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जानिए कौन कहलायेगा झारखंडी

30 साल से झारखंड में रहनेवाला स्थानीय 15 साल में पहली बार झारखंड की स्थानीयता परिभाषित झारखंड बनने के लगभग 15 साल बाद सरकार ने स्थानीयता को परिभाषित कर दिया है. कैबिनेट की बैठक के बाद इसकी घाेषणा कर दी गयी है. रघुवर सरकार का यह बड़ा फैसला है. जिस व्यक्ति या उसके पूर्वज का […]

30 साल से झारखंड में रहनेवाला स्थानीय
15 साल में पहली बार झारखंड की स्थानीयता परिभाषित
झारखंड बनने के लगभग 15 साल बाद सरकार ने स्थानीयता को परिभाषित कर दिया है. कैबिनेट की बैठक के बाद इसकी घाेषणा कर दी गयी है. रघुवर सरकार का यह बड़ा फैसला है.
जिस व्यक्ति या उसके पूर्वज का नाम अंतिम सर्वे खतियान में हाेगा या जाे भी अधिसूचना की तिथि से 30 साल पहले से या उससे अधिक समय से झारखंड क्षेत्र में रह रहे हाें, या जिनका जन्म झारखंड में हुआ हाे और मैट्रिक या समतुल्य की परीक्षा यहीं से पास की हाे, वे सभी स्थानीय माने जायेंगे. भूमिहीनाें के लिए भाषा-संस्कृति काे भी आधार माना गया है.
इसके साथ ही झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र में अगले 10 साल तक तृतीय आैर चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नाैकरियां स्थानीय के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं. सरकार ने जेपीएससी आैर झारखंड कर्मचारी चयन आयाेग की परीक्षाआें में स्थानीय भाषाआें काे शामिल किया है. संविधान के तहत पूरे देश की डाेमेसाइल नीति एक हाेती है. काेई भी देश में कहीं भी नाैकरी कर सकता है. इस बात काे ध्यान में रखते हुए संविधान के दायरे में झारखंड सरकार ने यह फैसला किया है.
गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में स्थानीयता को परिभाषित कर दिया गया. सरकार ने अनुसूचित जिलों में तृतीय व चतुर्थ वर्ग के 100 प्रतिशत पदों को संबंधित जिले के स्थानीय निवासी के लिए आरक्षित करने का फैसला लिया है.
स्थानीयता की परिभाषा राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होते ही पूरे राज्य में प्रभावी हो जायेगी. पर अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों पर किये गये आरक्षण का प्रावधान राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही प्रभावी होगा. सरकार इस फैसले को राज्यपाल के माध्यम से सहमति के लिए राष्ट्रपति को भेजेगी. कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा, चंद्रप्रकाश चौधरी, अमर बाउरी व रणधीर सिंह ने इसकी जानकारी दी.
स्थानीयता का विकल्प चुन सकेंगे राज्य व केंद्र सरकार के कर्मचारी
मंत्रियों ने बताया : राज्य व केंद्र सरकार के झारखंड में कार्यरत कर्मचारी स्थानीयता का विकल्प चुन सकेंगे. अगर वह झारखंड राज्य को चुनेंगे, तो उन्हें व उनकी संतान को यहां का स्थानीय माना जायेगा. पर इसके बाद वह अपने पूर्व के गृह राज्य में स्थानीयता का लाभ नहीं ले सकेंगे. वहीं, झारखंड को नहीं चुनने की स्थिति वह अपने गृह राज्य में ही स्थानीयता का लाभ ले सकेंगे. झारखंड में उन्हें स्थानीय नहीं माना जायेगा. मंत्रियों ने बताया : स्थानीयता की परिभाषा कैबिनेट के फैसले की अधिसूचना जारी होते ही प्रभावी हो जायेगी. जिस तिथि को संबंधित अधिसूचना जारी होगी, उसके 30 वर्ष पहले से झारखंड में रहनेवाला हर व्यक्ति झारखंडी माना जायेगा.
जेपीएससी व कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में स्थानीय
भाषा शामिल
उन्होंने बताया : कैबिनेट ने जिला स्तरीय पदों पर स्थानीय की नियुक्ति के लिए पदों को चिह्नित भी कर दिया है. कैबिनेट ने झारखंड लोक सेवा आयोग व राज्य कर्मचारी चयन आयोग में स्थानीय भाषाओं को शामिल करने का फैसला किया है.
अब संताली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंच परगनिया में परीक्षा लिखने की सुविधा होगी. सरयू राय की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के आलोक में स्थानीय भाषा और झारखंड राज्य संबंधित सामान्य ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा के पेपर-2 भाषा एवं साहित्य विषय की परीक्षा के अंक 100 से बढ़ा कर 150 करने का फैसला किया गया है. इससे मुख्य परीक्षा के सभी पत्रों का योग अब 1,000 से बढ़ कर 1050 हो जायेगा.
विशेष : इनसाइड जैकेट पर
आसान शब्दों में जानिए आप स्थानीय हैं या नहीं
– अधिसूचना की तिथि के बाद 30 वर्ष पूरा करनेवाला स्थानीय होगा या नहीं?
नहीं. यह मान कर चला जा सकता है कि कट-ऑफ डेट तय हो गया. अधिसूचना की तिथि के बाद 30 वर्ष पूरा नहीं करने की स्थिति में किसी व्यक्ति को स्थानीय नहीं माना जायेगा. हां उसकी अगली पीढ़ी झारखंडी हो सकती है.
– झारखंड में जन्म लेने के बाद 10वीं की पढ़ाई पूरी नहीं करनेवाला भूमिहीन स्थानीय होगा या नहीं?
झारखंड में जन्म और 10 वीं की पढ़ाई की पात्रता तय की गयी है. इसमें तथा शब्द का व्यापक अर्थ है. स्थानीयता के लिए यह दोनों शर्त मान्य है. झारखंड में 10वीं की पढ़ाई करनेवाला भूमिहीन भी स्थानीय होगा़
– बाहर जन्म लेने और झारखंड से मैट्रिक की परीक्षा पास करनेवाले स्थानीय कहलायेंगे या नहीं?
हां वह स्थानीय होगा.
– झारखंड में जन्म लेने और बाहर से मैट्रिक की परीक्षा पास करनेवाला भूमिहीन स्थानीय होगा या नहीं?
हां होगा.
– 30 साल से अधिक समय से झारखंड में रहनेवाला अगर स्थानीय भाषा नहीं जानता है और वह भूमिहीन हो, तो उसकी पहचान कैसे होगी?
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभा और शहर में सक्षम प्राधिकार की अनुशंसा के आधार पर स्थानीय की पहचान की जायेगी़
कौन कहलायेगा झारखंडी
1. झारखंड की भौगोलिक सीमा में निवास करनेवाले वैसे सभी व्यक्ति, जिनका स्वयं या पूर्वज के नाम गत सर्वे खतियान में दर्ज हो और वैसे मूल निवासी जो भूमिहीन है उनके संबंध में भी उनकी प्रचलित भाषा, संस्कृति व परंपरा के आधार पर ग्राम सभा की ओर से पहचान किये जाने पर स्थानीय कहलायेंगे.
2. झारखंड के वैसे निवासी जो व्यापार, नियोजन या अन्य कारणों से झारखंड में पिछले 30 साल या उससे अधिक समय से निवास करते हों और अचल संपत्ति अर्जित किया हो़ ऐसे व्यक्ति की पत्नी / पति/ संतान भी.
3. झारखंड सरकार की ओर से संचालित या मान्यता प्राप्त संस्थानों/ निगमों आदि के नियुक्त और कार्यरत पदाधिकारी या कर्मचारी या उनकी पत्नी/ पति/ संतान.
4. भारत सरकार के पदाधिकारी या कर्मचारी, जो झारखंड में कार्यरत हों. या उनकी पत्नी/ पति/ संतान.
5. झारखंड में किसी संवैधानिक या विधिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति या उनकी पत्नी/ पति/ संतान.
6. जिनका जन्म झारखंड राज्य में हुआ हो और जिन्होंने अपनी मैट्रिक या समकक्ष स्तर
की पूरी शिक्षा झारखंड में स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों में पूरी की हो.
कैसे होगी बहाली
जिला स्तर के इन पदों पर सिर्फ उसी जिले के स्थानीय लोगों की ही नियुक्ति होगी
शिक्षक जनसेवक, पंचायत सचिव, आरक्षी
चौकीदार, वन रक्षी और एएनएम आदि
एसटी बाहुल्य जिलों में तृतीय और चतुर्थवर्गीय पद अगले 10 सालों के लिए संबंधित जिले के स्थानीय को राज्य सरकार ने भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची की धारा-5 की उपधारा-1 के निहित शक्तियों के तहत अनुच्छेद 309 के अंतर्गत गठित अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिलों के लिए तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पद अगले 10 वर्षों के लिए संबंधित जिलों के स्थानीय निवासियों से ही भरने का निर्णय लिया है. यह साहेबगंज, पाकुड़ दुमका, जामताड़ा लातेहार, रांची, खूंटी गुमला, लोहरदगा सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला -खरसावां. इनके अलावा गोड्डा के सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर, पलामू के चैनपुर प्रखंड में प्रभावी होगा़ इन इलाकों में ट्राइबल सब प्लान लागू है.
जेपीएससी और एसएससी में इन स्थानीय भाषाओं को शामिल किया गया
संथाली, मुंडा हो, खड़िया, कुड़ुख (उरांव) कुरमाली खोरठा, नागपुरी पंचपरगनिया आदि में भी अभ्यर्थी परीक्षा लिख सकते हैं.
कैबिनेट की बैठक से पहले तक राय लेते रहे मुख्यमंत्री रघुवर दास
झारखंड के विकास में अब कोई अड़चन नहीं
सरहुल और रामनवमी के अवसर पर झारखंडवासियों को स्थानीय नीति के तौर पर राज्य की कैबिनेट ने एक तोहफा दिया है. झारखंड के लोगों की यह बहुप्रतिक्षित मांग थी. उम्मीद करता हूं कि अब झारखंड के विकास के रास्ते में कोई अड़चन नहीं आयेगी. यह निर्णय झारखंड के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा.
-रघुवर दास, मुख्यमंत्री

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