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थड़पखना में 26 में से 20 चापाकल बेकार, सूखने लगे कुएं
रांची: वार्ड नंबर 19 स्थित थड़पखना के लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं. थड़पखना के राधा गोविंद स्ट्रीट, नॉर्थ समाज स्ट्रीट, साउथ समाज स्ट्रीट, बढ़ी टोली, न्यू बढ़ी टोली, मुक्तिशरण लेन, पीएन बोस कंपाउंड समेत कई मोहल्ले ऐसे हैं. जहां फरवरी में कुएं सूख गये हैं. चापाकल हांफने लगे हैं. कई बोरिंग से भी पानी […]
रांची: वार्ड नंबर 19 स्थित थड़पखना के लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं. थड़पखना के राधा गोविंद स्ट्रीट, नॉर्थ समाज स्ट्रीट, साउथ समाज स्ट्रीट, बढ़ी टोली, न्यू बढ़ी टोली, मुक्तिशरण लेन, पीएन बोस कंपाउंड समेत कई मोहल्ले ऐसे हैं. जहां फरवरी में कुएं सूख गये हैं. चापाकल हांफने लगे हैं. कई बोरिंग से भी पानी नहीं आ रहा है. कुछ से गंदा पानी आ रहा है. अपार्टमेंटों में भी जलसंकट गहराने लगा है. मोहल्ले के लोगों की मानें तो फरवरी में यह हालत है. मई, जून, जुलाई में क्या होगा, यह सोच कर ही डर लगता है.
छह चापाकल ही चालू : नगर निगम की ओर से इस वार्ड में कुल 26 चापाकल लगाये गये थे. इनमें से मात्र छह से पानी निकल रहा है. वह भी घंटों हैंडल चलाने के बाद. 20 चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया है. नगर निगम द्वारा जल संकट से निबटने के लिए घोष पाड़ा व मुक्ति शरण लेन में दो बोरिंग पिछले साल करवाया गया था. परंतु अब तक उसमें मोटर तक नहीं लगाया गया है.
ओपेन स्पेस नहीं, भूमिगत जल रिचार्ज हो तो कैसे : पूरे थड़पखना इलाके में ओपेन स्पेस नाम की कोई जगह भी नहीं बची है. अधिकतर घरों में यहां लॉज संचालित होता है. इस कारण यहां हर घर में पानी की खपत ज्यादा है. पीसीसी सड़क से लेकर नालियों के नीचले परत तक को ढलाई कर दिये जाने के कारण बारिश के दिनों में जो भी पानी गिरता है, वह पानी नाली में बह जाता है. नालियों के निचले परत की ढलाई होने के कारण बारिश का पानी रिचार्ज भी नहीं हो पाता है.
वाटर हार्वेस्टिंग केवल नाम का: पूरे इलाके में 40 से अधिक बहुमंजिली इमारतें है. परंतु एक दो इमारतों को छोड़ कर किसी में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है. निगम द्वारा ऐसे भवनों पर कभी कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती है. वाटर हार्वेस्टिंग नहीं होने के कारण बारिश का पानी धरती के अंदर जा नहीं पाता है.
क्या कहते हैं मोहल्ले के लोग
संदीप बोस: गरमी आने में भले देर है, लेकिन जलसंकट शुरू हो गया. सुबह में तीन घंटे मोटर चलाने के बाद टंकी भरता है.
सुजीत : जल संकट को लेकर जागरूक होने की जरूरत है. हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था निगम कराये.
कुणाल कुमार: मोहल्ले में पेयजल की गंभीर किल्लत है. निगम के लगाये गये अधिaसंख्य चापाकल से पानी आ रहा है.
राजू वर्मा: आज से 10 साल पहले मोहल्ले के कुएं पानी से लबालब रहते थे. इस वर्ष तो ठंड में ही कुआं सूख गया.
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