वार्ड सदस्यों के बीच से ही एक उप मुखिया का चुनाव होता है. इसके लिए भी हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है. कई जिलों में कुछ राजनीतिक दल भी सक्रिय हैं. जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के साथ-साथ प्रमुख और उप प्रमुख की सीटों पर राजनीतिक दलों की नजर है. वहीं उप मुखिया के चुनाव की लॉबिंग स्थानीय स्तर पर ही हो रही है.
राजधानी के कई प्रखंडों में प्रमुख के पद पर दावेदारी पेश करने के लिए जो सक्रिय हैं, उनको सीधे जवाब नहीं दिया जा रहा है. कुछ प्रत्याशियों ने 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक बोली लगायी है. इस पर बारगेनिंग भी हो रही है. कांके में एक सदस्य ने अपने लिए स्कूटी की मांग की है. उसका तर्क है कि काम के लिए ब्लॉक जाना होगा, इसके लिए गाड़ी चाहिए. उप प्रमुख के पद के लिए जो भी प्रयास कर रहे हैं, उनसे 25 हजार रुपये की मांग की जा रही है. पंचायत स्तर पर चुने हुए प्रतिनिधियों में से ही उप मुखिया का चुनाव होना है. कई पंचायतों में आदिवासी और गैर आदिवासी का मुद्दा भी है. इसके अतिरिक्त 10 हजार रुपये के आसपास प्रति सदस्य मांग की जा रही है.
नामकुम और अनगड़ा प्रखंडों में प्रमुख से ज्यादा बोली उप प्रमुख के लिए लग रही है. प्रमुख का पद आरक्षित व ज्यादा प्रत्याशी होने जाने के कारण 50 हजार रुपये तक बोली लग रही है. जबकि उप प्रमुख पद के लिए 75 हजार रुपये तक मांगी जा रही है. उप मुखिया में भी 10 से 15 हजार रुपये तक मांगी जा रही है.