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रेड्डी अध्यक्ष व राजेंद्र फिर बने महासचिव

रेड्डी अध्यक्ष व राजेंद्र फिर बने महासचिव इंटक. दिल्ली में कई प्रस्तावों के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्नअधिकारियों की तरह वर्कर भी बने शेयर होल्डर : रेड्डीबेरमो फोटो जेपीजी 6-9 संजीवा रेड्डी व राजेंद्र प्रसाद सिंहसंवाददाता, बेरमोदिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इंटक (राजेंद्र गुट) का दो दिवसीय 31 वां राष्ट्रीय महाधिवेशन रविवार को कई […]

रेड्डी अध्यक्ष व राजेंद्र फिर बने महासचिव इंटक. दिल्ली में कई प्रस्तावों के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्नअधिकारियों की तरह वर्कर भी बने शेयर होल्डर : रेड्डीबेरमो फोटो जेपीजी 6-9 संजीवा रेड्डी व राजेंद्र प्रसाद सिंहसंवाददाता, बेरमोदिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इंटक (राजेंद्र गुट) का दो दिवसीय 31 वां राष्ट्रीय महाधिवेशन रविवार को कई प्रस्तावों के साथ संपन्न हो गया. अधिवेशन के समापन के बाद इंटक की नयी वर्किंग कमेटी तथा नयी जेनरल काउंसिल की मीटिंग हुई, जिसकी अध्यक्षता इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जी संजीवा रेड्डी ने की. इससे पूर्व चुनाव की प्रक्रिया पूरी हुई. इंटक की नयी कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें फिर से अध्यक्ष डॉ जी संजीवा रेड्डी व महासचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह चुने गये.समापन सत्र में इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जी संजीवा रेड्डी ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी कोल इंडिया के रेगुलर मजदूरों की तरह वेतनमान तय होना चाहिए. समान काम के बदले समान वेतन तय होना चाहिए. उन्होंने कहा : जो कोलकर्मी 40 साल सेवा के बाद 60 साल की उम्र में रिटायर होते हैं, उनके एक आश्रित पुत्र को रिटायरमेंट के बाद नियोजन मिलना चाहिए. श्री रेड्डी ने कहा : मोदी सरकार कोल इंडिया का निजीकरण करने पर तुली है. लगातार विनिवेश की प्रक्रिया जारी है. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण पर प्रश्चचिह्न लग रहा है. कोल इंडिया के वर्करों को भी कोयला उद्योग में हिस्सेदार बनना चाहिए. अधिकारियों की तरह वर्कर भी शेयर होल्डर बनें. उन्होंने कहा कि इंटक इन मुद्दों को लेकर आंदोलन तेज करेगा. अधिवेशन में देश भर से छह हजार डेलीगेट ने हस्सिा लिया. कई विदेशी डेलीगेट भी आये थे.ये प्रस्ताव लिये गयेसातवां वेतन आयोग की विसंगति को दूर करने को लेकर संघर्ष तेज करने, ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ाने, पेंशन एक्ट में संशोधन करने (अंतिम वेज का 50 फीसदी देने), विनिवेश का विरोध करने, मनरेगा का पैसा काटने का विरोध करने, ठेका मजदूरों को समान काम का समान वेतन देने, कोल इंडिया में अधिकारियों की तरह वर्कर को भी शेयर होल्डर बनाने आदि प्रमुख है.

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