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अभी तो शुरुआत है, जल्द बदला दिखेगा राज्य : सीपी सिंह

सरकार की सालगिरह मुबारक. एक वर्ष के कार्यकाल में कोई मलाल? अभी तो शुरुआत है. एक वर्ष जमाने से चली आ रही योजनाओं को कागज से बाहर निकालने में ही लग गया. रांची का मास्टर प्लान तैयार कर लागू कराना, कोर कैपिटल की योजना पूरी कर काम शुरू कराना, हरमू नदी का सुंदरीकरण, बिरसा बस […]

सरकार की सालगिरह मुबारक. एक वर्ष के कार्यकाल में कोई मलाल?

अभी तो शुरुआत है. एक वर्ष जमाने से चली आ रही योजनाओं को कागज से बाहर निकालने में ही लग गया. रांची का मास्टर प्लान तैयार कर लागू कराना,
कोर कैपिटल की योजना पूरी कर काम शुरू कराना, हरमू नदी का सुंदरीकरण, बिरसा बस स्टैंड का जीर्णोद्धार पूरा कराना, सिवरेज-ड्रेनेज योजना का काम शुरू कराना जैसे वर्षों से टेबुलों पर घूम रही योजनाओं को लागू किया गया.
अभी ताे बहुत काम बाकी है. सरकार राज्य के सभी शहरों पर बराबर ध्यान दे रही है. चास, आदित्यपुर जैसे शहरों में नगर निगम बनाया गया. हजारीबाग और गिरिडीह को भी निगम का दरजा दिये जाने की प्रक्रिया चल रही है. नगर पालिकाओं को भी उनकी आबादी और जरूरत के मुताबिक सहायता बढ़ाने पर काम किया जा रहा है.
इसलिये, बात किसी मलाल की नहीं है. जादू की छड़ी किसी के पास नहीं है. काम हो रहा है. अाने वाले सालों में राज्य का नया , बेहतर और विकसित स्वरूप दिलाने के लिए जमीन पर काम होगा.
आप कहते हैं काम हुआ है. लेकिन, राज्य के शहरों की स्थिति में सुधार नहीं दिखता ?
मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं. निश्चित रूप से शहरों में सुधार दिखायी दे रहा है. सड़कें चौड़ी हो रही हैं. नालियां बन रही हैं. सड़क बन रहे हैं. पेयजल व्यवस्था में सुधार हो रहा है. पाइप लाइनें बिछायी जा रही हैं. स्ट्रीट लाइटें लगी हैं. एलइडी लाइटों से शहर जगमगा रहे हैं. उदाहरण के लिए रांची की बात करें. शहर की 14 सड़कों के लिए योजना मंजूर की गयी है.
मोनो रेल चलाने का काम काफी आगे बढ़ाया गया है. इनर सर्कुलर रोड की तैयारी की जा रही है. तीन फ्लाई ओवर बनाने के लिए पुख्ता काम किया जा रहा है. शहर की 11 तालाबों के सुंदरीकरण और जीर्णोद्धार का काम जल्द शुरू हो जायेगा. राज्य के दूसरे शहरों में भी ऐसा ही सबकुछ हो रहा है. भविष्य को ध्यान में रखते हुए शहरों को तैयार किया जा रहा है.
इसमें थोड़ा समय जरूर लगेगा.
आप रांची के विधायक भी हैं. शायद इसी वजह से आप पर राजधानी पर ही ध्यान और काम केंद्रित करने का आरोप लगता है ?
बिल्कुल गलत बात है. मैं पूरे राज्य का मंत्री हूं. राजधानी होने के कारण स्वाभाविक रूप से रांची में काम ज्यादा दिखता है.
लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि और कहीं और काम नहीं हो रहा है. राज्य के सभी शहरों तक सरकार की योजनाएं ले जा रहा हूं. जमशेदपुर, मानगो, गोड्डा, देवघर, राजमहल, साहेबगंज और धनबाद में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन बिछायी जा रही है. एलइडी लाइटें सभी शहरों की सड़कों पर लगायी जा रही है.
धनबाद में बड़टांड़ की 17 एकड़ जमीन पर अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा की योजना पूरी कर ली गयी है. मैंने हजारीबाग, दुमका, गोड्डा, चाईबासा, चाकुलिया, देवघर, धनबाद जैसे कई शहरों में जाकर अधिकारियों के साथ बैठक की है. शहर को बेहतर करने की योजनाओं पर लगातार काम कराया है.
परिवहन मंत्री के रूप में राज्य के सभी बड़े शहरों के लिए एसी बसों का परमिट दिलाया है. आॅनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस और वाहनों के निबंधन की योजना लागू कर रहा हूं. आवास मंत्री के रूप में राज्य के कई शहरों में लोगों को आवास उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहा हूं.
आप पर आवास बोर्ड की जमीन आवंटित कराने के आरोप लगे. आप पर अपने विश्वस्त अभियंता को रांची का टाउन प्लानर बनाने के आरोप भी लग रहे हैं?
सार्वजनिक जीवन में आरोप लगाने वालों का मुंह बंद नहीं किया जा सकता है. मैं, मेरा काम और मेरी संपत्ति सबकुछ सार्वजनिक है. कोई भी इंटरनेट पर जाकर सब कुछ देख सकता है. मैं दोनों आरोपों का जवाब देता हूं. मैंने आवास बोर्ड से कोई जमीन आवंटित नहीं करायी. मैंने थर्ड पार्टी के रूप में वह जमीन खरीदी थी. यह बात मैंने चुनाव लड़ते समय अपने शपथ पत्र में भी बतायी थी. परंतु, मीडिया ने इस बात को गलत तरीके से सबके सामने रखा. तोड़-मरोड़ कर पेश किया.
जिन दो लोगों को टाउन प्लानर बनाया गया था, उनके बारे में काफी शिकायतें थी. सबको पता है. दोनों में से एक अफसर के बारे में बता दूं कि वह भवन निर्माण विभाग के होते हुए भी पिछले आठ सालों से नगर विकास में हैं. तीन बार भवन निर्माण उनकी सेवा वापस मांग चुका है. लेकिन, वह वापस लौटे ही नहीं. मैं नगर निगम में पूरी ईमानदारी से काम चाहता हूं.
सरकारी लोगों पर बातें बनती ही रहती हैं. ठीक है कि नये टाउन प्लानर के काम को मैं पहले से जानता हूं. लेकिन, सच यह भी है कि उन पर कोई दाग नहीं है. अनियमितता का कोई भी आरोप नहीं है. ऐसे में केवल यह कहना कि वह मेरे साथ काम करते रहे हैं, इसलिए काम के लायक नहीं हैं, बिलकुल हास्यास्पद है.
सरकार के पास टाउन प्लानर नहीं है. टाउन प्लानरों की नियुक्ति क्यों नहीं की जाती?
टाउन प्लानर की नियुक्ति होगी. मैंने इसके लिए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव दोनों से बात की है. पत्र भी लिखा है. मैंने कहा है कि आइआइटी जैसे संस्थानों से भी टाउन प्लानर की तलाश की जानी चाहिए. जल्द ही टाउन प्लानर की नियुक्ति की जायेगी.
क्या आप भ्रष्टाचार कम करने में कारगर रहे?
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सबसे बड़ी परेशानी लोगों के आगे नहीं आने से है. लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने को तैयार ही नहीं हैं. मैं ऐसे कई उदाहरण दे सकता हूं जब भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले लोग जांच के दौरान पीछे हट जाते हैं. कई मामलों में तो लोग स्वयं ही गड़बड़ी करने या जल्दी काम कराने के लिए रिश्वत पेश कर देते हैं.
ऐसे में सरकार के स्तर पर जो कुछ संभव है किया जा रहा है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिये परिवहन कार्यालयों में पारदर्शिता लायी जा रही है. नगर निकायों में ऑनलाइन सेवा प्रदान की जा रही है. प्रज्ञा केंद्र ने बीच से दलालों को हटाया है. नक्शे का सिस्टम ऑनलाइन किया जा रहा है.
इसी कड़ी में पांच हजार वर्गफीट तक के नक्शों को स्वीकृत करने की शक्ति आर्किटेक्टों को प्रदान की जा रही है. भ्रष्टाचार कम करने के लिए मैं लोगों से रिश्वत नहीं देने और घूस मांगने पर उचित शिकायत दर्ज कराने का आग्रह करना चाहता हूं. मैं खुद हमेशा सुलभ रहता हूं. मेरे विभागों में कोई घूस मांगे तो सीधे मुझसे भी बात की जा सकती है.
विधायकों और हाल ही में विधानसभाध्यक्ष ने भी अफसरों के काम और व्यवहार पर असंतोष जताया है. आप संतुष्ट हैं?
असंतुष्ट होने का सवाल ही नहीं उठता. सरकार अफसरों से बेहतर काम ले रही है. कुछ गलतफहमी है. विधायक फंड पर लगातार काम हो रहा है. समय पर विधायक फंड रिलीज भी होगा. देखिये, जनता का काम साफ-सुथरा हो और पारदर्शी हो, तो कार्यपालिका को करना ही होगा. दिक्कत यह है कि कई लोग ट्रांसफर-पोस्टिंग को काम समझने लगते हैं.
कई जनप्रतिनिधि समय का मूल्य नहीं समझते. बिना पूर्व निर्धारित समय के वरीय पदाधिकारियों के पास पहुंच जाते हैं. ऐसे में दिक्कत होगी ही. अगर किसी अफसर ने किसी जनप्रतिनिधि का अपमान किया, तो सरकार कार्रवाई करेगी.

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