिल्म बनाने के लिए सब कुछ है. फिल्म बनाने के लिए आये लोगों को होटल चाहिए. नदी-पहाड़ चाहिए़ यह सब यहां से अच्छा कहां मिलेगा. यहां की फिल्म नीति की भी उन्होंने प्रशंसा की. साथ ही कि जिस तरह रांची में कॉनक्लेव हो सकता है, पतरातू में 200 एकड़ जमीन मिल सकती है, तो आशा है कि पांच साल में यह कॉनक्लेव पतरातू में भी हो सकता है.

उन्होंने कहा कि हमें क्षेत्रीय जरूरतों को समझना होगा. जब तक रीजनल जरूरत को नहीं समझेंगे, लोकल लोगों को रोजगार नहीं दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि नागपुरी व संथाली में फिल्म बनानी है, तो मुंबई कोई कैसे जायेगा? तेलगु-तमिल सब फिल्म तो मुंबई में ही बनी. यहां हॉलीवुड भी आयेगा. देश में कोई भी फिल्म सिटी खाली नहीं मिलती है. बुकिंग करानी पड़ती है. उन्होंने कहा कि झारखंड में बदलाव हो रहा है. क्षेत्रीय कलाकार, भाषा व संस्कृति सबको बढ़ाना होगा.

सुरक्षित माहौल मिले, तभी लोग आयेंगे : कादरी

फिल्म निर्देशक व स्क्रिप्ट राइटर जे कादरी ने कहा कि झारखंड में फिल्म सिटी बनाने के लिए माहौल तैयार करना होगा. केवल पतरातू में जमीन मिल जाने से यह नहीं होगा, बल्कि इसके लिए सुरक्षा भी जरूरी है. अगर किसी को सुरक्षित व कंफर्टेबल माहौल मिले, तो फिर यहां फिल्म बनाने में क्या दिक्कत है.

झारखंड से कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें कोई जानता नहीं. उन्हें सामने लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शुरू में तो यह पता चला कि झारखंड में फिल्म बनाने के लिए पैसे देने होंगे, तो हमने सोचा कि क्यों पैसा दूंगा. यहां फिल्म क्यों बनाऊं. बाद में यह क्लियर हुआ कि नीति गलत थी. उसमें संशोधन कर दिया गया है. यह सबको अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि गैंग अॉफ वासेपुर की स्टोरी पहले 40 पेज में लिखी थी. बाद में आठ पन्ने पर उसे निचोड़ कर उसे निर्देशक को दिया, जिसका चयन किया गया. उन्होंने कहा कि झारखंड की मिट्टी में कुछ तो है कि हमारे पूर्वज जहां गये राजा बने.

ब्यूरोक्रेसी पर बड़ी िजम्मेवारी : महेश पोद्दार

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि राज्य में उद्योग लगाने में आज भी लोगों को वही परेशानी है, जो 1980 में हुआ करती थी. बिजली की समस्या, सरकारी विभागों में समन्वय नहीं होने की दिक्कत, मार्केटिंग मैकेनिज्म की कमी, प्रशिक्षित कार्यबल की परेशानी.

कुल मिला कर स्थिति में बहुत सुधार नहीं दिखता है. राज्य गठन के बाद पहली बार सरकार को मिले स्थायित्व ने पुनर्जागरण का मौका दिया है. अब पूरी जिम्मेदारी ब्यूरोक्रेसी पर है. ब्यूरोक्रेट को ही सरकारी योजनाओं काे धरातल पर उतारना होगा. उन्होंने कहा कि पुराने अनुभवों के कारण झारखंड में लोगों का विश्वास औद्योगिकीकरण या माइनिंग से उठ गया है. लोग किसी भी नये प्रोजेक्ट का विरोध करते हैं. हमें विरोध के कारणों को समझना होगा और उसे दूर करने पर काम करना होगा. झारखंड का परिवेश ग्रामीण है. लोगों को जमीन के बदले जमीन ही उपलब्ध कराने जैसे विकल्पों के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा़

प्रशासन में तकनीक महत्वपूर्ण : आरएस शर्मा

ट्राइ के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि झारखंड का विकास नहीं होने के कारणों पर लंबी चर्चा होती रही है. परेशानियों का पता चलने के बावजूद राजनीतिक अस्थिरता विकास में बाधक बनती रही. कमजोर राजनीति का असर हर काम में पड़ा. एक से अधिक पावर सेंटर की वजह से ब्यूरोक्रेसी की लॉयल्टी पर भी फर्क पड़ा. अफसरों का राज्य के प्रति कमिटमेंट कमजोर हुआ. पर अब स्थितियां बदल गयी हैं. राजनीतिक स्थिरता के साथ विजन भी मिल गया है. स्वास्थ्य की कीमत पर खनन नहीं होना चाहिए.

प्रशासन सुधारने में तकनीक की भूमिका महत्वपूर्ण है. तकनीक के इस्तेमाल से सभी स्तर पर पारदर्शिता और विश्ववसनीयता बढ़ेगी. तकनीक का इस्तेमाल ही योजनाओं को लागू करने में होने वाली परेशानियों से छुटकारे का उपाय है. राज्य के विकास के लिए चार चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली और सड़क. ये चार चीजें व्यवस्थित हो जायें, तो विकास का रास्ता कोई अवरुद्ध नहीं कर सकता है.

राजनीतिक अस्थिरता है बाधक : अजीत झा

इंडिया टुडे समूह के संपादक (विशेष प्रोजेक्ट) अजीत झा ने कहा है कि समूह की तरफ से स्टेट ऑफ द स्टेट कार्यक्रम के जरिये राज्यों की स्थिति का आकलन शुरू किया गया था. 2003 में शुरू किये गये इस प्रयास में पहली बार बीमारू कहे जानेवाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रकाशित करने का काम हुआ है. झारखंड में विकास, आर्थिक स्थिति, लोगों की जीवनशैली, शहरीकरण जैसे मानकों पर पहली बार समेकित रिपोर्ट तैयार की गयी है.

इसमें जिलावार सर्वेक्षण किया गया है, जो राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन और राज्य सरकार के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों पर आधारित है. कहने को झारखंड में 1907 में औद्योगिकीकरण की शुरुआत हुई थी. टाटा स्टील, बोकारो व रांची में बड़े उद्योग लगे. धनबाद कोल हब बना, पर यहां की आबादी आज भी गरीब है. 40 प्रतिशत खनिज संपदा होने के बाद भी शहरीकरण कम हो रहा है. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता भी विकास में बड़ी बाधक रही है.

भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा, तकनीक ही भविष्य : संजय

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी एक पोस्ट बॉक्स की तरह है. सरकार की योजनाओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाना ही ब्यूरोक्रेसी का काम है. राजनीतिक कारणों से ब्यूरोक्रेसी पिछले कुछ समय से अपना काम ठीक से नहीं कर पा रही थी.

फैसला नहीं लेने या निर्णय रोकना बड़ी समस्या थी. इसमें सुधार हो रहा है. ब्यूरोक्रेट बढ़िया करने की कोशिश कर रहे हैं. भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है. इससे निबटने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो बनाया गया. सेवाओं को राइट टू सर्विस एक्ट में जोड़ा गया. संस्थाओं को मजबूत करने का काम हो रहा है. टेक्नोलॉजी ही भविष्य है. व्यवस्था बेहतर करने के लिए योजनाओं को तकनीक से जोड़ा जा रहा है. सेवा प्रदाता व्यवस्था का भी कंप्यूटराइजेशन किया जा रहा है. श्री कुमार ने कहा कि वर्षों से चले आ रहे स्थानीयता के मुद्दे को सरकार ने परिभाषित करने का काम किया़ यह माहौल सुधरने के संकेत हैं. सरकार विकास में सबको भागीदार बनाने का काम कर रही है.

गरीबी का प्रमुख कारण भूमिहीन होना है : हेमंत

हम पीछे नहीं हैं. कई मायने में राज्य की स्थिति बेहतर है. पर यह सही है कि जिस रफ्तार से आगे बढ़ना चाहिए था, उस रफ्तार से राज्य आगे नहीं बढ़ा है. कहा जाता है औद्योगिकीकरण से ही विकास होगा, पर हम इससे सहमत नहीं हैं. नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा िक औद्योगिकीकरण से प्रदूषण और उग्रवाद मिला है. राज्यों का जीडीपी तीन विषयों पर निर्भर करता है-कृषि, उद्योग और सर्विस. आज यहां 75 प्रतिशत लोग गरीब हैं. ग्रामीण इलाकों में 56 प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार किसानी कार्य में 10 प्रतिशत गिरावट आयी है, यानी किसान मजदूर बन गये हैं. हम उद्योग के विरोध में नहीं हैं. यहां बोकारो, टाटा स्टील, एचइसी, कोल इंडिया जैसी कंपनियां काफी पहले से हैं. गरीबी का मुख्य कारण भूमिहीन होना भी है.

मानव संसाधन का विकास जरूरी : अर्जुन मुंडा

यह सच है कि जितनी तेजी से राज्य को बढ़ना चाहिए था, उतनी तेजी से हम आगे नहीं बढ़ पाये, लेकिन कई अच्छी चीजें भी हुई हैं. 16 साल में कुछ काम नहीं हुआ है, यह कहना गलत है. काफी काम हुए हैं. यदि ऐसा नहीं होता, तो कई मामलों में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल नहीं होता.

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा िक झारखंड या किसी स्टेट का आर्थिक विकास का पैमाना डाटा बेस से आंका जाता है. आर्थिक विकास का डाटा बेस हमेशा परफेक्ट नहीं होता. यदि डाटा बेस परफेक्ट नहीं होगा, तो बाकी चीज फेल हो जाती है. इसलिए आंकड़ा हमेशा परफेक्ट होना चाहिए. संसाधन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है मानव संसाधन. हम मानव संसाधन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सके. संसाधन हमेशा सहायक होता है. इससे हम हर उपलब्धि को हासिल नहीं कर सकते. हमेशा कहा जाता है कि झारखंड मिनरल रिच स्टेट है, तो इन संसाधनों का उपोयग करते हुए मानव संसाधनों का भी विकास कैसे हो, इस पर सोचना होगा, तभी राज्य का विकास हो सकता है. सस्टेनेबल इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए मानव संसाधन का सही इस्तेमाल होना चाहिए.

16 साल में 300 प्रतिशत राशि सरेंडर : सुखदेव

संसाधनों का मिसमैनेजमेंट हुआ है. 16 साल में हर साल 25 प्रतिशत राशि सरेंडर हुई है. मतलब अबतक 300 प्रतिशत राशि सरेंडर कर दी गयी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा िक झारखंड का पहला बजट सरप्लस बजट था, पर हम बजट राशि को खर्च नहीं कर सके. अभी ही देखिए तीन माह पहले बजट सत्र हुआ था. अभी मॉनसून सत्र में फिर से सप्लीमेंट्री बजट ला रहे हैं. मतलब हमने ठीक से प्लानिंग नहीं की. इसे ठीक करने की जरूरत है. तभी विकास संभव है.

आम लोग कैसे सशक्त हों, सोचना होगा : सरयू

राज्य गठन के बाद जिन्होंने भी सत्ता संभाला, उन्होंने कुछ-न-कुछ किया ही है. आजादी के पहले व एकीकृत बिहार के समय भी आगे बढ़ने का आधार कमजोर था. रेलवे लाइन वगैरह ऐसे रूट पर बनाये गये, जिससे कि संसाधन को यहां से बाहर ले जाया जा सके. राज्य के खाद्य आपूिर्त मंत्री सरयू राय ने कहा िक राज्य गठन के बाद हम आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं, पर आम लोग कैसे सशक्त हों, इस पर सोचना होगा. अगर हम संसाधन को ही इनकम मानने लगेंगे, तो कुछ साल बाद स्थिति खराब हो जायेगी. प्राइमरी सेक्टर जिसमें खेती और कुटीर उद्योग आते हैं, उस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. नेचर ने जितना दिया है, उसका सही तरीके से उपयोग होना चाहिए. कौशल विकास ऐसा होना चाहिए कि लोग अपने कौशल से अपना विकास कर सकें.

पूर्वी सिंहभूम को सर्वश्रेष्ठ जिला का खिताब

रांची : इंडिया टुडे के स्टेट ऑफ द स्टेट झारखंड कॉनक्लेव में राज्य के कई जिलों को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने के लिए पुरस्कृत किया गया. विभिन्न पारा मीटर पर अध्ययन के बाद पूर्वी सिंहभूम को ओवर ऑल बेस्ट जिला का खिताब दिया गया. इसी प्रकार कानून व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत नौ कैटगरी में आंकने के बाद जिलों को पुरस्कार प्रदान किया गया. मुख्यमंत्री रघुवर दास और इंडिया टुडे ग्रुप के ग्रुप एडिटोरियल डॉयरेक्टर राज चेंगप्पा ने विभिन्न जिलों के प्रशिक्षु आइएएस को पुरस्कार प्रदान किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें