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मुकदमे में मिलीभगत, जिला जज निलंबित

शकील अख्तर/ विवेक चंद्र रांची: हजारीबाग के जिला जज एवं अपर सत्र न्यायाधीश रहे धीरेंद्र कुमार मिश्रा को दुष्कर्म के प्रयास के एक मुकदमे में मिलीभगत के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. उन पर दुमका में पदस्थापन के दौरान एक व्यापारी के खिलाफ मुकदमा करनेवालों के संपर्क में रहने का आरोप है. इस […]

शकील अख्तर/ विवेक चंद्र
रांची: हजारीबाग के जिला जज एवं अपर सत्र न्यायाधीश रहे धीरेंद्र कुमार मिश्रा को दुष्कर्म के प्रयास के एक मुकदमे में मिलीभगत के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. उन पर दुमका में पदस्थापन के दौरान एक व्यापारी के खिलाफ मुकदमा करनेवालों के संपर्क में रहने का आरोप है. इस तरह के आरोप में किसी न्यायिक अधिकारी को निलंबित किये जाने की संभवत: यह पहली घटना है.
अदालत ने मांगा था साक्ष्य : दिल्ली (इंद्रपुरी) निवासी करण मदन ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर अपने ऊपर दर्ज दुष्कर्म के प्रयास से संबंधित मुकदमे को खारिज करने का मांग की. इसमें दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला बीना कुमारी को पार्टी बनाया. साथ ही इस मामले में दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र पर मिलीभगत का आरोप लगाया. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की अदालत में 14 दिसंबर 2015 को याचिका की सुनवाई हुई. इसमें याचिकाकर्ता काे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ साक्ष्य देने की बात कही गयी. अदालत ने एक माह बाद मामले में सुनवाई का फैसला किया.
फाेन कॉल डिटेल पेश किया था : समय मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने पूरक शपथ पत्र दायर कर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बीना के पिता विजय शर्मा व अन्य के फोन पर एक- दूसरे के संपर्क में रहनेे का आरोप लगाते हुए कॉल डिटेल पेश किया. न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की अदालत में 18 जनवरी 2016 को फिर सुनवाई हुई. अदालत ने पूरे प्रकरण में दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की भूमिका की जांच की अावश्यकता बतायी. साथ ही मामले को ‘डबल बेंच’ में भेजने का फैसला किया.
एसएमएस का भी अादान- प्रदान हुआ था : इसके बाद न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार गुप्ता की अदालत में 24 फरवरी 2016 को इस मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने और फोन कॉल का ब्योरा देखने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से पहले और बाद में दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा, नागेश्वर पांडेय और राजीव पांडेय एक- दूसरे के संपर्क में रहे हैं. इन सभी के बीच फोन कर बातचीत होती रही है.

दुष्कर्म का आरोप लगानेवाली महिला के पिता विजय शर्मा भी नागेश्वर पांडेय व राजीव पांडेय के संपर्क में रहे हैं. इन लोगों के बीच एसएमएस का भी अादान- प्रदान हुआ है. दुष्कर्म के प्रयास की घटना पांच नवंबर 2014 को हुई बतायी गयी थी. 17 नवंबर 2014 को शिकायतवाद दायर किया गया था. 29 नवंबर को संज्ञान लेने के बाद करण मदन के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया. हालांकि इसे सर्व नहीं किया गया. इसके बाद नौ जनवरी को गैर जमानती वारंट जारी किया गया.

मामला मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया था : न्यायमूर्ति द्वय ने इन परिस्थितियों को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए गैर जमानती वारंट सहित दुष्कर्म के प्रयास में चल रहे मुकदमे को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया. साथ ही इस मामले में दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए इसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया. इसके बाद धीरेंद्र कुमार मिश्र को निलंबित कर दिया गया.
क्या है मामला : दिल्ली के व्यापारी करण मदन ने एक संपत्ति खरीदी थी. इस पर नागेश्वर पांडेय का कब्जा था. कब्जा हटाने के मामले में शुरू हुई कानूनी लड़ाई में दिल्ली के व्यापारी की जीत हुई. आरोप है कि इसके बाद नागेश्वर पांडेय ने सुनियोजित साजिश के तहत बीना कुमारी से करण मदन पर दुष्कर्म करने के प्रयास का आरोप लगाते हुए दुमका के तत्कालीन मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा की अदालत में शिकायतवाद याचिका दायर करायी. मुकदमे की पैरवी के लिए राजीव पांडेय को रखा. दुष्कर्म के प्रयास का मामला दर्ज होने के बाद मदन करण ने साजिश का पता लगाने के उद्देश्य से तत्कालीन न्यायिक दंडाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा, संपत्ति पर कब्जा करनेवाले नागेश्वर पांडेय, पैरवीकार राजीव पांडेय और आरोप लगानेवाली महिला के पिता विजय शर्मा के फोन कॉल का डिटेल निकाला. इसमें पता चला कि ये सभी लोग मुकदमा करने से पहले और बाद में एक-दूसरे के संपर्क में थे. कॉल डिटेल का विश्लेषण करने के बाद मदन करण ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को हाइकोर्ट में चुनौती दी. हाइकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और धीरेंद्र कुमार मिश्रा को निलंबित कर दिया.

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