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अशाेकनगर बना दी गयी कॉमर्शियल कॉलाेनी

रांची: राजधानी के सबसे पॉश कॉलोनी के रूप में पहचान बनानेवाले अशोक नगर के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. यह स्थिति इस कॉलोनी में प्रतिदिन खुल रहे नये व्यावसायिक कार्यालयों के कारण उत्पन्न हुई है. कहने को तो यह कॉलोनी आवासीय है. परंतु अलग झारखंड राज्य बनने के बाद इस कॉलोनी में जिस […]

रांची: राजधानी के सबसे पॉश कॉलोनी के रूप में पहचान बनानेवाले अशोक नगर के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. यह स्थिति इस कॉलोनी में प्रतिदिन खुल रहे नये व्यावसायिक कार्यालयों के कारण उत्पन्न हुई है. कहने को तो यह कॉलोनी आवासीय है. परंतु अलग झारखंड राज्य बनने के बाद इस कॉलोनी में जिस प्रकार से राष्ट्रीय से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय खुल रहे हैं, उससे इसकी पहचान आवासीय कॉलोनी कम और कॉमर्शियल कॉलोनी के रूप में ज्यादा होने लगी है. दिन-प्रतिदिन नयी-नयी कंपनियों के कार्यालय खोले जाने से इस कॉलोनी में बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ी है. इसके अलावा 24 घंटे वाहनों का आना-जाना लगा रहता है. इससे इस कॉलोनी में रहनेवाले लोग काफी परेशान हैं.
हर तीसरे घर में एक कार्यालय
कॉलोनी में वैसे तो 508 मकान हैं. परंतु इस कॉलोनी के एक नंबर सड़क से लेकर छह नंबर सड़क तक में 200 के आसपास विभिन्न कंपनियों के कार्यालय खुले हुए हैं. इस प्रकार यहां हर तीसरे घर में किसी न किसी कंपनी का कार्यालय खुला हुआ है. हद तो यह है कि कई डाॅक्टरों ने यहां क्लिनिक से लेकर अस्पताल तक खोल दिया है. कॉलोनी के हर गली में एक प्ले स्कूल है. इसके अलावा ब्यूटी पॉर्लर से लेकर सरकार के लिए कंसल्टेंट का काम करनेवाली कई कंपनियों ने भी अपने कार्यालय खोल दिये हैं.
भवनों का करते हैं व्यावसायिक उपयोग, देते हैं आवासीय टैक्स
कॉलोनी में जहां आवासीय भवनों का कॉमर्शियल उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. वहीं इन भवनों से रांची नगर निगम को दिये जानेवाले होल्डिंग टैक्स में भी हेराफेरी की जाती है. आम तौर पर नगर निगम आवासीय भवनों से 1.60 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से टैक्स लेता है. वहीं व्यावसायिक भवनों से 3.50 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से टैक्स लिया जाता है. इस कॉलोनी के अधिकतर मकानाें का उपयोग व्यावसायिक रूप में हो रहा है, मगर होल्डिंग टैक्स आवासीय के रूप में भुगतान किया जाता है. इस प्रकार रांची नगर निगम को भी हर माह टैक्स के रूप में लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है.
सड़क है या पार्किंग
कॉलोनी के एक से लेकर छह नंबर तक की सड़क में जगह-जगह विभिन्न कंपनियों के कार्यालय खोले जाने से यहां की सड़क भी पार्किंग स्थल में तब्दील हो गयी है. दिन भर यहां वाहन सड़कों पर ही खड़े रहते हैं. इससे इस कॉलोनी में रहनेवाले लोगों को वाहन लेकर आने में परेशानी होती है. उन्हें अपना वाहन घर से बाहर निकालने में इंतजार करना पड़ता है.
क्या है सोसाइटी का नियम
स्वावलंबी सहकारी समिति अधिनियम-1996 की धारा 4-8 में लिखा गया है कि किसी को भी अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए भूमि, गृह स्थल, भवन या अन्य अचल संपत्ति को बेचना, बंधक करना, भाड़े पर देना, किश्त पर खरीदारी, पट्टे पर देना या अन्यथा निपटाना प्रतिबंधित है. समिति अपने उद्देश्यों के लिए इन कार्यों को कर सकती है. इससे संबंधित मूल अधिनियम 1935 का है. इसमें 1996 व 1997 में संशोधन भी हुआ है.
बहुत दिनों से नहीं हुआ है सोसाइटी का चुनाव
अशोक नगर कॉ-ऑपरेटिव सोसाइटी का चुनाव बहुत दिनों से नहीं हुआ है. सहकारिता विभाग यहां चुनाव करायेगा. चुनाव के बाद नयी कमेटी को सोसाइटी के नियम-कानूनों से अवगत कराया जायेगा. निर्देश दिया जायेगा कि सहकारी सोसाइटी के तहत निबंधन के बाद जो कानून है, उसका पूरा पालन किया जाये. उसके बाद जो भी कानून का पालन नहीं करेगा, उस पर कार्रवाई की जायेगी.
मुकेश वर्मा, निबंधक, सहकारिता विभाग
कोई हमारी बात नहीं सुनता जबरन निकाल नहीं सकते
कॉलोनी में कॉमर्शियल गतिविधियां बढ़ी हैं. पहले भी निर्देश दिया जा चुका है कि लोग अपने घरों को किसी कंपनी को किराये पर न दें. इसे लेकर साेसाइटी के लाेग सभी घर मालिकों को पत्र भी दे चुके हैं. परंतु कोई हमारी बात नहीं सुनता है. आखिर हमारे पास तो पुलिस फोर्स है नहीं कि हम किसी के घर को जबरन खाली करवा दें. गोपाल जी प्रसाद, सचिव, सर्विसेज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी, अशोक नगर

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