पेयजल विभाग ने जमशेदपुर में 100 चापानल लगाने का काम मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज को दिया था. ठेकेदार के साथ किये गये एकरारनामे के तहत ठेकेदार को यह काम तीन महीने में पूरा करना था, पर इस ठेकेदार ने एक ही दिन में 99 चपानल लगा दिया. जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने चापानल लगाने के लिए आवश्यक सामग्रियों( केसिंग, जीआइ पाइप व हैंड पंप) की खरीद और तृतीय पक्ष द्वारा की गयी जांच से संबंधित प्रमाण पत्र भी पेश किया था. ठेकेदार ने जीआइ पाइप की गुणवत्ता की जांच कोलकाता की एसजीएस नामक कंपनी से कराने का दावा किया था. साथ ही इससे संबंधित प्रमाण पत्र भी पेश किये थे. इस प्रमाण पत्र में यह लिखा गया है कि सामग्रियों की जांच 27, 28, 29 और 31 नवंबर 2007 को की गयी, पर गुणवत्ता की जांच से संबंधित प्रमाण पत्र 26 नवंबर को ही अर्थात जांच शुरू होने से एक दिन पहले ही जारी कर दिया गया. सिर्फ इतना ही नहीं नवंबर महीने में 30 दिन होने के बावजूद 31 नवंबर को भी जांच करने का उल्लेख किया गया. इस प्रमाण पत्र से ठेकेदार द्वारा सामग्रियों की खरीद और गुणवत्ता जांच की हकीकत का पता लगाया जा सकता है.
बावजूद इसके विभागीय अभियंताओं ने 28 नवंबर को जीआइ पाइप की खरीद का भौतिक सत्यापन किया. इसके बाद ठेकेदार ने चापानल लगाने के लिए केसिंग की खरीद का दावा किया और सत्यापन के लिए विभागीय अभियंताओं को दिया. विभाग के कनीय अभियंता से अधीक्षण अभियंता तक ने दो दिसंबर 2007 को केसिंग की खरीद का भौतिक सत्यापन किया. आश्चर्यजनक ढंग से विभाग के कनीय अभियंताओं ने तीन दिसंबर 2007 को ही 100 में से 99 चापानल लगाने के ठेकेदार के दावे को सत्यापित कर मापी पुस्तिका पर हस्ताक्षर कर दिये. चापानल लगाने की इस गड़बड़ी की शिकायत के बाद इस मामले को निगरानी के हवाले कर दिया गया. निगरानी ने छह साल तक जांच की और विभाग को 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, पर निगरानी ने एक ही दिन में 99 चापानल लगाने के कारनामे पर चुप्पी साध ली. सरकार ने निगरानी की रिपोर्ट के आधार पर ठेकेदार को अक्तूबर 2014 काली सूची में डाल दिया. पिछले दिनों एक शिकायत की जांच के दौरान विभाग को ठेकेदार के इस कारनामे की जानकारी मिली.