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मिलजुल कर समस्या से पायें निजात

न्यायिक संवर्द्धन कार्यक्रम. मानव तस्करी पर चीफ जस्टिस ने कहा झारखंड ज्यूडिशियल एकेडेमी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम कार्यक्रम में चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने मानव तस्करी पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग संगठित अपराध है. यह समस्या गंभीर होती जा रही है. ऐसा लगता है कि झारखंड ह्यूमन ट्रैफिकिंग का हब […]

न्यायिक संवर्द्धन कार्यक्रम. मानव तस्करी पर चीफ जस्टिस ने कहा
झारखंड ज्यूडिशियल एकेडेमी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम कार्यक्रम में चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने मानव तस्करी पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग संगठित अपराध है.
यह समस्या गंभीर होती जा रही है. ऐसा लगता है कि झारखंड ह्यूमन ट्रैफिकिंग का हब बनता जा रहा है. मानव तस्कर झारखंड काे चरागाह की तरह समझते हैं. सभी के सहयोग व सक्रिय प्रयास से इस गंभीर समस्या से निजात पाना होगा.
रांची : झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग निष्क्रिय हो गया है. उसमें अध्यक्ष आैर सदस्यों के अधिकतर पद खाली हैं. अविलंब आयोग को क्रियाशील बनाया जाना चाहिए. उक्त बातें चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कही. वे शनिवार को बताैर मुख्य अतिथि धुर्वा डैम साइड स्थित डा एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में मानव तस्करी को लेकर आयोजित न्यायिक संवर्द्धन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय संविधान में संगठित अपराध पर रोक लगाने का प्रावधान पहले से ही किया गया है. निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा समिति गठित की गयी थी. इसकी रिपोर्ट आने के बाद पूर्व के प्रावधानों को आैर भी सख्त बनाया गया है. इन प्रावधानों को आज सही तरीके से लागू करने की जरूरत है. उन्होंने राज्य सरकार, मीडिया व न्यायपालिका की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया.
चीफ जस्टिस सिंह ने कहा कि कई ऐसे मामले भी उनके संज्ञान में आये है, जिनमें राज्य सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य व बच्चों के माता-पिता तक इस तरह के अपराध में शामिल हैं.
ऐसे मामलों में कानून माता-पिता के खिलाफ भी कार्रवाई करने की इजाजत देता है. पुलिस को इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने खूंटी से संबंधित एक मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि एक आरोपी जिसे दिल्ली पुलिस व झारखंड पुलिस के सहयोग से पकड़ा गया था.
उसके पास करीब 65 करोड़ रुपये की संपत्ति होने का पता चला था. उसने अब तक लगभग 3000 से अधिक महिलाओं को अपना निशाना बनाया है. चीफ जस्टिस ने राज्य पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अॉपरेशन मुस्कान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वापस लाये गये बच्चों के पुनर्वास की आवश्यकता है. सरकार को इस दिशा में सोचने की जरूरत है.
एकेडेमी के निदेशक गाैतम कुमार चाैधरी ने अतिथियों का स्वागत किया. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की. एडीजी अनुराग गुप्ता ने प्रजेंटेशन के माध्यम कानून की बारीकी से व्याख्या की. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल, एंटी ट्रैफिकिंग एक्टिविस्ट मेलिता फर्नांडिस ने भी पेपर प्रस्तुत किये.
वहीं, अंतिम सत्र में आइजी संपत मीणा (अॉरगेनाइज्ड क्राइम) ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने व पीड़ितों के पुनर्वास पर सरकार की भूमिका तथा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविकांत ने पीड़ितों की सुरक्षा, देखभाल व सहयोग पर प्रस्तुतीकरण दी. इस अवसर पर जस्टिस डीएन उपाध्याय, जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता, जस्टिस आरएन वर्मा, जस्टिस रत्नाकर भेंगरा, रजिस्ट्रार जनरल अनिल कुमार चाैधरी, महाधिवक्ता विनोद पोद्दार, राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर, न्यायिक अधिकारी, विभिन्न जिलों के पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी, विभिन्न संस्थाअों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे.
प्रावधान को सही तरीके से लागू करने की जरूरत
जस्टिस एस चंद्रशेखर ने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग प्राचीन काल से चला आ रहा है. इतिहास में भी इसका उदाहरण मिलता है. उस समय देवदासी, नगर वधु प्रथा के रूप में चलने का उदाहरण देखा जा सकता है. भारतीय कानून में ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे संगठित अपराध को राकने के लिए प्रावधान तो मौजूद हैं, लेकिन वे सही तरीके से लागू नहीं हो पाये हैं. जरूरत है उसे सही तरीके से क्रियान्वित करने की.

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