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एक्ट बन जाता, तो हर सला नहीं बढ़ती स्कूल फीस

सरकार ने नहीं बनाया झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट सरकार की सहमति से दो शैक्षणिक सत्र में एक बार बढ़ाता शुल्क रांची : राज्य में निजी स्कूलों के शुल्क निर्धारण को लेकर एक्ट नहीं बना है. झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट बन जाने से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग […]

सरकार ने नहीं बनाया झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट
सरकार की सहमति से दो शैक्षणिक सत्र में एक बार बढ़ाता शुल्क
रांची : राज्य में निजी स्कूलों के शुल्क निर्धारण को लेकर एक्ट नहीं बना है. झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट बन जाने से निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग जाता. एक्ट बनाने के लिए गठित कमेटी की अनुशंसा आठ माह से स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग में पड़ी है़ सरकार इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है़ एक्ट नहीं बना कर सरकार ने निजी स्कूलों को मनमानी की छूट दे रखी है़
तिवर्ष सत्र शुरू होने के साथ स्कूलों के शुल्क बढ़ोतरी कर दी जाती है. इसको लेकर अभिभावक संघ द्वारा हो-हल्ला किया जाता है़ उपायुक्त विद्यालय के प्राचार्यों के साथ बैठक करते हैं.
स्कूलों को निर्देश देकर प्रशासन अपना काम पूरा समझ लेता है, पर अभिभावकों को कोई राहत नहीं मिलती़ इस वर्ष भी प्रशासन द्वारा स्कूल बस किराया बढ़ोतरी पर रोक लगाया गया है, बावजूद इसके स्कूलों ने अपने स्तर से बस किराया बढ़ा दिया़ अभिभावकों को किराया बढ़ोतरी से संबेधित नोटिस भी दिया जा चुका है. वहीं जिला प्रशासन स्कूलों से अभी प्रस्ताव मांग रहा है़ कमेटी द्वारा विभाग को सौंपे गये एक्ट के प्रारूप में इसका प्रावधान किया गया था कि राज्य के निजी स्कूल अब प्रति वर्ष मनमाने तरीके से शिक्षण शुल्क में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे. शुल्क विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक संघ के प्रतिनिधि की आम सहमति से तय होगा.
विद्यालय व अभिभावक की सहमति से तय शुल्क का प्रारूप जिलों में गठित जिलास्तरीय शुल्क निर्धारण कमेटी को भेजा जायेगा. जिलास्तरीय कमेटी की सहमति के बाद स्कूल शुल्क में बढ़ोतरी कर सकेंगे. निजी स्कूल दो वर्ष में एक बार शुल्क बढ़ोतरी कर सकेंगे. एक शुल्क बढ़ोतरी दो शैक्षणिक सत्र के लिए मान्य होगा. एक्ट के प्रभावी होने से निजी विद्यालयों में भी विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक संघ का गठन होता़
जिलों में कमेटी तय करती फीस
एक्ट के प्रभावी होने से स्कूल अपने स्तर से शुल्क बढ़ोतरी पर अंतिम निर्णय नहीं ले सकते. विद्यालय स्तर पर तय शुल्क का प्रस्ताव जिला स्तर पर गठित कमेटी के समक्ष रखा जाता़ कमेटी के अध्यक्ष जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधीक्षक, जिले के सीबीएसइ स्कूल, आइसीएसइ स्कूल, प्लस टू उच्च विद्यालय के दो-दो प्राचार्य, सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी तथा अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष कमेटी के सदस्य होते़
विद्यालय स्तर पर तय शुल्क को जिलास्तरीय कमेटी के समक्ष रखा जाता़ जिला कमेटी शुल्क बढ़ोतरी पर अंतिम निर्णय लेती़ जिलास्तर स्कूल के तय शुल्क से अगर विद्यालय व अभिभावक सहमत नहीं होते, तो वे राज्यस्तरीय कमेटी के समक्ष शिकायत कर सकते थे़ हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का प्रावधान किया गया था़
प्रस्ताव के साथ देनी होती जानकारी
स्कूलों को शुल्क बढ़ोतरी के प्रस्ताव के साथ-साथ पूरी जानकारी जिलास्तरीय कमेटी को देनी होती़ स्कूलों को विद्यार्थियों की संख्या, शिक्षकाें का वेतन, शिक्षकों की योग्यता समेत स्कूल में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कंप्यूटर, खेल की सुविधा, पेयजल, भवन की पूरी जानकारी प्रशासन को देनी होती.
निजी स्कूल फीस रेगुलेटरी कमेटी की बैठक सात को
रांची : निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने को लेकर गठित फीस रेगुलेटरी कमेटी की बैठक सात अप्रैल को समाहरणालय भवन स्थित उपायुक्त कक्ष में शाम चार बजे से होगी. कमेटी स्कूलों में फीस वृद्धि से संबंधित प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करेगी. यह जानकारी जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीअो) सह कमेटी के सदस्य सचिव नागेंद्र पासवान ने रांची अभिभावक मंच के प्रतिनिधिमंडल को दी. उन्होंने बताया कि पूर्व में 19 मार्च को कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें निजी स्कूल प्रबंधनों को कई आवश्यक निर्देश दिये गये थे.
उन निर्देशों का किस हद तक अनुपालन किया जा रहा है, उसकी भी समीक्षा की जायेगी. डीटीअो के समक्ष स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से की जा रही फीस वृद्धि, री-एडमिशन के नाम पर हो रही वसूली, कागजात व फीस कार्ड की कॉपी प्रस्तुत की गयी.
प्रतिनिधिमंडल में अजय राय, संजय सर्राफ, मेहुल प्रसाद, अंकित सिंह, अमित जालान आदि शामिल थे. इससे पूर्व प्रतिनिधिमंडल जिला शिक्षा अधीक्षक से मिलने गया था, लेकिन वे नहीं थे.
छह स्कूलों ने ही दिया बस किराया बढ़ाने का प्रस्ताव
रांची. शहर के छह स्कूलों ने बस किराया बढ़ाने को लेकर अपना प्रस्ताव जिला परिवहन पदाधिकारी सौंप दिया है, परंतु उक्त प्रस्ताव अधूरा है. जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न स्कूलों को एक फॉर्मेट जारी किया था, लेकिन उक्त फाॅर्मेट के अनुसार किसी स्कूल ने आवेदन नहीं दिया है. फॉर्मेट में बस फीस बढ़ाने का औचित्य देना था, जो नहीं है. इनमें से दो स्कूलों (कैराली स्कूल एचइसी सेक्टर-2 व शारदा ग्लोबल स्कूल) ने बस भाड़ा बढ़ाने का जिक्र अपने आवेदन में नहीं किया है.
आवेदन में उन्होंने अपने विद्यालय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है. गत दिनों स्कूल के प्राचार्यों के साथ हुई बैठक में डीसी ने निर्देश दिया था कि जो स्कूल बस भाड़े में वृद्धि करना चाहते हैं, वो प्रस्ताव दें. इसके लिए एक फाॅर्मेट भी जारी किया गया था.

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