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फेल रहा स्वच्छता अभियान
भारत सरकार ने 1999 में पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को पूर्णत: स्वच्छ रखना था. इसी कार्यक्रम को प्रमोट करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में निर्मल ग्राम पुरस्कार की घोषणा की. स्वच्छता अभियान के तहत झारखंड को 2009 से 2014 तक कुल 449.25 करोड़ रुपये उपलब्ध […]
भारत सरकार ने 1999 में पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को पूर्णत: स्वच्छ रखना था.
इसी कार्यक्रम को प्रमोट करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में निर्मल ग्राम पुरस्कार की घोषणा की.
स्वच्छता अभियान के तहत झारखंड को 2009 से 2014 तक कुल 449.25 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये. इसमें से सरकार ने मात्र 58 फीसदी राशि ही खर्च की.
इस योजना के सफल नहीं होने का मुख्य कारण शुरुआत में बिना लक्ष्य के काम शुरू कर देना था. इसके लिए विभाग ने कोई बेसलाइन सर्वे भी नहीं कराया था. ग्राम पंचायत के सहयोग के बिना जिलों ने जिला स्तरीय कार्यक्रम बना लिया था. इस कारण यह कार्यक्रम शुरुआती वर्षों में फेल रहा. बाद में सरकार ने 6.60 लाख निजी घरों में शौचालय बनवाये, जो लक्ष्य के मात्र 23 फीसदी थे. सरकार ने 28.72 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा था. लक्ष्य का मात्र 22 फीसदी एपीएल के घरों में शौचालय का निर्माण कराया गया. यह भारत सरकार की अनुदानित स्कीम थी.
इसके तहत एक शौचालय के निर्माण पर 5500 रुपये खर्च करने थे. पहाड़ी क्षेत्र के लिए यह राशि छह हजार थी. राज्य सरकार ने 2013-14 में उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया था. इस कारण राज्य सरकार को एक रुपये भी नहीं मिले.
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