निर्माण होने के बाद कुछ दिनों तक एक आयुर्वेद डॉक्टर बैठते थे अौर छात्रों का इलाज करते थे. बताया जाता है कि इसके बाद डिस्पेंसरी बंद हो गयी. 1980 में उक्त भवन में स्नातकोत्तर कॉमर्स विभाग खोल दिया गया. तब से लेकर अब तक उसी डिस्पेंसरी में स्नातकोत्तर विभाग चल रहा है. कालांतर में उक्त भवन में ऊपरी तल्ला का निर्माण भी कराया गया है. इसी विभाग में पहले एमबीए कोर्स भी चल रहा था, जिसे बाद में अलग भवन दिया गया.
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रांची विवि की डिस्पेंसरी में चल रहा पीजी कॉमर्स विभाग
रांची: रांची विवि की स्नातकोत्तर कॉमर्स विभाग डिस्पेंसरी (अौषधालय) में चल रहा है. वर्ष 1975-76 में यूजीसी ने विवि में पांच से 10 बेड के अस्पताल बनाने के लिए विवि को पांच लाख रुपये उपलब्ध कराये थे. विवि में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के पास डिस्पेंसरी का निर्माण कराया गया. निर्माण होने के बाद […]
रांची: रांची विवि की स्नातकोत्तर कॉमर्स विभाग डिस्पेंसरी (अौषधालय) में चल रहा है. वर्ष 1975-76 में यूजीसी ने विवि में पांच से 10 बेड के अस्पताल बनाने के लिए विवि को पांच लाख रुपये उपलब्ध कराये थे. विवि में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के पास डिस्पेंसरी का निर्माण कराया गया.
इधर, यूजीसी द्वारा नैक टीम से विवि का निरीक्षण कराया जा रहा है. नैक की गाइडलाइन के आधार पर विवि में पांच से 10 बेड का अस्पताल होना अनिवार्य है. इसमें एक डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर सहित इलाज के लिए उपकरण आदि की व्यवस्था होनी है. विवि के समक्ष नैक की इस शर्त को पूरा करने में परेशानी हो रही है. अस्पताल के नहीं रहने से विवि की ग्रेडिंग घटने की संभावना है. फिलहाल विवि द्वारा नैक को भेजी जा रही रिपोर्ट को लेकर विवि उक्त कॉलम को भरने को लेकर चिंतित है.
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