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एजी की रिपोर्ट से हुआ खुलासा, चार साल तक ठप रहे जेल में लगाये गये जैमर

रांची: जेल में रह रहे कैदियों-बंदियों द्वारा अवैध रूप से मोबाइल के इस्तेमाल को अवरुद्ध करने के उपाय विफल रहे हैं. राज्य के कुल 18 जेलोें (पांच केंद्रीय कारा, 11 जिला कारागार व दो उप कारागार) में जैमर लगाये तो गये, लेकिन लगने के बाद से ही बेकार हो गये. इसका खुलासा एजी की रिपोर्ट […]

रांची: जेल में रह रहे कैदियों-बंदियों द्वारा अवैध रूप से मोबाइल के इस्तेमाल को अवरुद्ध करने के उपाय विफल रहे हैं. राज्य के कुल 18 जेलोें (पांच केंद्रीय कारा, 11 जिला कारागार व दो उप कारागार) में जैमर लगाये तो गये, लेकिन लगने के बाद से ही बेकार हो गये. इसका खुलासा एजी की रिपोर्ट से हुआ है. जैमर लगाने पर राज्य सरकार ने 7.55 करोड़ रुपये खर्च किये थे. जून 2011 तक राज्य के कुल 18 में से 17 जेलों में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन अॉफ इंडिया, हैदराबाद ने 43 जैमर लगाये. इधर मार्च 2015 में हुई जांच में पाया गया कि किसी भी जेल का जैमर ठीक से काम नहीं कर रहा था.
इससे पहले सितंबर 2012 में पांच कारा महानिरीक्षकों ने भी अपनी जांच में पाया था कि जैमर से किसी भी सेल फोन का सिग्नल अवरुद्ध नहीं हो रहा था. जवाब मांगने पर कंपनी की अोर से कहा गया कि जैमर के उपकरण 2जी सिग्नल रोकने के लिए थे, लेकिन मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों की संख्या में वृद्धि तथा 3जी तकनीक आने से ये उपकरण कारगर साबित नहीं हो रहे हैं.

कंपनी ने यूपीएस के अपर्याप्त बैकअप को भी इसके लिए जिम्मेवार बताया. रिपोर्ट के जवाब में गृह विभाग ने भी माना कि जैमर उपकरणों को समय से 3जी में अपडेट किया जाना चाहिए था. हालांकि एजी ने इस जवाब पर आपत्ति दर्ज कराते हुए लिखा है कि इन उपकरणों से सभी 2जी सिग्नल अवरुद्ध नहीं हो रहे थे. यानी जैमर लगाने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हुआ.

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