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उपायुक्त से मिल कर सरकार को कराया नुकसान

रांची: राज्य के पांच जिलों के सहकारी बैंकों ने मिल कर राज्य को छह करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान कराया है. बैंक की राशि बिना अनुमति के यूटीआइ के बांड में लगा दी गयी थी. यूटीआइ की राशि जमा करने के एवज में लाखों रुपये कमीशन के रूप में बांट दिये गये हैं. गिरिडीह […]

रांची: राज्य के पांच जिलों के सहकारी बैंकों ने मिल कर राज्य को छह करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान कराया है. बैंक की राशि बिना अनुमति के यूटीआइ के बांड में लगा दी गयी थी. यूटीआइ की राशि जमा करने के एवज में लाखों रुपये कमीशन के रूप में बांट दिये गये हैं.

गिरिडीह में तो उपायुक्त (पूर्व) वीरेंद्र राम की मिलीभगत से गिरिडीह केंद्रीय सहकारी बैंक को दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सहकारिता विभाग ने इसकी जांच करायी थी. जांच रिपोर्ट पर प्रधान सचिव के अनुमोदन के बाद विभागीय मंत्री हाजी हुसैन अंसारी ने निगरानी जांच के आदेश दिये हैं.

जमा किया तीन करोड़, मिले दो करोड़ 27 लाख
रांची -खूंटी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों ने बिना सरकार की अनुमति के 20.12.2007 में तीन करोड़ यूटीआइ इंफ्रास्ट्रर फंड सीरीज-1 (ग्रोथ प्लान) में निवेश कर दिया था. जांच रिपोर्ट में पूरी साजिश में प्रबंध निदेशक चंद्रदेव मोची, सहायक लेखापाल अरुण कुमार सिन्हा, एमडी निरीक्षक शमशाद आलम, प्रभारी निबंधक सहयोग समितियां सुभाष चंद्र ठाकुर को शामिल बताया गया है. निवेश की गयी राशि से बैंक को 18.1.13 को मात्र दो करोड़ 27 लाख रुपये के आसपास मिला. बैंक को मूलधन से 72 लाख 50 हजार रुपये का नुकसान हुआ. निवेश करने के लिए सोसाइटी ने एजेंट को 16 लाख 13 हजार 561 रुपये दलाली के रूप में भुगतान किया. धनबाद जिले में तत्कालीन प्रबंध निदेशक सत्यदेव मेहता ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर पांच करोड़ रुपये का निवेश 30 जुलाई 99 में किया था. निकासी के समय बैंक को एक करोड़ 25 लाख 83 हजार रुपये का नुकसान हुआ.

कमीशन के रूप में दे दिया 36.77 लाख
दुमका जिले के सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने यूटीआइ में साढ़े छह करोड़ रुपये निवेश कर दिया था. तीन करोड़ रुपये 23.1.2008 को यूटीआइ इंफ्रास्ट्रर फंड सीरीज-1 (ग्रोथ प्लान) में तीन करोड़ तथा 31.3.08 को इंफ्रास्ट्रर फंड सीरीज-2 (ग्रोथ प्लान) में साढ़े तीन करोड़ रुपये निवेश कर दिया था. 2013 में बैंक को इससे एक करोड़ 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ. इसमें प्रबंध निदेशक सैयद हफीजुल हसन (सेवानिवृत्त) की भूमिका संदेहास्पद बतायी गयी है. निवेश करने के एवज में एजेंट को 36 लाख 77 हजार 48 रुपये का भुगतान कमीशन के रूप में किया गया था.

गिरिडीह ने कराया अधिक नुकसान
गिरिडीह स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने इसमें सबसे अधिक नुकसान कराया था. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 26.12.2008 को बैंक के प्रबंध निदेशक आइंद पास्कल व अन्य अधिकारियों ने उपायुक्त वीरेंद्र राम (अब सेवानिवृत्त) से मिल कर तीन करोड़ रुपये यूटीआइ में निवेश करा दिया था. 31.3.11 को बैंक को एक करोड़ 25 लाख रुपये ही मिला. करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान बैंक हुआ.

जिला नुकसान

गिरिडीह दो करोड़

दुमका एक करोड़ 10 लाख

चाईबासा 27 लाख 68 हजार

रांची 72 लाख 50 हजार

धनबाद एक करोड़ 25 लाख

प्रभात खबर ने उठाया था मामला
राज्य के विभिन्न सहकारी बैंकों में यूटीआइ में निवेश कर सरकार को नुकसान पहुंचाने का मामला प्रभात खबर ने उठाया था. 27 जुलाई 2013 को प्रकाशित अंक में इसका जिक्र किया गया था. इसी रिपोर्ट के आधार सरकार ने पूरे मामले की जांच करायी थी. जांच रिपोर्ट में प्रभात खबर का जिक्र भी किया गया है.

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