रांची: झारखंड के डॉक्टरों की सोशल मीडिया और ह्वाट्सएप पर सक्रियता यहां के मरीजों के इलाज में काफी कारगर साबित हो रही है. संचार क्रांति के माध्यम से देश व राज्य के डॉक्टर पैनल बना कर बीमारी पर गहन चर्चा करते हैं, इसके बाद एक मत हो कर निर्णय लेते हैं. इसका लाभ मरीजों काे मिल रहा है. दूर-दराज के डॉक्टरों को भी एक्सपर्ट ओपिनियन मिल जाता है. इसके बाद वह मरीज को सही परामर्श दे देते हैं.
एपीए ने शुरू किया है यह नया प्रयोग : यह नया प्रयोग एसोसिएशन आॅफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीए) झारखंड चैप्टर ने शुरू किया है. एपीए ने ह्वाट्सएप ग्रुप बनाया है. एपीए के चेयरमैन डॉ एनके सिंह ने बताया कि ग्रुप में करीब 254 डॉक्टर हैं, जो अपनी जानकारी व अनुभव आदान-प्रदान करते हैं. ह्वाट्सअप ग्रुप में अधिकतम 256 सदस्य ही रह सकते हैं. हम इसके करीब हैं. कई डॉक्टर इसमें जुड़ना चाहते हैं, लेकिन उनको जाेड़ना संभव नहीं है. ग्रुप में कोलकाता, मुंबई, कानपुर, पटना सहित कई राज्यों के चिकित्सक जुड़े हैं.
ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों को लाभ : इस ह्वाट्सएप ग्रुप का सबसे ज्यादा लाभ ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों को मिल रहा है. वहां मरीज को परामर्श देते समय जो असमंजस रहता है, वह ग्रुप में डाल देते हैं. ग्रुप में बीमारी के हिसाब से पैनल है, जिसके एक्सपर्ट अपनी राय देते हैं. इसीजी, अल्ट्रासोनोग्राफी, सीटी स्कैन आदि की रिपोर्ट डालते हैं.
मरीज को समय पर दी महानगर जाने की सलाह
ग्रुप के एक डॉक्टर ने मरीज का इसीजी रिपोर्ट डाली. ग्रामीण क्षेत्र के डॉक्टर को इसीजी में कुछ संदेह था. ग्रुप में डालते ही मेदांता दिल्ली के एक चिकित्सक ने मरीज की इसीजी रिपोर्ट में गड़बड़ी पकड़ी. उन्होंने मरीज को तत्काल महानगर में जा कर विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज कराने की सलाह दी. वहीं न्यूरो की समस्या लेकर एक मरीज ने ग्रुप के चिकित्सक से परामर्श लिया. डॉक्टर साहब को संदेह हुआ तो उन्होंने सीटी स्कैन को ह्वाट्सएप ग्रुप में डाला. इसके बाद न्यूरो के एक्सपर्ट पैनेल ने अपना ओपेनियन दिया. चिकित्सक ने इसके हिसाब से दवा दी.
यह ग्रुप चिकित्सक व मरीजों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है. चिकित्सकों का संदेश दूर होता है, जिससे वह मरीज को सही दवा देते हैं. ग्रुप का लाभ ग्रामीण क्षेत्र डॉक्टरों को ज्यादा हो रहा है.
डॉ एनके सिंह, चेयरमैन एपीए