रांची : इंतेजार अली को आतंकी बता झूठे केस में फंसाने के मामले में गिरफ्तार दीपू खान की तसवीर सामने आने के बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. पता चला है कि वह पुलिस के कई सीनियर अफसरों के नाम पर वसूली करता था. इसकी जानकारी सीआइडी के अधिकारियों को भी मिली है. […]
रांची : इंतेजार अली को आतंकी बता झूठे केस में फंसाने के मामले में गिरफ्तार दीपू खान की तसवीर सामने आने के बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. पता चला है कि वह पुलिस के कई सीनियर अफसरों के नाम पर वसूली करता था. इसकी जानकारी सीआइडी के अधिकारियों को भी मिली है. कुछ माह पहले रांची जिला में एक इंस्पेक्टर को थाना प्रभारी के पद से निलंबित किया गया था, तब उसने इंस्पेक्टर को निलंबन के आरोप से मुक्त कराने के एवज में एक सीनियर आइपीएस के नाम पर इंस्पेक्टर से एक लाख रुपये की वसूली की थी.
इसके अलावा वह कनीय पुलिस पदाधिकािरयों से ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर भी वसूली करता था. गिरफ्तारी के बाद दीपू खान ने सारी बातें सीआइडी को बतायी, लेकिन सीआइडी ने इन बातों को उसके स्वीकारोक्ति बयान में दर्ज नहीं किया. पुलिस विभाग में चर्चा यह है कि दीपू खान सीनियर अफसरों के कहने पर ही वसूली का काम करता था. जानकारी के अनुसार दीपू खान चार मोबाइल नंबर का प्रयोग करता था. एक मोबाइल नंबर वह सीनियर अफसरों से बात करने के लिए प्रयोग करता था. उस मोबाइल नंबर में सीनियर पुलिस अधिकारी रुपये के लिए दीपू खान को फोन भी करते थे और काम से एसएमएस भी करते थे. हालांकि गिरफ्तारी के दौरान वह मोबाइल दीपू खान के पास से बरामद नहीं हुआ था, लेकिन सीनियर पुलिस अफसरों तक रुपये पहुंचाने और काम के लिए फोन आने की जानकारी दीपू खान ने सीआइडी के अफसरों को दी थी. यह भी बताया था कि इससे संबंधित साक्ष्य भी उसके पास है, लेकिन सीआइडी के अफसरों ने रिकॉर्ड में नहीं लिया. दीपू खान की गिरफ्तारी के बाद सीअाइडी के अफसरों को यह भी जानकारी मिली है कि दीपू खान पुलिस की नंबर प्लेट लगी गाड़ी का इस्तेमाल करता था.
दीपू खान का संपर्क थानेदारों से लेकर सीनियर आइपीएस अफसरों से भी है. दीपू खान को लेकर पुलिस छापेमारी के लिए भी जाती थी. जब पुलिस को आरोपी को पकड़ना होता था, तब उसके बारे में पुलिस दीपू खान को जानकारी देती थी. इसके बाद दीपू खान आरोपी को पकड़ कर उससे संबंधित थाना प्रभारी तक पहुंचा देता था. इसके एवज में थानेदार भी दीपू खान को खर्च के रूप में रुपये देता था.
दीपू खान की पुलिस विभाग में इतनी चलती थी कि वह सीनियर अफसरों से अपने संपर्क का धौंस दिखा कर कनीय पुलिस पदाधिकारियों को हड़काता भी था. जब कोई कनीय पुलिस पदाधिकारी किसी छोटे-मोटे मामले में फंस जाते थे, तब सीनियर पुलिस अफसरों से सेटिंग करा देने की बात कह कर दीपू खान उनसे रुपये ले लेता था.