फैसला. राज्य में पेड़ कटाई के मामले को अदालत ने गंभीरता से लिया
रांची : राज्य में पर्यावरण संरक्षण, पेड़ कटाई व पौधरोपण की झारखंड हाइकोर्ट मॉनिटरिंग करेगा. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह काफी गंभीर मामला है. अदालत इसकी लगातार मॉनिटरिंग करेगी.
क्लाइमेट चेंज को लेकर गत दिनों हाइकोर्ट की ओर से आयोजित सेमिनार में कई सुझाव आये थे. इसके अनुपालन को लेकर पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है. जनवरी माह में पर्यावरण से जुड़े लोगों की समीक्षा बैठक बुलायी जायेगी. इसमें किये गये कार्यों की जानकारी ली जायेगी. जरूरत पड़ी, तो आदेश भी दिये जायेंगे. अदालत ने मामले की सुनवाई फरवरी माह तक के लिए स्थगित करते हुए सरकार से पर्यावरण संरक्षण को लेकर किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देने को कहा है.
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी दिलीप जेरथ ने कहा कि सरकार को वैसी सड़कों के किनारे पौधरोपण का आदेश दिया जाये, जिनका निर्माण और चौड़ीकरण का काम पूरा हो चुका है. उन्होंने देवघर से बासुकीनाथ तक सड़क के किनारे पौधा लगाने के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया.
पेड़ काटना मानव हत्या के समान : हाइकोर्ट
पर्यावरण संरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पेड़ में जीवन होता है. वह आपसे बातें करते हैं. कहावत भी है कि एक पेड़ सौ पुत्र के समान होता है.
उन्हें काटना मानव हत्या के बराबर है. अगर कोई पेड़ सड़क निर्माण में बाधक बन रहा है, तो उसे दूसरे जगह ट्रांसप्लांट करने की व्यवस्था करनी चाहिए. सरकार की ओर से एक पेड़ को उखाड़ कर दूसरे जगह ट्रांसप्लांट करने के लिए मशीन भी खरीदी गयी है.
इसका जितना उपयोग किया जायेगा, उतना पर्यावरण और मानव जीवन के लिए लाभकारी होगा. सरकार को जिन सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण का काम हो गया है. उसके बगल में पौधरोपण का काम शुरू किया जाये. हाइकोर्ट परिसर में भी सैकड़ों पेड़ लगाये गये हैं. जब नया हाइकोर्ट परिसर बन कर तैयार होगा, यहां का वातावरण खुशनुमा होगा.