रांची: झारखंड ने मनरेगा के साथ अाजीविका कार्यक्रम (मनरेगा-एनआरएलएम- सीएफटी प्रोजेक्ट) के क्रियान्वयन में देश भर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. मनरेगा के तहत मानव दिवस का सृजन, समय पर भुगतान, महिला स्वयं सहायता समूह की जागरूकता तथा आजीविका के साधनों के विकास सहित पूरे कार्यक्रम की जबरदस्त माॅनिटरिंग के कारण झारखंड के प्रदर्शन को सबसे बेहतर अांका गया है.
राज्य के दो दिवसीय दौरे पर अपनी अाठ सदस्यीय टीम के साथ झारखंड अायी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव अपराजिता षाड़ंगी ने कहा कि झारखंड ने मनरेगा कार्यक्रमों के लिए बेहतर माहौल बनाया है. यह ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव, मनरेगा अायुक्त व इनकी टीम के कुशल नेतृत्व के कारण संभव हुआ है.
झारखंड के प्रदर्शन से बेहद खुश संयुक्त सचिव ने होटल बीएनआर में कार्यक्रम की समीक्षा के तुरंत बाद झारखंड के अौर 50 प्रखंडों में मनरेगा सह आजीविका कार्यक्रम के संचालन की मंजूरी दे दी. झारखंड को प्रति प्रखंड सालाना 28 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता मिलेगी. इससे पहले केंद्रीय टीम ने 14 जून को खूंटी के तोरपा तथा गुमला के बसिया व रायडीह प्रखंड का दौरा कर मनरेगा के तहत डोभा निर्माण सहित अाजीविका के कार्यक्रमों को देखा तथा ग्रामीणों से बात की. झारखंड सहित देश के कुल 11 राज्यों में यह कार्यक्रम चल रहा है. इनमें उत्तर प्रदेश को छोड़ सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी केंद्रीय टीम के साथ दो ग्रुपों में बंट कर फील्ड विजिट किया. 15 जून को समीक्षा के दौरान सभी राज्यों के प्रतिनिधि, कलस्टर फैसिलिटेशन टीम (सीएफटी) की तरह संबंधित प्रखंडों में कार्यक्रम के लिए सामाजिक उत्प्रेरण का कार्य कर रही गैर सरकारी संस्थाअों के प्रतिनिधियों सहित ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी तथा स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाएं भी उपस्थित थीं. एक-एक कर सभी राज्यों ने अपना प्रेजेंटेशन दिया, जिसके बाद केंद्रीय संयुक्त सचिव अपनी प्रतिक्रिया के साथ विशेष टिप्पणी करती जा रही थीं. झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ व राजस्थान के प्रदर्शन को अच्छा कहा गया.
अभिभूत थीं संयुक्त सचिव
सीएफटी प्रोजेक्ट में झारखंड की उपलब्धियों से संयुक्त सचिव अपराजिता षाडंगी इतनी खुश थीं कि उन्होंने करीब पांच घंटे के समीक्षा कार्यक्रम के दौरान कई बार झारखंड के लिए हैट्स अॉफ…अाइ सैल्यूट….व अमेजिंग…जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. अपराजिता ने कहा कि झारखंड ने अपने दरवाजे केंद्र सहित 10 राज्य के अधिकारियों के लिए खुद खोल दिये, यह बड़ी बात है. अपने घर के दरवाजे दूसरों के लिए वही खोल सकता है, जो साहसी व पारदर्शी हो. वहीं पत्रकारों के पूछने पर उन्होंने बड़ी विनम्रता से झारखंड की कुछ कमियां भी बतायी, पर कहा कि प्रधान सचिव व इनकी टीम खुद इसे ठीक कर रही हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड को पहले से चले अा रहे 3.61 लाख लंबित कार्य पूर्ण करने होंगे. डाकघर में अब भी करीब 62 फीसदी खाते हैं, जिन्हें बैंकों में ट्रांसफर करना है. वहीं जॉब कार्ड भी अपडेट करने हैं.
क्या है मनरेगा-एनअारएलएम-सीएफटी
यह ग्रामीण विकास मंत्रालय का पायलट प्रोजेक्ट है, जिसे देश के 11 राज्यों के 250 पिछड़े प्रखंडों में वर्ष 2014 में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य गैर सरकारी संस्थाअों की सहायता से मनरेगा कार्यक्रमों के जरिये आजीविका के साधनों (कृषि व इससे जुड़े) का विकास करना है. यह काम समेकित प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन (आइएनआरएम) कर महिलाअों की भागीदारी से होता है. इसका उद्देश्य संबंधित प्रखंडों के ज्यादा से ज्यादा लोगों को काम दिलाने, उन्हें समय पर मजदूरी का भुगतान करना तथा स्थानीय एस्सेट (संपत्ति) का निर्माण करना है. संस्थाएं इस कार्यक्रम में कलस्टर फैसिलिटेशन टीम (सीएफटी) की भूमिका में होती है. एक प्रखंड में अधिकतम तीन सीएफटी होते हैं. एक सीएफटी में तीन लोग रहते हैं. झारखंड के 21 जिलों के 76 प्रखंड में सीएफटी कार्यक्रम चल रहे हैं. वर्तमान में उक्त प्रखंडों के 956 पंचायतों में 219 सीएफटी कार्यरत हैं.
इन राज्यों के प्रतिनिधि हुए शामिल
झारखंड, बिहार, अोड़िशा, प.बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, अांध्रप्रदेश व तेलंगाना. उत्तर प्रदेश का कोई प्रतिनिधि नहीं आया था.
एक लाख आम के पौधे लगेंगे
मनरेगा के तहत बन रहे करीब एक लाख डोभा की मेड़ पर या पास में पांच लाख आम के पौधे लगेंगे. इससे डोभा की मेड़ मजबूत रहेगी तथा मिट्टी का कटाव रुकेगा. ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री के स्तर से निर्णय हुआ है कि मनरेगा तथा कृषि विभाग के करीब दो लाभ डोभा के किनारे 10 लाख आम के पौधे लगाये जायेंगे.