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भला, चला जाब जुमी जुमी के बैतुलहम गांव देखेक ले..

रांची : जीइएल चर्च हेडक्वार्टर कांग्रीगेशन की क्रिसमस गैदरिंग में क्रिसमस के गीतों की धूम रही़ लोगों ने ‘चला जाब जुमी जुमी के बैतुलहम गांव देखेक ले.., बैतुलहम गोहर माझे सोने कमल फूले.., खुशियों का ये शमां.., ख्रीस्त जनम पर्व में.., आओ यीशु को हम गावें..’ और ‘तेरा हो अभिषेक अमन के राजकुमार..’ व अन्य […]

रांची : जीइएल चर्च हेडक्वार्टर कांग्रीगेशन की क्रिसमस गैदरिंग में क्रिसमस के गीतों की धूम रही़ लोगों ने ‘चला जाब जुमी जुमी के बैतुलहम गांव देखेक ले.., बैतुलहम गोहर माझे सोने कमल फूले.., खुशियों का ये शमां.., ख्रीस्त जनम पर्व में.., आओ यीशु को हम गावें..’ और ‘तेरा हो अभिषेक अमन के राजकुमार..’ व अन्य कैरोल का अानंद लिया़

इस मौके पर मुख्य अतिथि, बिशप जोहन डांग ने कहा कि परमेश्वर ने मनुष्यों के प्रति अपने प्रेम के कारण अपना पुत्र हमें एक तोहफे के रूप में दिया है़ यह अनुपम आनंद का अवसर है और हमें इसे सभी के साथ बांटना है़ इस अवसर पर निशिथ खलखो, सुरा सागेन टोपनो, मझेरकन किंडो व असीम भेंगरा ने बाइबल का पाठ किया़ हिंदी व नागपुरी कैरोल प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें जसवंत बारला, मनीष एक्का, रेव्ह एचके बाबा व रेव्ह बेंजामिन टोपनो ने प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया़
कार्यक्रम में बिशप जॉनसन लकड़ा, रेव्ह सीमांत तिर्की, एलियाजर टोपनो, प्रदीप कुजूर, अटल खेस, सिरल लकड़ा, जे कंडुलना व अन्य मौजूद थे़ मंच का संचालन आशीष टोपनो, एलिस, समीर सांगा, विनय, पूनम टोपनो, सुकुवंती व स्वर्णलता बिलुंग ने किया़
प्रतियोिगता के परिणाम : हिंदी कैरोल प्रतियोगिता में कुसई कॉलोनी टोला समाज को पहला, ब्लू वेव्स को दूसरा व बेथेसदा प्रामइमरी टीचर्स एजुकेशन कॉलेज को तीसरा पुरस्कार मिला़ वहीं, सादरी कैरोल प्रतियोगिता में जीइएल चर्च गर्ल्स हॉस्टल ने प्रथम, पिलगर लेन बाल समाज ने द्वितीय व रिवोल्यूशन ग्रुप ने तृतीय स्थान हासिल किया़
मानव शरीर परमेश्वर का सबसे बड़ा दान
किसी गांव में करमा नाम का एक वृद्ध रहता था़ उसकी उम्र वैसे 80 साल से अधिक थी, पर वह 40 साल के व्यक्ति से ज्यादा स्वस्थ दिखता था़ लोग उसकी सेहत का राज जानना चाहते, पर वह कभी कुछ नहीं बताता था़ एक दिन राजा को भी उसके बारे में पता चला और वह उसकी सेहत का राज जानने के लिए उत्सुक हो गए़
राजा ने अपने गुप्तचरों को उस पर नजर रखने के लिए कहा़ अगले दिन गुप्तचरों ने देखा कि करमा तड़के उठ कर कहीं जा रहा है़ वे भी उसके पीछे हो लिए़ मीलों चलने के बाद करमा एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा और गुप्तचरों की नजरों से ओझल हो गया़ कुछ देर बाद जब वह लौटा, तो उसकी मुट्ठी में कुछ छोटे फल थे, जिन्हें वह खाता हुआ चल रहा था़ गुप्तचरों ने अनुमान लगाया कि करमा उन्हीं फलों को खाकर इतना स्वस्थ है़ अगले दिन राजा ने करमा को अपने दरबार में बुलाया और उसकी सेहत का राज पूछा़
करमा राजा को लेकर पहाड़ी की ओर गया, जहां उसने राजा को बेर का एक वह पेड़ दिखाया़ उसके फलों को दिखाते हुए कहा कि यही वे फल हैं, जिसे वह रोज खाता है़ राजा ने क्रुद्ध होकर कहा कि इसे तो हजारों लोग खाते हैं, पर सभी उसकी तरह सेहतमंद क्यों नहीं? तब करमा ने विनम्रतापूर्वक कहा कि लोग सिर्फ बेर का फल खाते हैं,
जबकि जो फल खाता है उसमें मेहनत का फल भी शामिल है़ इसे खाने के लिए वह प्रतिदिन सुबह 10 किलाेमीटर पैदल चलता है़ राजा ने करमा को स्वर्ण मुद्राएं देते हुए सम्मानित किया और अपनी प्रजा को भी शारीरिक श्रम करने की नसीहत दी़
मानव शरीर ईश्वर का सबसे बड़ा दान है़ इसकी देखभाल करना इनसान का पहला कर्तव्य है़
इसे स्वस्थ रखना प्रार्थना करने के बराबर है़ यीशु ने मानव शरीर धारण कर हमारे शरीर को पवित्र किया है़ आगमन काल में हम न केवल अपनी आत्मा की तरफ ध्यान दें बल्कि उन सभी बुरी आदतों का भी परित्याग करें, जो हमारे शरीर को हानि पहुंचाते है़ं फादर अशोक कुजूर
डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज के निदेशक

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