सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए आवेदन देने से कंपनी ने इनकार कर दिया. इसके साथ ही कंपनी का पुराना एमओयू समाप्त हो गया. हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने नीलामी में कठोतिया कोल ब्लॉक हासिल कर लिया है, पर यह इसके अन्यत्र प्लांट के लिए है. यह कोल ब्लॉक भी अभी चालू नहीं हो सका है. कंपनी प्रतिमाह इस कोल ब्लॉक पर स्थापना मद में डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च कर रही है. कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में दो प्लांट हैं. 17 बॉक्साइट के माइंस भी हैं. झारखंड के विकास के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है. टाटा के बाद आदित्य बिड़ला ग्रुप की यह कंपनी झारखंड में सबसे बड़ी निवेशक रही है, पर वर्तमान में कंपनी निवेश के लिए इच्छुक नहीं है. इससे राज्य को झटका लगा है.
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झटका: 7800 करोड़ के निवेश के लिए किया था एमओयू, हिंडाल्को नहीं लगायेगा प्लांट
रांची : हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड झारखंड में ग्रीनफील्ड अल्युमिनियम प्लांट नहीं लगायेगा. 7800 करोड़ रुपये के निवेश के लिए हिंडाल्को द्वारा सोनाहातू में अल्युमिनियम स्मेलटर प्लांट और 600 मेगावाट के कैप्टिव पावर प्लांट के लिए एमओयू किया गया था. 30.3.2005 को ही एमओयू पर साइन किया गया था. अब कंपनी ने झारखंड में प्लांट लगाने […]
रांची : हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड झारखंड में ग्रीनफील्ड अल्युमिनियम प्लांट नहीं लगायेगा. 7800 करोड़ रुपये के निवेश के लिए हिंडाल्को द्वारा सोनाहातू में अल्युमिनियम स्मेलटर प्लांट और 600 मेगावाट के कैप्टिव पावर प्लांट के लिए एमओयू किया गया था. 30.3.2005 को ही एमओयू पर साइन किया गया था. अब कंपनी ने झारखंड में प्लांट लगाने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है.
सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए आवेदन देने से कंपनी ने इनकार कर दिया. इसके साथ ही कंपनी का पुराना एमओयू समाप्त हो गया. हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने नीलामी में कठोतिया कोल ब्लॉक हासिल कर लिया है, पर यह इसके अन्यत्र प्लांट के लिए है. यह कोल ब्लॉक भी अभी चालू नहीं हो सका है. कंपनी प्रतिमाह इस कोल ब्लॉक पर स्थापना मद में डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च कर रही है. कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में दो प्लांट हैं. 17 बॉक्साइट के माइंस भी हैं. झारखंड के विकास के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है. टाटा के बाद आदित्य बिड़ला ग्रुप की यह कंपनी झारखंड में सबसे बड़ी निवेशक रही है, पर वर्तमान में कंपनी निवेश के लिए इच्छुक नहीं है. इससे राज्य को झटका लगा है.
कोल ब्लॉक बनी सबसे बड़ी वजह
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि सोनाहातू में कंपनी द्वारा जमीन चिह्नित की गयी थी. पांच हजार एकड़ जमीन की जरूरत थी, जिसे बाद में घटाकर 2500 एकड़ कर दिया गया था. प्रस्ताव को वापस लेने की मूल वजह बनी कोल ब्लॉक आवंटन का रद्द हो जाना. कंपनी को तुबेद कोल ब्लॉक का आवंटन हुआ था. इसमें कंपनी ने बड़ी रकम निवेश कर दी थी. इस कोल ब्लॉक का आवंटन 600 मेगावाट के पावर प्लांट के लिए हुआ था. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया गया. कंपनी द्वारा निवेश की गयी रकम डूब गयी. इसके बाद से ही कंपनी ने प्लांट के लिए आगे न बढ़ने का मन बना लिया था. दूसरी वजह बतायी जा रही है ग्लोबल मंदी. बताया गया कि मेटल इंडस्ट्रीज में ग्लोबल मंदी छायी हुई है. इसके कारण भी कंपनी आगे बढ़ने में हिचकिचा रही थी. अब कंपनी ने अंतिम रूप से फैसला ले लिया कि झारखंड में नये प्लांट की दिशा में काम आगे नहीं बढ़ाया जायेगा. झारखंड सरकार द्वारा सेकेंड स्टेज एमओयू का प्रस्ताव दिया गया था, पर कंपनी ने सेकेंड स्टेज एमओयू के लिए आवेदन तक नहीं दिया.
अब केवल 41 कंपनियों का ही एमओयू है
वर्ष 2007-08 में झारखंड में निवेश करने के लिए करीब 74 कंपनियों ने एमओयू किया था. झारखंड में अब केवल 41 कंपनिया ही हैं, जिनका एमओयू वैध है. इनमें 19 कंपनियां अपने पहले चरण का प्लांट लगाकर उत्पादन आरंभ कर चुकी हैं. 11 कंपनियों का एमओयू फर्स्ट स्टेज में है. आठ कंपनियों के सेकेंड स्टेज एमओयू की अनुशंसा की जा चुकी है, जिसमें टाटा स्टील, एसकेजी आयरन, एस्सेल माइनिंग, जेएसडब्ल्यू स्टील, मुकुंद लिमिटेड, आर्सेलर मित्तल, जूपीटर सीमेंट और रामकृष्णा फोर्जिंग लिमिटेड शामिल है. तीन कंपनियों के बाबत सरकार मान रही है कि ये प्लांट लगायेंगी. इनमें अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., कॉरपोरेट इस्पात एलॉय लि. व भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड शामिल है.
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