जून 2016 तक डैम का काम 25 प्रतिशत और राइट-लेफ्ट मेन कनाल का केवल 1.2 प्रतिशत काम किया गया है, जबकि डैम आउट-ले का काम 35 प्रतिशत, स्पिल वे का काम 60 प्रतिशत व स्पिल चैनल का काम 53 प्रतिशत ही किया जा सका है. जल संसाधन विभाग के नियमानुसार, ठेकेदार को अब तक किये गये काम के बदले में 19.79 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए था. पर ठेकेदार को केवल 28 प्रतिशत काम के बदले में 44.74 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है. यह कुल योजना लागत 66.93 करोड़ रुपये का 67 प्रतिशत है.
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काम किया 19.79 करोड़ का, भुगतान लिया 44.74 करोड़
रांची: केशो जलाशय योजना में ठेकेदार ने 19.79 करोड़ रुपये का काम कर सरकार से 44.74 करोड़ रुपये का भुगतान करा लिया़ वर्ष 2010 में निर्माण की निर्धारित समय सीमा खत्म होने के छह वर्ष बाद भी अधूरी पड़ी केशो जलाशय योजना का काम विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था. मार्च 2007 में किये […]
रांची: केशो जलाशय योजना में ठेकेदार ने 19.79 करोड़ रुपये का काम कर सरकार से 44.74 करोड़ रुपये का भुगतान करा लिया़ वर्ष 2010 में निर्माण की निर्धारित समय सीमा खत्म होने के छह वर्ष बाद भी अधूरी पड़ी केशो जलाशय योजना का काम विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था. मार्च 2007 में किये गये एकरारनामे के तहत विजेता कंस्ट्रक्शन को 66.93 करोड़ रुपये की लागत पर दिसंबर 2010 तक केशो डैम का निर्माण पूरा करना था, लेकिन अब तक केवल एक तिहाई काम ही किया जा सका है. नहरों का निर्माण कार्य शुरुआत से आगे नहीं बढ़ाया गया है. एप्रोच चैनल और रेलवे स्ट्रक्चर का काम तो शुरू भी नहीं किया गया है.
जून 2016 तक डैम का काम 25 प्रतिशत और राइट-लेफ्ट मेन कनाल का केवल 1.2 प्रतिशत काम किया गया है, जबकि डैम आउट-ले का काम 35 प्रतिशत, स्पिल वे का काम 60 प्रतिशत व स्पिल चैनल का काम 53 प्रतिशत ही किया जा सका है. जल संसाधन विभाग के नियमानुसार, ठेकेदार को अब तक किये गये काम के बदले में 19.79 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए था. पर ठेकेदार को केवल 28 प्रतिशत काम के बदले में 44.74 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है. यह कुल योजना लागत 66.93 करोड़ रुपये का 67 प्रतिशत है.
काम असंतोषजनक होने पर की गयी जांच : जल संसाधन विभाग ने केशो जलाशय योजना के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा के दौरान काम को असंतोषजनक पाया था. इसके बाद इस मामले की विस्तृत जांच के लिए मुख्य अभियंता जल संसाधन (हजारीबाग) की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी में अधीक्षण अभियंता हजारीबाग, कार्यपालक अभियंता बरही और कार्यपालक अभियंता गुण नियंत्रण प्रमंडल को शामिल किया गया था. जांच समिति को 15 दिन के अंदर जांच पूरी करनी थी. मामले की जांच के बाद कमेटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है.
जांच समिति ने 13 अभियंताओं को दोषी माना : केशो जलाशय योजना में ठेकेदार को काम से अधिक भुगतान करने के मामले में जांच समिति ने कुल 13 अभियंताओं को दोषी माना है. इसमें दो कार्यपालक अभियंता, तीन सहायक अभियंता और शेष कनीय अभियंता हैं. जांच समिति ने कार्यपालक अभियंता अवधेश कुमार सिन्हा, सकलदेव मिश्र, सहायक अभियंता शशि भूषण पांडेय, भीमराज सिंह और विजय कुमार को दोषी माना है. जांच समिति ने कनीय अभियंता रामभजु सिंह, गोपाल प्रसाद, नंदलाल प्रसाद, दिलकेश्वर सिंह, राजेंद्र साह, मो फहीन, नरेश साह और स्वर्गीय अजय कुमार सिंह को दोषी माना है.
तय समय से छह वर्ष बाद भी अधूरी केशो जलाशय योजना एक तिहाई काम ही हुआ
काम का नाम कुल लागत भौतिक प्रगति % भुगतान होना था भुगतान किया गया
2058 मीटर लंबा डैम निर्माण 26.70 25 6.67 22.99
डैम ले आउट 3.27 35 1.14 2.74
स्पिल वे 13.03 60 7.81 12.59
स्पिल चैनल 6.47 53 3.43 5.97
मुख्य नहर 15.38 1.2 1.8 4.5
(नोट : लागत व भुगतान की राशि करोड़ रुपये में)
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